Last Updated:December 23, 2025, 09:08 IST
West Bengal Election 2026: बंगाल में महिलाओं के लिए अलग-अलग योजनाओं का लाभ देकर ममता बनर्जी ने उन्हें अपने पाले में अब तक रखा है. यही वजह है कि उन्हें चुनावों में लगातार कामयाबी भी मिलती रही है. नए साल में अपने कोर वोट का ख्याल रखते हुए ममता महिलाओं के लिए कुछ और आकर्षक योजनाओं की घोषणा करें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी. बिहार में महिलाओ के खाते में 10 हजार भेजने का कमाल वे देख चुकी हैं.
नीतीश कुमार की तरह ममता बनर्जी ने भी महिलाओं में बना ली है मजबूत पैठ, 3 करोड़ तो सरकारी योजनाओं की लाभुक! (फाइल फोटो)पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. अगले साल यानी 2026 के अप्रैल में चुनाव संभावित है. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 7 मई 2026 को समाप्त होगा. बंगाल में इस बार वाम दलों के अलावा कांग्रेस, असदुद्दीन ओवैसी की AIMIM, तृणमूल कांग्रेस (TMC) से निष्कासित हुमायू कबीर की प्रस्तावित नई पार्टी और आईएसएफ जैसी कई पार्टियां मैदान में होंगी. पर, मुख्य मुकाबला टीएमसी और भाजपा में ही दिखता है. पिछली बार भाजपा 77 सीटें जीत कर विधानसभा में टीएमसी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बन गई थी. ममता बनर्जी ने टीएमसी के बड़ी पार्टी बनने पर सरकार तो बना ली थी, लेकिन भाजपा का बढ़ता कद उनके लिए बड़ी चुनौती है. कभी बंगाल की सत्ता पर काबिज रहे वाम दलों के मोर्चे और कांग्रेस को बीते चुनाव में खाली हाथ रह जाना पड़ा था.
PM के दौरे से बढ़ी बंगाल में सरगर्मी
इस बार चुनाव में क्या होगा, इसे लेकर अभी से अनुमान लगाए जाने लगे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी ने रविवार को बंगाल का दौरा किया. उन्हें नदियां जिले के मतुआ बहुल इलाके ताहेरपुर में जनसभा को संबोधित करना था. मौसम की खराबी के कारण उनका हेलीकाप्टर ताहेरपुर में नहीं उतर सका. फिर सड़क मार्ग से उनके जाने की योजना बनी. पर, समय की कमी को देखते हुए पीएम ने दमदम हवाई अड्डे से ही वर्चुअली सभा को संबोधित किया. इसी महीने केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के चुनावी चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह का भी बंगाल दौरा प्रस्तावित है. सब ठीक रहा तो 29-30 दिसंबर को वे भी बंगाल आ सकते हैं. इससे एक बात साफ हो गई है कि भाजपा इस बार भी पूरी ताकत के साथ बंगाल का चुनाव लड़ेगी. हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली और बिहार की जीत से भाजपा का मनोबल ऊंचा हुआ है. उसकी पूरी कोशिश होगी कि किसी भी तरह जीत का सिलसिला जारी रहे.
BJP के उभार से टेंशन में हैं ममता
बंगाल चुनाव की चर्चा में यह जानना जरूरी है कि भाजपा और टीएमसी की बंगाल में ताकत क्या है. क्यों लगातार 2011 से तृणमूल कांग्रेस को बंगाल में सफलता मिल रही है. 3 दशक से भी अधिक वक्त तक शासन करने वाले वामपंथी दल बंगाल में बिला गए हैं. कांग्रेस भी लंबे समय तक बंगाल की सत्ता में रही है, लेकिन अब वह भी वाम दलों की तरह विधानसभा से नदारद है. लोकसभा में भी इनका प्रतिनिधित्व शून्य है. वाम दलों के मोर्चे से अकुता कर लोगों ने ममता बनर्जी पर आंख मूंद कर भरोसा किया था. पर, सरकारी पैसे की लूट, भ्रष्टाचार और मुस्लिम तुष्टिकरण के कारण टीएमसी की शक्ति क्षीण हुई है. 2021 में ममता ने सरकार बनाने में कामयाबी तो हासिल कर ली, लेकिन लोकसभा चुनावों से शुरू हुआ भाजपा की बढ़त का सिलसिला पिछले विधानसभा चुनावों में भी बरकरार रहा. कभी 1-2 सीट पर सिमटी भाजपा की ताकत में जबरदस्त उछाल आया और उसकी सीटें विधानसभा में 77 पर पहुंच गईं. यह टीएमसी के लिए खतरे की घंटी है.
