Russia Ukraine War News in Hindi: तीन साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. अब इस संघर्ष ने एक नया और चौंकाने वाला मोड़ ले लिया है..यूक्रेन ने रूस के भीतर ऐसा हमला किया जिसे आधुनिक दौर का ‘पर्ल हार्बर’ कहा जा रहा है. 100 से ज्यादा ड्रोन और टारगेट बने रूस के वो बॉम्बर विमान जो परमाणु हथियार तक ले जाने की ताकत रखते थे. क्या ये रूस के सैन्य दबदबे पर सबसे बड़ी चोट है? और क्या अब जंग का रुख बदलने वाला है?..देखिए ये एक्सक्लूसिव रिपोर्ट.
यूक्रेन का ऑपरेशन 'स्पाइडर वेब'
यूक्रेन की स्पेशल फोर्स ने रूस पर जबरदस्त एयरस्ट्राइक की है. ये हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश है. यूक्रेन ने दुनिया को दिखा दिया कि उसने रूस के हवाई ठिकानों को सटीकता के साथ कैसे निशाना बनाया. जमीन पर मौजूद रूसी एयरफोर्स के 41 बमवर्षक विमान तबाह कर दिए गए. खबर है कि यूक्रेन के इन ड्रोन अटैक्स में रूस के 30 फीसदी से भी ज़्यादा लॉन्ग-रेंज बॉम्बर बेड़े तबाह हो गए हैं. जिनमें TU-95, TU-22 और A-50 जैसे एडवांस हवाई रडार शामिल हैं. यूक्रेन के इन ड्रोन अटैक्स से रूस को भारी नुकसान पहुंचा है.
रूस पर 'पर्ल हार्बर' जैसा हमला!
यूक्रेन के इन हमलों की तुलना ‘पर्ल हार्बर’ से की जा रही है..क्योंकि ये बिलकुल वैसा ही सरप्राइज अटैक है जैसा 1941 में जापान ने अमेरिका के नेवल बेस पर किया था..जिसके बाद अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में कूद पड़ा था. रूस पर हुआ ये ड्रोन हमला भी उसी स्तर का माना जा रहा है. एक ऐसा हमला जिसने पूरे युद्ध का मोमेंटम हिला कर रख दिया है. ये सब ऐसे समय में हुआ है जब रूस और यूक्रेन की जंग चौथे साल में दाखिल हो चुकी है.
इस वक्त रूस-यूक्रेन का वॉर अब तक के सबसे हाई प्वाइंट पर चल रहा है. अब बात उस ऑपरेशन की जो शायद अब तक का सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है.
आकार, पैमाने और ऑपरेशनल की जटिलता को समझें तो हर मोर्चे पर यूक्रेन ने दुनिया के सामने मिसाल पेश की है. रूस के पांच अलग-अलग एयरबेस पर एक ही मोडस-ऑपरेंडी के जरिए हमले किए गए. मुरमान्स्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर जैसे दूरदराज के एयरबेस पर यूक्रेन ने ताबड़तोड़ ड्रोन अटैक किए..
यूक्रेन ने कैसे की हमले की तैयारी?
करीब 6000 किलोमीटर की दूरी और तीन अलग-अलग टाइम ज़ोन. फिर भी एक कोऑर्डिनेटेड हमला कर यूक्रेन ने पूरी दुनिया समेत अमेरिका तक को चौंका दिया.
साधारण सी प्लानिंग
हर कदम को आसान रखा गया ताकि हमले को बखूबी अंजाम तक पहुंचाया जा सके.
सावधानी से छिपाया गया मिशन
मिशन की हर जानकारी गोपनीय रखी गई ताकि दुश्मन कुछ न जान सके.
हर स्टेप की बार-बार प्रैक्टिस
हर स्टेप को दोहराकर गलतियों को दूर कर टीम ने लगातार अभ्यास किया.
टारगेटेड स्ट्राइक
बिना किसी भटकाव के लक्ष्य पर सटीक वार किया गया.
बिना किसी सैनिक के सामने आए
सैनिकों को खतरे में डाले बिना यूक्रेन ने ऑपरेशन 'स्पाइडर वेब' पूरा किया
बिना कोई बड़ा लोकेशन एक्सपोज किए
यूक्रेन ने अपने ठिकाने को छुपाए रखा और छिपकर सफलतापूर्वक हमले को अंजाम दिया गया.
