Last Updated:December 22, 2025, 23:53 IST
असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य की सुरक्षा को लेकर डराने वाले आंकड़े पेश किए हैं. उन्होंने कहा कि असम में बांग्लादेशी मूल के मुसलमानों की आबादी 40% हो गई है और हम 'बारूद के ढेर' पर बैठे हैं. उन्होंने दावा किया कि 2027 तक राज्य में हिंदू-मुस्लिम आबादी बराबर हो जाएगी.
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा.बांग्लादेशी घुसपैठियों की चिंता के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य की बदलती डेमोग्राफी को लेकर अब तक का सबसे सनसनीखेज दावा किया है. हिमंता ने साफ शब्दों में कहा है कि असम एक बारूद के ढेर पर बैठा है, जहां बांग्लादेशी मूल के लोगों की आबादी अब 40 प्रतिशत तक पहुंच गई है. न्यूज 18 के ‘राइजिंग असम कॉन्क्लेव’ में अपनी बात रखते हुए मुख्यमंत्री ने जो आंकड़े पेश किए, वे न केवल असम बल्कि पूरे देश की सुरक्षा एजेंसियों के लिए चिंता का विषय हो सकते हैं.
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने राज्य की वर्तमान स्थिति को बहुत ही अजीब करार दिया. उन्होंने कहा कि असम की मूल पहचान और सुरक्षा खतरे में है. उनके मुताबिक, आज असम में करीब 40 प्रतिशत लोग बांग्लादेशी मूल के मुस्लिम हैं. यह आंकड़ा साधारण नहीं है. सबसे दुखद और चिंताजनक बात यह है कि इन लोगों को भारत में अब वैधता मिल चुकी है. सरमा का इशारा उन लोगों की तरफ था जो पिछले कुछ दशकों में सीमा पार से आए और अब भारतीय दस्तावेजों के आधार पर यहां के नागरिक बन चुके हैं. उन्होंने कहा कि जब कोई समुदाय इतनी बड़ी संख्या में हो और उसकी जड़ें इस मिट्टी में न हों, तो सुरक्षा की गारंटी लेना मुश्किल हो जाता है.10% से 40% का सफर
मुख्यमंत्री ने इतिहास के पन्नों को पलटते हुए तुलनात्मक आंकड़े रखे. उन्होंने कहा, जब देश आजाद हुआ था, तब असम में यह आबादी महज 10 से 15 प्रतिशत के बीच थी. लेकिन आज यह 40 प्रतिशत हो चुकी है. उन्होंने इस बदलाव को राज्य की स्थिरता के लिए खतरा बताते हुए कहा, जिन लोगों ने भारत में पीढ़ियां नहीं बिताई हैं, जिनका इस संस्कृति और इतिहास से पुराना नाता नहीं रहा है, उनकी गारंटी कोई नहीं ले सकता. उनका तर्क था कि किसी भी समाज में घुलने-मिलने में वक्त लगता है, लेकिन असम में जनसांख्यिकीय बदलाव इतनी तेजी से हुआ है कि मूल निवासियों के लिए सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो गया है.
जब हिंदू और मुस्लिम आबादी बराबर होगी
हिमंता बिस्वा सरमा ने भविष्य को लेकर एक ऐसी भविष्यवाणी की है जो सियासी गलियारों में हलचल मचाने वाली है. उन्होंने कहा कि 2027 में होने वाली जनगणना (Census) के नतीजे चौंकाने वाले होंगे. सरमा ने कहा, मेरा मानना है कि 2027 की जनगणना में असम में हिंदू और मुस्लिम आबादी लगभग बराबर हो जाएगी. उन्होंने देश के उन राज्यों का भी जिक्र किया जहां जनसांख्यिकीय संतुलन तेजी से बदला है. उन्होंने कहा, बंगाल, असम, केरल और जम्मू-कश्मीर में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी है. असम इस बदलाव के मुहाने पर खड़ा है.
अनिश्चितता का नया दौर
मुख्यमंत्री ने चेतावनी देते हुए कहा कि आबादी का यह संतुलन बिगड़ना राज्य के लिए शुभ संकेत नहीं है. उन्होंने कहा, “असम जल्द ही अनिश्चितता के एक और दौर को देखेगा. जब दो समुदायों की आबादी बराबर होती है और संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, तो संघर्ष की आशंका भी बढ़ जाती है. उन्होंने स्वीकार किया कि एक मुख्यमंत्री के तौर पर ऐसे राज्य को संभालना बेहद कठिन चुनौती है. उन्होंने कहा, असम को चलाना बहुत जटिल काम है. यहां हर दिन नई चुनौतियां सामने आती हैं, जो सीधे तौर पर इसी बदलती डेमोग्राफी से जुड़ी होती हैं.
क्यों चिंता की बात
हिमंता बिस्वा सरमा के ये आंकड़े बताते हैं कि असम में एनआरसी (NRC) और परिसीमन जैसे मुद्दों पर बीजेपी सरकार इतनी आक्रामक क्यों है. 40 प्रतिशत आबादी का बांग्लादेशी मूल का होना और ‘वैधता’ प्राप्त कर लेना, सीएम के अनुसार, एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान सामान्य राजनीति से नहीं निकल सकता. उनका यह बयान 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले ध्रुवीकरण की राजनीति को और हवा दे सकता है, लेकिन साथ ही यह सीमावर्ती राज्यों की बदलती हकीकत को भी बयां करता है.
About the Author
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
First Published :
December 22, 2025, 23:53 IST

2 hours ago
