Last Updated:September 05, 2025, 13:43 IST
ARMY AVIATION : लद्दाख, जम्मू कश्मीर, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, हमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बर्फ से लदी पहाड़ियों के लिए हेलिकॉप्टर लाइफ लाइन है. किसी भी तरह की मानवीय सहायता या रेस्क्यू ऑपरेशन की जरूरत होती है...और पढ़ें

ARMY AVIATION : लद्दाख के दुर्गम इलाके में हेलिकॉप्टर सेना के लिए लाइफ लाइन हैं. आर्मी एविएशन और एयरफोर्स ने मोर्चा संभाल रखा है. किसी भी तरह के रेस्क्यू ऑपरेशन की जरूरत होती है तो तुरंत सेना के हेलिकॉप्टर उड़ान भर देते हैं. इसी तरह का एक जोखिम भरा ऑपरेशन लेह स्थित आर्मी एविएशन स्क्वॉड्रन ने अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में सेना के ALH ध्रुव हेलिकॉप्टर के जरिए रात के अंधेरे में 17000 फीट की ऊंचाई पर इस रेस्क्यू ऑपरेशन को सफलता पूर्वक अंजाम दिया. इस कैजुअल्टी रेस्क्यू ऑपरेशन में दो कोरियाई नागरिकों ह्यून वू किम और उनकी पत्नी की जान बचाई.
ऐसे दिया गया ऑपरेशन को अंजाम
4 सितंबर को लेह स्थित सेना एविएशन यूनिट को रात को लगभग 08:05 बजे एक मैसेज आया. मैसेज में बताया गया कि कोंगमारुला दर्रे में दो दक्षिण कोरियाई नागरिक फंसे हुए हैं और उन्हें तुरंत रेस्क्यू करना है. जिस जगह यह दोनों फंसे हुए थे वह चुनौतियों से भरा था. 17000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई और बर्फ से ढकी चोटियाँ और तेज हवाएं. संदेश मिलते ही आर्मी एविएशन के स्क्वाड्रन के ALH यूनिट ने रात 08:20 बजे ऑपरेशन को लॉन्च किया. चूंकि कोई हेलिपैड नहीं था और ना ही लाइट, ऐसे में अनप्रिपेयर्ड हेलीपैड पर सटीक NVG लैंडिंग की जरूरत थी. सेना के पायलट इस तरह के जोखिम भरे ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं. रात 09:15 बजे पहाड़ी की चोटी पर हेलिकॉप्टर उतरा और रेस्क्यू टीम ने बिना समय गंवाए विदेशी नागरिकों को रेस्क्यू किया. रेस्क्यू के बाद सेना ने दोनों दक्षिण कोरियाई नागरिकों को चिकित्सा अधिकारियों को सौंप दिया.
सेना के ALH हो गए एक्टिव
तकरीबन 100 दिन के करीब ग्राउंडेड रहने के बाद ALH फिर से एक्शन में हैं. 5 जनवरी को पोरबंदर में कोस्ट गार्ड के ALH क्रैश के बाद से ही सभी फ्लीट को ग्राउंड कर दिया गया था. HAL डिफेक्ट इंवेस्टिगेशन टीम की सघन जांच के बाद टीम ने 1 मई को थलसेना और वायुसेना के सभी ध्रुव हेलिकॉप्टर को उड़ान भरने की इजाजत दे दी थी. उसके बाद से लगातार ध्रुव हेलिकॉप्टर अपने रूटीन के काम में जुटे हैं. जम्मू और पंजाब में आई बाढ़ में आर्मी एविएशन लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दे रही है. ALH की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह समंदर के ऊपर भी उड़ सकता है तो हाई एल्टिट्यूड के इलाके में 15000 फीट के ऊपर भी उड़ान भर सकता है. एडवांस रडार, सेंसर और NVG तकनीक से लैस ALH रात में भी आसानी से ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. एक बार में 10 से 12 लोग इसमें बैठ सकते हैं.
सियाचिन की लाइफ लाइन है हेलिकॉप्टर
सियाचिन में सेना की लाइफ लाइन कहे जाने वाले चीता और ALH हेलिकॉप्टर जम्मू और पंजाब के बाढ़ग्रस्त इलाकों में फंसे लोगों की लाइफ लाइन बन चुके हैं. दिन-रात जोखिम भरे रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दे रहे हैं. एक चीता हेलिकॉप्टर में पायलट और को-पायलट के अलावा तीन लोगों के बैठने की जगह है. इसकी खासियत यह है कि यह किसी भी टेरेन में आसानी से ऑपरेट कर सकता है. सिंगल इंजन हेलिकॉप्टर को फ्रांस से 1962 में खरीदा गया था, तभी से यह सेना में शामिल किया गया है. 1965 में HAL ने लाइसेंस के तहत इसका उत्पादन शुरू किया था. आर्मी और एयरफोर्स के पास चीता हेलिकॉप्टर मौजूद हैं. आर्मी एविएशन के पास 246 चीता/चेतक हेलिकॉप्टर हैं, जिनमें से 190 के करीब ऑपरेशनल हैं. सियाचिन में इकलौता हेलिकॉप्टर है जो लैंड भी कर सकता है और टेकऑफ भी ले सकता है. ऊंचे पोस्ट पर सैनिकों को रसद और बाकी साजो सामान चीता हेलिकॉप्टरों के जरिए पहुंचाए जाते हैं और किसी भी राहत बचाव के ऑपरेशन में इनका इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन अब यह काफी पुराने हो चले हैं.सेना का प्लान है कि सभी चीता, चेतक हेलिकॉप्टर को चरणबद्ध तरीके से 10 साल में फेज आउट कर दिया जाए.
First Published :
September 05, 2025, 13:43 IST