यूक्रेन को पता था कि सीमावर्ती एयर-स्पेस में रूस का एयर-डिफेंस बेहद मजबूत है. ऐसे में बॉर्डर एरिया से बड़ी संख्या में ड्रोन को फ्लाई कर रूस के एयरबेस तक अटैक करने के लिए पहुंचाना टेढ़ी खीर हो सकती है.
कंटेनर को बनाया हमले का 'हथियार'!
यूक्रेन ने 100 से ज्यादा ड्रोन ऐसे शिपिंग कंटेनर्स से उड़ाए.जिनका इस्तेमाल आम तौर पर व्यापारिक माल ढोने में होता है. बिलकुल वही कंटेनर्स जो आमतौर पर बंदरगाहों पर दिखते हैं..इन कंटेनर्स को मॉडिफाई करके ड्रोन लॉन्च पैड बनाया गया. यूक्रेनी इंटेलिजेंस एजेंसी ने सड़क के रास्ते बड़ी संख्या में सिविलियन ट्रकों को रूस के पांच अलग-अलग प्रांतों में पहुंचा दिया.
यूक्रेन के इन ट्रकों में फॉल्स-सीलिंग तैयार की गई. इन फॉल्स सीलिंग में यूक्रेन ने स्वार्म ड्रोन छिपाकर रख दिए. ये ड्रोन, बम और दूसरे एक्सप्लोजिव मटेरियल से लैस थे. बॉर्डर पुलिस को चकमा देकर यूक्रेन ने इन ट्रकों को रूस के चार स्ट्रेटेजिक एयरबेस के करीब ले जाकर खड़ा कर दिया. फिर रिमोट के जरिए दूर से ही ट्रकों की सीलिंग खोलकर स्वार्म ड्रोन्स से रूसी एयरबेस पर खड़े स्ट्रेटेजिक बॉम्बर्स पर हमला कर दिया.
जैसे ही ये कंटेनर रूसी एयरबेस के पास पहुंचे ड्रोन ने अपने टारगेट्स को निशाना बना लिया. यूक्रेन के हमले से रूस के परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम विमान धू-धू कर जल उठे. यूक्रेन ने रूस के अंदर करीब 6000 किलोमीटर तक घुसकर हमला किया. वो भी चीन की सीमा से सटे एयरबेस तक. सवाल ये है कि आखिर यूक्रेन के ड्रोन इतनी दूर तक पहुंचे कैसे? रूसी एयरस्पेस में दाखिल होकर उन्होंने इतना सटीक हमला कैसे किया कि रूस चाहकर भी उन्हें रोक नहीं पाया?
इस पूरे ऑपरेशन में रूस को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा? इन ड्रोन्स में ऐसा क्या खास था, जो दुनिया की सबसे बड़ी एयर डिफेंस को चकमा देने में कामयाब रहे? आईए एक-एक सवाल का जवाब तलाशते हैं.
यूक्रेन ने कैसे दिया हमले को अंजाम?
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की ने रूस के खिलाफ ऐसी चाल चली कि मॉस्को के होश उड़ गए. कोडनेम ‘स्पाइडर वेब’ वाले गुप्त ऑपरेशन में यूक्रेन ने रूस के पांच सैन्य हवाई अड्डों पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला किया.. जिसमें 41 से ज्यादा बमवर्षक विमान तबाह हो गए.
हमले के बाद क्या बोले जेलेंस्की?
रूस पर ड्रोन अटैक को लेकर यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट किया और बताया कि हमले में 117 ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया था. जेलेंस्की ने कहा कि ये यूक्रेन का सबसे लंबी दूरी तक अंजाम दिया गया अभियान था. जेलेंस्की ने दावा किया कि रूस को काफी भारी नुकसान पहुंचा है और ये ठीक है. यूक्रेन की ये कार्रवाई इतिहास की किताबों में दर्ज होगी.
डेढ़ साल की प्लानिंग
डेढ़ साल की गुप्त योजना और जर्मनी के ग्रीन सिग्नल के बाद यूक्रेन ने सस्ते ड्रोन से रूस को सात अरब डॉलर का झटका दिया. ट्रकों में छिपे ड्रोन ने रूस की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी. जेलेंस्की ने शांति वार्ता में रूस को उलझाकर ये मास्टरस्ट्रोक खेला. जेलेंस्की ने बताया कि रूस पर ड्रोन हमले की योजना बनाने का काम 18 महीने और 9 दिन पहले शुरू हो गया था.पूरे हमले को यूक्रेन ने स्वतंत्र तौर पर अंजाम दिया.