नीतीश कुमार की तरह ममता बनर्जी ने भी महिलाओं में बना ली है मजबूत पैठ, 3 करोड़ तो सरकारी योजनाओं की लाभुक! (फाइल फोटो)
ममता भी नीतीश कुमार की राह पर
बंगाल में ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार सीएम बनी हैं. इस बार उन्हें कामयाबी मिलती है तो वे चौथी बार सीएम बन सकती हैं. ऐसा हुआ तो वे बिहार के सीएम नीतीश कुमार के रिकार्ड के करीब पहुंच सकती हैं. यही नहीं, ठीक नीतीश कुमार की तरह ही ममता ने अपना वोट बैंक भी अलग-अलग पॉकेट में बना रखे हैं. सत्ता में आने के बाद से ममता ने आधी आबादी को अपना वोट बैंक बनाने का सिलसिला शुरू कर दिया था, जो नीतीश कुमार की रणनीति से मेल खाता है. नीतीश कुमार ने बिहार की महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई अनूठे काम कए हैं. निकाय चुनावों और नौकरियों में महिलाओं को आरक्षण, जीविक दीदियों की करीब डेढ़ करोड़ की फौज, स्कूली बच्चियों को सइकिल-पोशाक के अलावा वजीफा जैसे काम नीतीश 2005 में पहली बार सीएम बनने के बाद से ही करते रहे हैं. ममता बनर्जी भी उन्हीं के नक्शेकदम पर चलती रही हैं.
ममता बनर्जी का सियासी खेल समझें
वर्ष 2024 में हुए लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में करीब 7.60 करोड़ मतदाता थे. इनमें पुरुष मतदाता लगभग 3.85 से 3.90 करोड़ थे और महिला मतदाताओं की संख्या तकरीबन 3.70 से 3.75 करोड़ के बीच थी. यानी पुरुषों के मुकाबले थोड़ी ही कम संख्या महिला वोटरों की है. SIR के बाद इनमें कमी आने की संभावना है, लेकिन महिला-पुरुष वोटरों का अनुपात ऐसा ही रहने का अनुमान है. ममता ने महिला मतदाताओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए उन पर डोोरे डालने का काम अपने पहले कार्यकाल से ही शुरू कर दिया था. ममता की महिलाओं की योजनाओं पर गौर करें तो लक्ष्मी भंडार योजना उन्होंने फरवरी 2021 शुरू की थी. इस योजना से 25 से 60 वर्ष आयु की लगभग 2.2 करोड़ महिलाएं लाभान्वित हैं. सामान्य वर्ग की महिलाओं को सरकार हर महीने 1,000 और SC/ST वर्ग की महिलाओं को 1,200 की आर्थिक सहायता देती है. इसका भुगतान सितंबर 2021 से जारी है. ममता सरकार की लाभुक ये महिलाएं उनके लिए लगातार 3 चुनावों से तारणहार बनती रही हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिला वोटर पर फोकस कर रही हैं.
बंगाल में महिलाओं की कई योजनाएं
ममता ने पहली बार 2011 में सीएम पद की शपथ ली ती. उसके तुरंत बाद उन्होंने 2013 में पढ़ाई कर रही बच्चियों के लिए कन्याश्री प्रकल्प आरंभ किया. वार्षिक आधार पर देखें तो करीब 18 लाख लड़कियां इस योजना में स्कॉलरशिप प्राप्त करती हैं. इस योजना में 3.5 लाख लड़कियां एकमुश्त अनुदान लेती हैं. इसके अलावा ममता ने 2018 में रूपश्री प्रकल्प शुरू किया था. 2024-25 में लगभग 2.08 लाख लड़कियां रूपश्री योजना से लाभान्वित हुईं. नीतीश ने महिलाओं के सेल्फ हेल्प ग्रुप का बिहार में जीविका नामकरण किया है तो बंगाल में ममता बनर्जी ने आनंदधारा नाम दिया है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 2011 से ही यह योजना बंगाल में चल रही है. राज्य में लाखों महिलाएं प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से इस योजना से जुड़ी हुई हैं. ममता बनर्जी ने किशोरी सशक्तीकरण योजना- सबला भी 2011 में ही शुरू की थी, जो अब तक जारी है. इस योजना की लाभुक वैसी किशोरियां हैं, जिनकी उम्र 11-18 वर्ष है.
ममता की असल ताकत हैं महिलाएं
महिलाओं के लिए अलग-अलग योजनाओं का लाभ देकर ममता बनर्जी ने उन्हें अपने पाले में अब तक रखा है. यही वजह है कि उन्हें चुनावों में लगातार कामयाबी मिलती रही है. नए साल में अपने कोर वोट का ख्याल रखते हुए ममता महिलाओं के लिए कुछ और आकर्षक योजनाओं की घोषणा करें तो आश्चर्य की बात नहीं होगी. संभव है कि उन्हें मिलने वाली सहायता राशि बढ़ा दी जाए. भाजपा को ममता के किले पर कब्जा करने के लिए पहले महिलाओं को अपने पाले में करना होगा. अगर इसमें वे कामयाब रहती हैं तो चौथी बार भी उनका झंडा बुलंद रह सकता है.
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प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने ब...और पढ़ें
First Published :
December 23, 2025, 09:08 IST

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