Last Updated:December 23, 2025, 15:50 IST
Gandhi on Rupee notes: भारतीय करेंसी पर महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 1969 में छपी और 1996 से स्थायी हो गयी. देश को आजादी मिलने के बाद जब पहली बार करेंसी नोट छापा गया तो उन पर अशोक स्तंभ था.
साल 1969 में महात्मा गांधी की 100वीं जयंती के मौके पर उनके सम्मान में उनकी तस्वीर करेंसी नोट पर छापी गई थी.Gandhi on Rupee notes: भारतीय करेंसी का इतिहास विभिन्न डिजाइनों, प्रतीकों और आकृतियों का एक निरंतर विकसित होता हुआ स्वरूप दर्शाता है. हर दौर की करेंसी अपने समय के सामाजिक-राजनीतिक माहौल को प्रतिबिंबित करती है. महात्मा गांधी की तस्वीर जब पहली बार भारतीय करेंसी नोटों पर दिखाई दी, तब से यह एक स्थायी प्रतीक बन गयी है. भले ही समय-समय पर इसमें बदलाव की मांग उठती रही हो. आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि पहले महात्मा गांधी की तस्वीर को नए-नए आजाद हुए भारत की करेंसी के लिए चेहरे के रूप में अस्वीकार कर दिया गया था. उनकी तस्वीर के बजाय सारनाथ में स्थित सिंह स्तंभ को करेंसी नोट पर छापने के लिए चुना गया था. ये कदम इसके बावजूद उठाया गया जब दुनिया के कई देशों ने अपने संस्थापक नेताओं को अपने नोटों पर सम्मानित किया था. जैसे कि अमेरिका में जॉर्ज वाशिंगटन, पाकिस्तान में मोहम्मद अली जिन्ना और चीन में माओत्से तुंग.
भारत में कब आयी कागजी मुद्रा
भारत में कागजी मुद्रा का प्रचलन 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में शुरू हुआ, जब मुगल साम्राज्य के पतन और औपनिवेशिक शक्तियों के उदय के बाद राजनीतिक उथल-पुथल का दौर चल रहा था. आरबीआई की वेबसाइट के अनुसार, ईस्ट इंडिया कंपनी के आक्रामक विस्तार के कारण बंगाल में सोने और चांदी की कमी का सामना करते हुए ब्रिटिश अधिकारियों ने ऋण संकट को रोकने के लिए कागजी मुद्रा की शुरुआत की. 1861 में कागजी मुद्रा अधिनियम के बाद भारत ने महारानी विक्टोरिया के चित्र वाले अपने पहले बैंकनोट और सिक्के जारी किए. इसने अगले कुछ दशकों में बैंकनोटों की एक सीरीज के लिए आधार तैयार किया, जिसमें 1923 में जॉर्ज पंचम की छवि वाले नोटों की सीरीज और 1936 में राजा जॉर्ज षष्ठम की छवि वाले नोटों की शुरुआत शामिल है.
आजादी के बाद मिली खास भारतीय पहचान
भारत को 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता प्राप्त हुई और कुछ समय तक देश में स्वतंत्रता-पूर्व मुद्रा प्रणाली बनी रही. 15 अगस्त 1950 को नवगठित भारतीय गणराज्य ने अपनी अलग मुद्रा जारी की, जिस पर अशोक स्तंभ अंकित था. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वेबसाइट के अनुसार 1950 और 60 के दशक के भारतीय करेंसी नोटों पर बाघ और हिरण जैसे राजसी जानवरों की तस्वीरें, हीराकुड बांध और आर्यभट्ट उपग्रह जैसे औद्योगिक उन्नति के प्रतीक और बृहदीश्वर मंदिर की तस्वीरें अंकित होती थीं. ये भारत के विकास और आधुनिकीकरण पर नए सिरे से केंद्रित होने को दर्शाते हैं और साथ ही इसकी सांस्कृतिक विरासत को सम्मान भी देते हैं.
आखिर रुपये पर कैसे छपी गांधी जी की तस्वीर
भारत के स्वतंत्रता संग्राम के एक महान व्यक्तित्व महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 1969 में उनकी 100वीं जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय मुद्रा पर अंकित हुई. समय के साथ, उनकी तस्वीर भारतीय नोटों का पर्याय बन गयी, जो शांति, एकता और बलिदान के राष्ट्रव्यापी मूल्यों का प्रतीक है. इस तस्वीर में वे बैठे हुए थे और पृष्ठभूमि में उनका सेवाग्राम आश्रम दिखाई दे रहा था. गांधी जी का चित्र 1987 में नए सिरे से छपे 500 रुपये के नोट पर एक बार फिर दिखाई दिया, जब तत्कालीन राजीव गांधी सरकार इसे दोबारा प्रचलन में लेकर आयी. इसके बाद अंततः 1996 में आरबीआई ने महात्मा गांधी सीरीज शुरू की, जिसके तहत तब से सभी भारतीय करेंसी नोटों पर उनका चेहरा स्थायी रूप से अंकित है.
गांधी के अलावा अन्य कौन-कौन से थे विकल्प
गांधी जी को भारतीय मुद्रा के प्रतीक के रूप में व्यापक स्वीकृति मिलने के बावजूद समय-समय पर अन्य प्रमुख हस्तियों को भी करेंसी नोटों पर अंकित करने की मांग उठती रही है. इनमें सबसे उल्लेखनीय सुझावों में नोबेल पुरस्कार विजेता और राष्ट्रीय कवि रवींद्रनाथ टैगोर और पूर्व राष्ट्रपति व वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के नाम शामिल थे. इसके अलावा समृद्धि और दैवीय आशीर्वाद का प्रतीक माने जाने के लिए नोटों पर भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी जैसे धार्मिक देवताओं की तस्वीरें अंकित करने के विवादास्पद प्रस्ताव भी आए थे. हालांकि नोट पर गांधी जी का चेहरा कभी नहीं हटाया गया.
2016 में उस समय वित्त राज्य मंत्री रहे अर्जुन राम मेघवाल से जब पूछा गया कि क्या नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर बदलने की कोई योजना है, तो उन्होंने कहा, “यूपीए के दौरान एक समिति का गठन किया गया था जिसने पहले ही यह निर्णय लिया है कि करेंसी नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर बदलने की कोई आवश्यकता नहीं है.” हालांकि, सरकार ने 6 दिसंबर, 2015 को डॉ. बी.आर. अंबेडकर की पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में 125 रुपये का एक स्मारक सिक्का और 10 रुपये का एक सिक्का जारी किया था. 125 रुपये का वो स्मारक सिक्का प्रचलन में नहीं है, जबकि 10 रुपये का सिक्का प्रचलन में है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 23, 2025, 15:48 IST

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