यहां समझने वाली बात ये है कि जेलेंस्की के बयान से साफ है कि हमले की जानकारी अमेरिका को भी नहीं दी गई थी और अमेरिकी अधिकारियों को इसकी भनक भी नहीं लगी.
ऑपरेशन स्पाइडर वेब
यूक्रेन ने इस जटिल सैन्य अभियान को ऑपरेशन स्पाइडर्स वेब यानी मकड़जाल नाम दिया था. अगर स्पाइडर्स वेब या मकड़जाल नाम की वजह को डिकोड करेंगे तो पता चलता है कि यूक्रेन के हमलों का फैलाव रूस में हजारों किलोमीटर की दूरी तक था. अलग-अलग पांच एयरबेस पर एक साथ हमलों को अंजाम दिया गया. हमले की प्लानिंग सिर्फ कीव में ही नहीं बल्कि रूस की खुफिया एजेंसी के मुख्यालय के बगल में बनी. इसके लिए यूक्रेनी जासूसों ने रूसी खुफिया एजेंसी एफएसबी के एक क्षेत्रीय मुख्यालय के पास अपना केंद्र बनाया.
तस्करी के जरिए रूस पहुंचे ड्रोन्स
खबर है कि यूक्रेन ने तस्करी कर इन ड्रोन्स को रूस के अंदर पहुंचाया. यूक्रेन ने इस ड्रोन हमले को जिस तरह अंजाम दिया उससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि हो सकता है कि कंटेनर के ड्राइवरों को पता भी न हो कि वे लकड़ी के घरों के साथ हमलावर ड्रोन्स को ले जा रहे हैं.
बेहद चालाकी से बनाई हमले की योजना
पहले कुछ महीनों में यूक्रेन ने उन क्षेत्रों को निशाना बनाया, जिनके करीब रूस अपने इन बॉम्बर एयरक्राफ्ट्स को खड़ा रखता था. यूक्रेन के हमलों के बाद रूस ने इन विमानों को उन अंदरूनी एयरबेसों पर पहुंचा दिया जहां वो इन्हें बचाकर रख सके. बताया जा रहा है कि रूस ने 28 मई के आसपास अपने दर्जनभर बॉम्बर विमानों को मुरमांस्क प्रांत में ओलेन्या एयरफील्ड में पहुंचा दिया था. हालांकि, यूक्रेन ने अपने तय प्लान के तहत 1 जून को किए गए ड्रोन हमले में सबसे ज्यादा नुकसान ओलेन्या को ही पहुंचाया.
हमले के लिए कौन से ड्रोन का इस्तेमाल?
यूक्रेन का ये हमला पश्चिमी देशों को काफी कुछ सिखाने वाला है क्योंकि यूक्रेन ने जिन ड्रोन्स का इस्तेमाल किया वो साधारण क्वाडकॉप्टर्स थे लेकिन ये फर्स्ट पर्सन व्यू यानी FPV ड्रोन्स थे, जिनमें बम लगे थे.
हमले के लिए क्यों चुना FPV ड्रोन्स?
दूसरे ड्रोन्स के मुकाबले FPV ड्रोन्स छोटे होते हैं और इनके सामने कैमरा लगा होता है. इससे दूर बैठे हमलावर इन्हें सामने के दृश्यों के आधार पर संचालित करता है.
ऐसे एक ड्रोन की कीमत करीब 50 हजार से लेकर तीन लाख रुपये तक होती है. यानी यूक्रेन का ड्रोन्स पर खर्च करीब 6 करोड़ रुपये के आसपास रहा होगा. FPV ड्रोन्स के कैमरे के लाइव दृश्यों की वजह से हमलावर इनका इस्तेमाल बिल्कुल किसी एयरक्राफ्ट में उड़ान भरने के अनुभव की तरह ले सकता है और लक्ष्य पर सटीक निशाना भी साध सकता है.
रूस-यूक्रेन जंग ने अब एक नया मोड़ ले लिया है. इस बार झटका रूस को लगा है वो भी आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक तीनों मोर्चों पर. यूक्रेन ने एक साथ रूस के पांच एयरबेस को निशाना बनाते हुए 41 से ज्यादा सैन्य विमान तबाह कर दिए. यूक्रेनी एजेंसी SBU का दावा है कि इस ऑपरेशन में रूस को 7 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ है..यानी करीब 6 लाख करोड़ रुपये. क्या ये हमला जंग की दिशा बदल सकता है?
