SG तुषार मेहता की दलील और CJI सूर्यकांत की बेंच का बड़ा कदम, अरावली पर 5 सवाल

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Last Updated:December 29, 2025, 13:24 IST

SG तुषार मेहता की दलील और CJI सूर्यकांत की बेंच का बड़ा कदम, अरावली पर 5 सवालअरावली विवाद में सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के फैसले पर रोक लगा दी है. (फाइल फोटो/PTI)

CJI Surya Kant Aravalli Hills: अरावली हिल रेंज की परिभाषा को लेकर उठे सवाल के बीच सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 29 दिसंबर 2025 को बड़ा निर्णय देते हुए अपने ही पूर्व के फैसले के अमल पर रोक लगा दी है. CJI जस्टिस सूर्यकांत की अध्‍यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने पर्यावरण से जुड़े इस मामले पर अहम सुनवाई की. सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए. शीर्ष अदालत ने उन्‍हें इस मामले में कोर्ट की सहायता करने को कहा है. सोमवार को भी इस मामले में एसजी तुषार मेहता ने पहले इस मामले में पक्ष रखा. उनकी दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट अरावली मामले से जुड़े विवाद को लेकर 5 सवाल तय किए हैं. साथ ही एक्‍सपर्ट कमेटी बनाने का भी सुझाव दिया है. कमेटी की रिपोर्ट आने तक अब 20 नवंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिया गया फैसला प्रभावी नहीं होगा. इस मामले पर अब अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी.

अरावली पहाड़ियों से जुड़े अहम मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा कदम उठाया है. प्रधान न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले में स्वतः संज्ञान (सुओ मोटो) लेते हुए 20 नवंबर 2025 के अपने पिछले फैसले को फिलहाल स्थगित (इन एबेयन्स) कर दिया है. कोर्ट ने साफ कहा है कि किसी भी आदेश को लागू करने से पहले निष्पक्ष और स्वतंत्र विशेषज्ञों की राय लेना जरूरी है. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत की सहायता की. कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान समेत अन्य संबंधित राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 को होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने तय किए ये 5 सवाल

क्या अरावली की परिभाषा को केवल 500 मीटर के क्षेत्र तक सीमित करना एक ऐसा संरचनात्मक विरोधाभास पैदा करता है, जिससे संरक्षण का दायरा संकुचित हो जाता है? क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा बढ़ गया है, जहां नियंत्रित खनन की अनुमति दी जा सकती है? यदि दो अरावली क्षेत्र 100 मीटर या उससे अधिक के हों और उनके बीच 700 मीटर का अंतर (गैप) हो, तो क्या उस अंतर वाले क्षेत्र में नियंत्रित खनन की अनुमति दी जानी चाहिए? पर्यावरणीय निरंतरता (इकोलॉजिकल कंटिन्यूटी) को सुरक्षित कैसे रखा जाए? यदि नियमों में कोई बड़ा कानूनी या नियामक खालीपन सामने आता है, तो क्या अरावली पर्वतमाला की संरचनात्मक मजबूती बनाए रखने के लिए विस्तृत आकलन की आवश्यकता होगी?

कोर्ट की अहम टिप्पणी

सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अरावली पहाड़ियों और अरावली रेंज की परिभाषा को लेकर कुछ गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. कोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि मौजूदा परिभाषा से कहीं कोई संरचनात्मक विरोधाभास (स्ट्रक्चरल कॉन्ट्राडिक्शन) तो पैदा नहीं हो रहा. CJI ने चिंता जताई कि अगर परिभाषा स्पष्ट नहीं हुई, तो इसका उल्टा असर यह हो सकता है कि गैर-अरावली इलाकों का दायरा बढ़ जाए, जिससे उन क्षेत्रों में बिना रोक-टोक खनन (माइनिंग) को बढ़ावा मिल सकता है. ऐसे में कोर्ट ने कहा कि पक्की और संतुलित गाइडेंस देने के लिए विशेषज्ञों की राय बेहद जरूरी है.

आगे क्या होगा

अब अगली सुनवाई तक 20 नवंबर का आदेश लागू नहीं रहेगा. एक्सपर्ट कमेटी के गठन और उसकी भूमिका पर फैसला होगा. अरावली की स्पष्ट परिभाषा और खनन को लेकर संतुलित दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे.

हाई-पावर्ड एक्सपर्ट कमेटी का प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया है कि पहले पेश की गई रिपोर्ट की दोबारा जांच के लिए डोमेन एक्सपर्ट्स की एक उच्चस्तरीय (हाई-पावर्ड) कमेटी गठित की जानी चाहिए. यह कमेटी अरावली से जुड़ी परिभाषा, पर्यावरणीय प्रभाव और खनन नियमों की गहराई से समीक्षा करेगी. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि इस विशेषज्ञ समिति की सिफारिशें आने तक, और उनके आधार पर सुप्रीम कोर्ट के किसी अंतिम निष्कर्ष तक, 20 नवंबर का आदेश लागू नहीं होगा.

अवैध खनन और पर्यावरण की चिंता

अरावली पहाड़ियां देश के सबसे पुराने पर्वत शृंखलाओं में से एक हैं और उत्तर भारत के पर्यावरण संतुलन में उनकी बड़ी भूमिका है. अरावली क्षेत्र में लंबे समय से अवैध खनन, जंगलों की कटाई और पर्यावरणीय नुकसान के आरोप लगते रहे हैं. कोर्ट की टिप्पणी से साफ है कि वह किसी भी तरह की अस्पष्टता के कारण पर्यावरण को होने वाले नुकसान को रोकना चाहता है.

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Manish Kumar

बिहार, उत्‍तर प्रदेश और दिल्‍ली से प्रारंभिक के साथ उच्‍च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्‍ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्‍लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें

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New Delhi,Delhi

First Published :

December 29, 2025, 13:15 IST

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