ऐसी टिपप्णी क्यों करते हैं?...रेप पर इलाहाबाद HC जज की बात से SC नाराज

3 weeks ago

Last Updated:April 15, 2025, 14:19 IST

Supreme Court News: इलाहाबाद हाईकोर्ट की विवादास्पद टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई है. जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि जजों को संवेदनशील मामलों में अनावश्यक टिप्पणियों से बचना चाहिए.

ऐसी टिपप्णी क्यों करते हैं?...रेप पर इलाहाबाद HC जज की बात से SC नाराज

रेप के मामले को लेकर इलाहाबाद HC की एक और टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी

इलाहाबाद हाईकोर्ट अपने अजीबोगरीब टिप्पणियों से खूब चर्चा में है. कभी नाड़ा तोड़ने वाली टिप्पणी से तो कभी रेप केस में महिला को ही दोषी ठहराने की बात से. रेप के मामले में इलाहाहाद हाईकोर्ट की टिप्पणी से सुप्रीम कोर्ट भी खफा हो गया है. जी हां, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज की रेप से जुड़े मामले पर टिप्पणी को लेकर नाराजगी जताई. इलाहाबाद हाईकोर्ट जज को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने साफ-साफ कहा कि आरोपी को जज जमानत दे दे तो चलता है, मगर ऐसी टिप्पणी क्यों करते हैं.

जस्टिस बीआर गवई ने कहा, ‘जजों को ऐसे संवेदनशील मामलों में जमानत देते समय अनावश्यक टिप्पणियों से बचना चाहिए. आरोपी को जज जमानत दें, मगर ऐसी टिप्पणी क्यों करते हैं’. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कोर्ट में अपनी दलील दी. उन्होंने कहा कि जज साहब न्याय न केवल किया जाना चाहिए, बल्कि होते हुए दिखना भी चाहिए. एक आम आदमी यह समझेगा कि जज कानूनी बारीकियों से परिचित नहीं हैं. बता दें कि यह दूसरी बार है जब हाईकोर्ट की ऐसी टिप्पणियों पर सुप्पीम कोर्ट ने आपत्ति दर्ज की.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट का यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक हालिया फैसले से जुड़ा है. रेप के एक मामले में जमानत देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज ने कहा था, ‘महिला ने खुद मुसीबत को आमंत्रित किया और इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है.’ यह टिप्पणी रेप की कोशिश से संबंधित एक अन्य मामले में हाईकोर्ट की पिछली विवादास्पद टिप्पणी के बाद आई, जिसमें पीड़िता को दोषी ठहराने का प्रयास किया गया था.

जानिए दोनों टिप्पणी
10 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप के एक मामले में टिप्पणी की थी. अदालत ने आरोपी को जमानत देते हुए कहा था कि महिला ने खुद ही मुसीबत को न्योता दिया था, उसके साथ जो भी हुआ, वो उसके लिए खुद जिम्मेदार है. इस मामले की सुनवाई जज संजय कुमार कर रहे थे. पूरा मामला सितंबर 2024 का है. इससे पहले जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा ने टिप्पणी की थी कि स्तनों को छूना और पायजामी की नाड़े को तोड़ना रेप या रेप की कोशिश के दायरे में नहीं आता.उन्होंने ये टिप्पणी यूपी के कासगंज जिले के पॉक्सो के एक केस की सुनवाई के दौरान की गई.

Location :

Delhi,Delhi,Delhi

First Published :

April 15, 2025, 14:19 IST

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