रूस को कितना बड़ा नुकसान?
यूक्रेन ने रूस के भीतर हमला कर दुनिया को चौंका दिया है. सवाल है कि रूस को यूक्रेन के इस ऑपरेशन में कितना नुकसान हुआ? आपको जानकर हैरानी होगी कि यूक्रेन ने रूस के सिर्फ लड़ाकू विमान ही नहीं, बल्कि रूस की रणनीतिक ताकत उसकी प्रतिष्ठा और उसके अरबों डॉलर की सैन्य संपत्ति को भी इस हमले में तहस-नहस कर दिया..तबाह कर दिया.
एक साथ कई मोर्चों पर हमला
यूक्रेन ने मुरमांस्क में ओलेन्या एयरबेस, इरकुत्स्क के बेलाया एयरबेस, इवानोवो के इवानोवो एयरबेस, रियाज़ान के डायगिलेवो एयरबेस और अमूर एयरबेस को सटीक निशाना बनाया. ये सभी ठिकाने रूस के स्ट्रैटेजिक बॉम्बर नेटवर्क का हिस्सा हैं..जहां से लंबी रेंज के बमवर्षक विमानों को उड़ाया जाता है. ओलेन्या एयरबेस में आग लगने की खबरें भी सामने आई हैं..हालांकि, रूस की तरफ से इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
यूक्रेनी सुरक्षा एजेंसी SBU के मुताबिक ड्रोन हमले में Tu-95 और Tu-22 जैसे बॉम्बर्स के साथ-साथ A-50 एयरबोर्न रडार एयरक्राफ्ट को भी नुकसान पहुंचाया गया. A-50 वो विमान है जो युद्ध के दौरान हवा में उड़ान के दौरान निगरानी करता है. रूस के पास ऐसे सिर्फ 10 विमान हैं. इनमें से एक की कीमत करीब 350 मिलियन डॉलर, यानी 3000 करोड़ रुपये मानी जाती है.
रूस के पास भले ही बड़ी सेना हो लेकिन यूक्रेन का ये हमला दिखाता है कि तकनीक और रणनीति के दम पर कोई भी देश सीमा पार जाकर वार कर सकता है. TU-95 और TU-160 जैसे बॉम्बर्स भले ही पुराने हैं. लेकिन ये 5000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तय कर सकते हैं. इनसे एक साथ कई मिसाइलें छोड़ी जा सकती हैं.
यूक्रेन पर और घातक हुआ रूस
इन विमानों को उड़ने से पहले ही तबाह कर देना यूक्रेन के लिए बड़ी सैन्य और मनोवैज्ञानिक जीत मानी जा रही है. यूक्रेन के हमले में पांच सैन्य एयरबेस को नुकसान हुआ है..जिनमें मुरमांस्क, इरकुत्स्क, इवानोवो, रियाज़ान और अमूर शामिल हैं. हालांकि, रूस का दावा है कि इवानोवो, रियाज़ान और अमूर में यूक्रेनी FPV ड्रोन को रोक लिया गया था..लेकिन मुरमांस्क और इरकुत्स्क में कई विमान तबाह हुए हैं.
रूस ने ये भी दावा किया है कि इन हमलों में कोई सैनिक घायल नहीं हुआ है. खबर है कि यूक्रेन ने सिर्फ रूसी एयरबेस ही नहीं बल्कि एक न्यूक्लियर सबमरीन बेस के पास भी हमला किया है. साथ ही, कुर्स्क और ब्रायंस्क इलाकों में बम गिराकर रेलवे ब्रिज को उड़ा दिया गया जिससे दो बड़े रेल हादसे भी हुए.
यूक्रेन का ये जवाबी हमला रूस के एक और बड़े हमले के ठीक बाद हुआ. यूक्रेन के हमले से कुछ घंटे पहले ही रूस ने यूक्रेन पर अब तक का सबसे बड़ा ड्रोन अटैक किया था. यूक्रेनी वायुसेना के मुताबिक रूस ने एक साथ 472 ड्रोन और 7 मिसाइलें दागीं. ये रूस का अब तक का सबसे भारी एयर अटैक माना जा रहा है. यूक्रेन पहले से ही सैनिकों की कमी से जूझ रहा है. वह अब ज्यादा सतर्क हो गया है. रूस के ड्रोन हर वक्त उसके आसमान में निगरानी कर रहे हैं और मौका पाते ही हमला कर रहे हैं.