India UK FTA : पीएम नरेंद्र मोदी इंग्लैंड के ऐतिहासिक दौरे पर हैं. आज यानि गुरुवार शाम मोदी और ब्रिटेन के पीएम केर स्टार्मर दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौते (India – Uk Free Trade Agreement) पर दस्तखत करेंगे. डोनाल्ड ट्रंप के पल-पल बदलते नजरिए को देखते हुए इस ऐतिहासिक समझौते का महत्व बढ़ गया है.
यह डील दोनों देशों के बीच आर्थिक रिश्तों को मजबूत करेगी और व्यापार, निवेश, रोजगार और नवाचार को बढ़ावा देगी. भारत और यूके के बीच अभी सालाना करीब 55 अरब डॉलर का व्यापार होता है, और इस समझौते से 2030 तक इसे दोगुना करने का लक्ष्य है. आइए इस डील के अहम पहलुओं को समझते हैं.
भारत-इंग्लैंड फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की जरूरत क्यों ?
यह FTA भारत को यूके के विशाल बाजार में आसान पहुंच देगा, जिससे भारतीय उत्पादों और सेवाओं के लिए नए रास्ते खुलेंगे. इससे भारत में ढेर सारी नौकरियां पैदा होंगी, निवेश बढ़ेगा और अर्थव्यवस्था को तेजी मिलेगी. साथ ही, पेशेवरों के लिए गतिशीलता के नियमों से भारतीय प्रतिभाओं को दुनिया भर में अपनी काबिलियत दिखाने का मौका मिलेगा. यह सौदा भारत के लिए एक ऐतिहासिक और बदलाव लाने वाला कदम है. यह समझौता भारत के लिए यूके के विशाल बाजार में आसान पहुंच देगा, जिससे भारतीय उत्पादों और सेवाओं के लिए नए अवसर खुलेंगे.
इस समझौते का मकसद 2030 तक भारत और यूके के बीच व्यापार को दोगुना करके 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाना है. इसमें सामान, सेवाएं, नई तकनीक, सरकारी खरीद और बौद्धिक संपदा अधिकार जैसे कई अहम मुद्दों पर चर्चा हो रही है. वहीं, यूके के व्हिस्की, कार, कॉस्मेटिक्स और खाद्य उत्पादों पर भारत में शुल्क कम होगा. इसके अलावा इस डील के बाद भारतीय पेशेवरों को यूके में काम करने के लिए वीजा नियमों में छूट मिलने की उम्मीद है, जिससे उनकी प्रतिभा को वैश्विक मंच पर चमकने का मौका मिलेगा. यह डील दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को गति देगी और नौकरियां पैदा करेगी, जिससे भारत और यूके के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत होगी.
FTA से किस देश को ज्यादा फायदा होगा
भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौते (FTA) से भारत को बड़ा फायदा होगा, क्योंकि भारत की 99% वस्तुओं को यूके में जीरो ड्यूटी के साथ पहुंच मिलेगी, जहां अभी 4% से 16% तक शुल्क लगता है. इससे वस्त्र, चमड़ा, जूते, खिलौने, समुद्री उत्पाद, रत्न-आभूषण, ऑटो कंपोनेंट्स और इलेक्ट्रिक व्हीकल जैसे क्षेत्रों को भारी लाभ होगा.
साथ ही, सामाजिक सुरक्षा समझौते के तहत भारतीय कामगारों को ब्रिटेन में तीन साल तक सोशल सिक्योरिटी योगदान नहीं देना होगा, जिससे कंपनियों और कामगारों को सालाना करीब ₹4,000 करोड़ की बचत होगी. भारतीय शेफ, योग प्रशिक्षक, संगीतकार और अन्य प्रोफेशनल्स को अस्थायी वीजा मिलेगा, जिससे सर्विस सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा. वेलस्पन इंडिया, अरविंद लिमिटेड, रिलैक्सो, टाटा मोटर्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक और भारत फोर्ज जैसी कंपनियां इस डील से सीधे लाभान्वित होंगी.
ब्रिटेन के ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस और मशीनरी सेक्टर को फायदा होगा, और जगुआर लैंड रोवर, एस्टन मार्टिन और डियाजियो जैसी कंपनियों की बिक्री बढ़ेगी. ब्रिटेन पहले ही भारत में $36 अरब का निवेश कर चुका है और अब मैन्युफैक्चरिंग, ऑटोमोबाइल और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में नए निवेश की उम्मीद है. साथ ही, ब्रिटेन के उपभोक्ताओं को भारतीय उत्पाद सस्ते मिलेंगे.
यह समझौता भारत और यूके दोनों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है. इससे भारत को पश्चिमी देशों के बड़े बाजार में मजबूत जगह मिलेगी और श्रम-आधारित निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. दूसरी ओर, ब्रिटेन को भारत जैसे तेजी से बढ़ते अर्थव्यवस्था के साथ रिश्ते मजबूत करने का मौका मिलेगा, जिससे उसकी ब्रेग्जिट के बाद की व्यापार रणनीति और मजबूत होगी.
भारत में कौन से सामान सस्ते होंगे
भारत में व्हिस्की, बीयर, हाई-एंड कार, बिस्कुट, एयरोस्पेस मशीनरी, कॉस्मेटिक्स, चॉकलेट, नमकीन, शीतल पेय, भेड़ के मांस, सामन मछली, चमड़ा, जूते, खिलौने के दाम कम हो जाएंगे.
अमेरिका के साथ रिश्तों पर क्या असर होगा
ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर हस्ताक्षर भारत के लिए एक बड़ा कदम है, जो अमेरिका को यह संदेश देगा कि भारत केवल अमेरिकी बाजार पर निर्भर नहीं है. इस समझौते से भारत को पश्चिमी देशों के विशाल बाजार में मजबूत पहुंच मिलेगी और श्रम-आधारित निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केयर स्टार्मर के साथ इस ऐतिहासिक एफटीए पर हस्ताक्षर करेंगे और इस मौके पर वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल भी ब्रिटेन में मौजूद रहेंगे.
यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार को 2030 तक दोगुना करके 120 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखता है. हालांकि, इस एफटीए को लागू होने में छह महीने से ज्यादा समय लग सकता है, क्योंकि ब्रिटेन में इसे संसद की मंजूरी लेनी होगी. यह डील दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को गति देगी और नौकरियां पैदा करेगी.