TMC के लिए सिरदर्द बने हुमायूं कबीर, इस्तीफा देने से कर दिया इनकार

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Last Updated:December 08, 2025, 17:34 IST

Humayun Kabir News: हुमायूं कबीर ने टीएमसी से सस्पेंड होने के बाद इस्तीफा देने का फैसला पलट दिया है. पहले उन्होंने कहा था कि वह पार्टी से इस्तीफा दे देंगे. बाबरी मस्जिद की नींव रखकर उन्होंने बंगाल में नया विवाद खड़ा कर दिया है. हुमायूं कबीर ने नई पार्टी बनाने का भी ऐलान किया है.

TMC के लिए सिरदर्द बने हुमायूं कबीर, इस्तीफा देने से कर दिया इनकारबाबरी मस्जिद विवाद को लेकर हुमायूं कबीर को टीएमसी से निलंबित कर दिया गया है. (फाइल फोटो)

मुर्शिदाबाद. पश्चिम बंगाल की राजनीति में सोमवार को एक बड़ा नाटकीय मोड़ आया है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से सस्पेंड किए गए विधायक हुमायूं कबीर ने अपने इस्तीफे के फैसले से अचानक यू-टर्न ले लिया है. उन्होंने साफ कर दिया है कि वह पश्चिम बंगाल विधानसभा से इस्तीफा नहीं देंगे. इससे पहले कबीर ने ऐलान किया था कि वह 17 दिसंबर को अपनी विधायकी छोड़ देंगे. कबीर ने हाल ही में मुर्शिदाबाद में ‘बाबरी मस्जिद’ जैसी एक मस्जिद की नींव रखी थी. इस विवादित कदम के बाद टीएमसी ने उन पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें पार्टी से सस्पेंड कर दिया था. कबीर का कहना है कि उनके क्षेत्र की जनता नहीं चाहती कि वह पद छोड़ें. हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह 22 दिसंबर को अपनी नई पार्टी बनाने के प्लान पर आगे बढ़ेंगे. दूसरी तरफ, टीएमसी ने भी कड़े तेवर दिखाते हुए विधानसभा में उनकी सीट बदलने का फैसला किया है.

जनता का हवाला और इस्तीफे से इनकार: भरतपुर से विधायक हुमायूं कबीर ने अपने फैसले को पलटने के पीछे जनता की राय का हवाला दिया है. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि अब उनके इस्तीफे का कोई सवाल ही नहीं उठता. कबीर ने दावा किया कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों ने उनसे संपर्क किया है. लोगों ने उनसे साफ कहा है कि उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘लोगों ने मुझे अपना प्रतिनिधि चुना है. वे नहीं चाहते कि मैं बीच में मैदान छोड़ दूं. उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए मैंने इस्तीफा नहीं देने का फैसला किया है.’ पहले कबीर ने कहा था कि वह कोलकाता में स्थायी समिति की बैठक के बाद इस्तीफा सौंप देंगे. लेकिन अब उन्होंने इरादा बदल दिया है.

विधानसभा में अब बीजेपी के पास बैठेंगे: हुमायूं कबीर के इस यू-टर्न के बाद टीएमसी ने भी अपनी रणनीति बदल ली है. सत्तारूढ़ दल ने विधानसभा के अंदर कबीर से पूरी तरह दूरी बनाने का फैसला किया है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, विधानसभा में कबीर के बैठने की व्यवस्था बदली जा रही है. अब तक पूर्व मंत्री होने के नाते उन्हें सत्ता पक्ष की सीटों के पास अगली पंक्ति में जगह मिली हुई थी. लेकिन अब उन्हें बीजेपी विधायकों की सीटों के पास बैठाने की पहल की गई है. टीएमसी विधायक दल चाहता है कि बागी विधायक को पार्टी के वफादार सदस्यों से दूर रखा जाए. टीएमसी के मुख्य सचेतक निर्मल घोष ने कहा कि पार्टी हालात पर नजर रख रही है और जल्द ही नई व्यवस्था लागू होगी.

नई पार्टी और गठबंधन की तैयारी: भले ही कबीर ने इस्तीफा न देने का फैसला किया हो, लेकिन वह टीएमसी के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार हैं. उन्होंने दोहराया कि वह इस महीने के अंत में अपनी नई राजनीतिक पार्टी बनाएंगे. कबीर ने दावा किया कि वह एक बड़ा गठबंधन बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी तक कांग्रेस से सीधे बात नहीं की है. लेकिन सीपीएम के प्रदेश सचिव मोहम्मद सलीम ने बातचीत की जिम्मेदारी ली है.’ कबीर का मानना है कि अगले विधानसभा चुनाव में मुर्शिदाबाद में कांग्रेस और वाम दलों के साथ सीट शेयरिंग की प्रबल संभावना है. उन्होंने यह भी दावा किया कि दो और विधायक उनकी प्रस्तावित पार्टी में शामिल हो सकते हैं.

बाबरी मस्जिद की तर्ज पर निर्माण और निलंबन: पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब हुमायूं कबीर ने शनिवार को मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में एक मस्जिद की नींव रखी. उन्होंने ऐलान किया था कि यह मस्जिद अयोध्या की बाबरी मस्जिद की तर्ज पर बनाई जाएगी. इस कार्यक्रम का आयोजन कड़ी सुरक्षा के बीच किया गया था. इस कदम पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं हुईं. टीएमसी ने इसे पार्टी अनुशासन का उल्लंघन और भड़काऊ कदम मानते हुए उन्हें सस्पेंड कर दिया था. कबीर का कहना है कि नींव रखने के बाद उन्हें लोगों का भारी समर्थन मिला है. इसी ‘अप्रत्याशित जन प्रतिक्रिया’ ने उन्हें इस्तीफे के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर किया.

राजनीतिक करियर में उतार-चढ़ाव: हुमायूं कबीर का राजनीतिक सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा है. वह 2012 में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे. इसके बाद उन्होंने ममता सरकार में पशु संसाधन राज्य मंत्री के रूप में काम किया. हालांकि, 2015 में रेजिनगर उपचुनाव में हारने के बाद उन्हें मंत्री पद गंवाना पड़ा था. अब एक बार फिर वह अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े हैं. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल खत्म होने वाला है. शीतकालीन सत्र और अंतरिम बजट सत्र से पहले कबीर का यह कदम टीएमसी के लिए सिरदर्द बन सकता है.

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Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

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Kolkata,West Bengal

First Published :

December 08, 2025, 17:24 IST

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