अमेरिका ने H-1B और H-4 वीजा जांच सख्त की:अब सोशल मीडिया भी चेक किया जाएगा, कई महीनों के लिए इंटरव्यू टाले गए

1 hour ago

वॉशिंगटन डीसीकुछ ही क्षण पहले

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अमेरिका ने H-1B और H-4 वीजा के सभी आवेदकों की जांच सख्त कर दी है। 15 दिसंबर से अब वीजा प्रक्रिया में ऑनलाइन और सोशल मीडिया की जांच भी शामिल कर दी गई है। यह नियम दुनिया भर के सभी देशों के आवेदकों पर लागू होगा।

भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने कहा कि यह कदम H-1B वीजा के दुरुपयोग और अवैध इमिग्रेशन पर रोक लगाने के लिए उठाया गया है।

इस फैसले के बाद भारत में हजारों आवेदकों के तय वीजा इंटरव्यू टाल दिए गए हैं। कई इंटरव्यू अब मार्च से मई तक के लिए रीशेड्यूल किए गए हैं। इससे वे लोग ज्यादा परेशान हैं, जो इंटरव्यू के लिए पहले ही भारत आ चुके हैं और वीजा न होने के कारण अमेरिका वापस नहीं जा पा रहे।

दूतावास के मुताबिक, H-1B और H-4 वीजा के आवेदन लिए जा रहे हैं, लेकिन जांच बढ़ने से प्रक्रिया में ज्यादा समय लग सकता है। भारत सरकार ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर अमेरिका से लगातार बातचीत कर रही है, ताकि भारतीय छात्रों और पेशेवरों को परेशानी न हो।

70% एच-1 बी वीजा भारतीयों को मिलता है

एच-1 बी वीजा क्या है- हाई स्किल्ड प्रोफेशनल्स जैसे डॉक्टर्स, इंजीनियर, सॉफ्टवेयर प्रोफेशनल्स को एच-1 बी वीजा जारी होता है। 1990 में अमेरिकी कांग्रेस में बिल के जरिए ये वीजा अस्तित्व में आया।ट्रम्प के आदेश का क्या असर- भारतीयों पर सबसे ज्यादा असर पड़ेगा, क्योंकि हर साल कुल जारी किए जाने वाले एच-1बी वीजा में से 70% भारतीय प्रोफेशनल्स को जारी किए जाते हैं।एच-1 बी वीजा की फीस कितनी- पहले फीस लगभग 9 हजार डॉलर थी, लेकिन सितंबर 2025 में ट्रम्प ने इसे बढ़ाकर लगभग 90 लाख रुपए कर दिया।इस वीजा की अवधि कितनी है- 3-3 साल के लिए दो बार जारी होता है। कुल अवधि 6 साल के बाद आवेदक चाहे तो ग्रीन कार्ड यानी नागरिकता से पहले की स्टेज के लिए आवेदन कर सकता है।

एच-1 बी पर ट्रम्प की कभी हां, कभी ना

ट्रम्प का एच-1 बी वीजा पर 9 साल में कभी हां, कभी ना वाला रवैया रहा है। पहले कार्यकाल में 2016 में ट्रम्प ने इस वीजा को अमेरिकी हितों के खिलाफ कहा था। 2019 में इस वीजा का एक्सटेंशन सस्पेंड किया। पिछले महीने ही यू-टर्न लेते हुए कहा- हमें टैलेंट की जरूरत है।

गोल्ड कार्ड में हमेशा रहने का अधिकार मिलेगा

ट्रम्प ने H-1B में बदलाव के अलावा 3 नए तरह के वीजा कार्ड लॉन्च किए थे। 'ट्रम्प गोल्ड कार्ड', 'ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड' और 'कॉर्पोरेट​​​​​ गोल्ड कार्ड' जैसी सुविधाएं भी शुरू की गई हैं। ट्रम्प गोल्ड कार्ड (8.8 करोड़ कीमत) व्यक्ति को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी (हमेशा रहने) का अधिकार देगा।

टेक कंपनियां सबसे ज्यादा H-1B स्पॉन्सर करती हैं

भारत हर साल लाखों इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के ग्रेजुएट तैयार करता है, जो अमेरिका की टेक इंडस्ट्री में बड़ी भूमिका निभाते हैं। इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL जैसी कंपनियां सबसे ज्यादा अपने कर्मचारियों को H-1B वीजा स्पॉन्सर करती हैं।

कहा जाता है कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा लोग यानी इंजीनियर, कोडर और छात्र एक्सपोर्ट करता है। अब फीस महंगी होने से भारतीय टैलेंट यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, मिडिल ईस्ट के देशों की ओर रुख करेगा।

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