Last Updated:July 23, 2025, 14:39 IST
RSS Chief Mohan Bhagwat, Indian History:राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है वह पश्चिमी है. इतिहास की किताबों में चीन और जापान हैं, भारत नहीं.

हाइलाइट्स
मोहन भागवत ने किया बदलाव का समर्थन.किताबों में पश्चिमी देशों का प्रभाव.भारत की तरफ दुनिया की निगाहें.RSS Chief Mohan Bhagwat, Indian History: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने स्कूलों के सिलेबस में बदलाव की बात का समर्थन किया है. उनके इस बयान को हाल ही में एनसीईआरटी की ओर से कुछ किताबों में किए गए बदलावों से जोडकर देखा जा रहा है. मोहन भागवत ने सिलेबस में बदलाव संबंधी बातें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (IGNOU) और अखिल भारतीय अनुज्ञात न्यास के कार्यक्रम में कहीं. उन्होंने कहा कि अब दुनिया को एक नई दिशा की जरूरत है और यह दिशा भारतीयता से ही मिलेगी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने पाठ्यक्रमों में बदलाव की बात का समर्थन किया. भागवत ने कहा कि भारत को सही रूप में समझने और प्रस्तुत करने की आवश्यकता है.
आज के इतिहास पर क्या बोले भागवत?
मोहन भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि आज जो इतिहास पढ़ाया जाता है वह पश्चिमी दृष्टिकोण से लिखा गया है. उनके विचारों में भारत का कोई अस्तित्व नहीं है.दुनिया के मानचित्र पर भारत दिखता है लेकिन उनकी सोच में नहीं. उनकी किताबों में चीन और जापान मिलेंगे भारत नहीं.RSS के मुखिया ने कहा कि पहले विश्व युद्ध के बाद शांति की बातें की गईं.किताबें लिखी गईं और राष्ट्र संघ बना,लेकिन दूसरा विश्व युद्ध हुआ. फिर संयुक्त राष्ट्र बना लेकिन आज भी लोग चिंतित हैं कि कहीं तीसरा विश्व युद्ध न हो जाए.
दुनिया की निगाहें भारत पर
मोहन भागवत ने कहा कि पूरी दुनिया की निगाहें भारत पर है.उन्होंने कहा कि दुनिया में भौतिकवाद के कारण अशांति,असंतोष और संघर्ष बढ़ा है. भागवत ने कहा कि 2 हजार सालों में पश्चिमी विचारों के आधार पर इंसान को सुखी और संतुष्ट बनाने की कोशिशें नाकाम रहीं हैं ऐसे में भारत की भूमिका अहम है और अब पूरा विश्व भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है.मोहन भागवत ने कहा कि विज्ञान और फाइनेंसियल सेक्टर में तरक्की से लोगों के जीवन में भौतिक सुविधाएं तो बढ़ीं हैं लेकिन दुख कम नहीं हुए हैं.उन्होंने कहा कि विलासिता की वस्तुएं आईं लेकिन मानसिक पीड़ा दूर नहीं हुई. गरीबी और शोषण बढ़ा और गरीब-अमीर के बीच की खाई और चौड़ी हो गई है.मोहन भागवत ने कहा कि भारत का मतलब सिर्फ किसी भौगोलिक सीमा में रहना या नागरिकता पाना नहीं है बल्कि एक दृष्टिकोण है.यह एक ऐसा दृष्टिकोण है जो पूरे जीवन के कल्याण की सोच रखता है.धर्म पर आधारित यह दृष्टिकोण धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष पर आधारित है.इसमें मोक्ष अंतिम लक्ष्य होता है.
कभी भारत था समृद्ध राष्ट्र
मोहन भागवत ने कहा कि भारत कभी दुनिया का सबसे समृद्ध राष्ट्र हुआ करता था.आज भी पूरी दुनिया को भारत से काफी आशाएं रहती हैं.दुनिया को उम्मीद रहती है कि भारत उसे रास्ता दिखाएगा. इसलिए हमें खुद को और अपने राष्ट्र को तैयार करना होगा. शुरुआत खुद से और अपने परिवार से होनी चाहिए.
Dhiraj Raiअसिस्टेंट एडिटर
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...और पढ़ें
न्यूज़18 हिंदी (Network 18) डिजिटल में असिस्टेंट एडिटर के तौर पर कार्यरत. करीब 13 वर्ष से अधिक समय से मीडिया में सक्रिय. हिन्दुस्तान, दैनिक भास्कर के प्रिंट व डिजिटल संस्करण के अलावा कई अन्य संस्थानों में कार्य...
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