Last Updated:September 29, 2025, 17:42 IST
MACE Observatory: लद्दाख के हानले में डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने MACE वेधशाला का उद्घाटन किया, जो एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन है और भारत की वैज्ञानिक उपलब्धि दर्शाती है.
एमएसीई प्रोजेक्ट से अंतरिक्ष के अध्ययन में काफी मदद मिलने की उम्मीद है.लद्दाख. परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के सचिव और परमाणु ऊर्जा आयोग के अध्यक्ष डॉ. अजीत कुमार मोहंती ने 4 अक्टूबर 2024 को लद्दाख के हानले में मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट (MACE) वेधशाला का उद्घाटन किया था. MACE एशिया की सबसे बड़ी इमेजिंग चेरेनकोव दूरबीन है. लगभग 4,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह दुनिया में अपनी तरह की सबसे ऊंची दूरबीन भी है. यह दूरबीन BARC द्वारा ECIL और अन्य भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेश में निर्मित की गई है. MACE वेधशाला का उद्घाटन परमाणु ऊर्जा विभाग के प्लेटिनम जयंती वर्ष समारोह का एक हिस्सा था.
औपचारिक कार्यक्रम लद्दाख के हानले स्थित MACE स्थल पर डॉ. मोहंती के आगमन के साथ शुरू हुआ. डॉ. मोहंती ने स्मारक पट्टिकाओं का अनावरण किया और MACE वेधशाला का आधिकारिक उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम में डॉ. एस. एम. यूसुफ, निदेशक, भौतिकी समूह, बार्क; ए. आर. सुले, अतिरिक्त सचिव, परमाणु ऊर्जा विभाग; प्रो. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम, निदेशक, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान; और सज्जाद हुसैन मुफ्ती, मुख्य वन संरक्षक, केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख सहित कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
स्वागत भाषण में, डॉ. एस. एम. यूसुफ ने भारत की अंतरिक्ष और ब्रह्मांडीय किरण अनुसंधान क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एमएसीई दूरबीन के महत्व पर बल दिया. परमाणु ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त सचिव अजय रमेश सुले ने हान्ले डार्क स्काई रिज़र्व (एचडीएसआर) में पर्यटन और वैज्ञानिक गतिविधियों के बीच संतुलन बनाने के महत्व पर बल दिया और छात्रों को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया. इस अवसर पर, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (आईआईए) की निदेशक, डॉ. अन्नपूर्णी सुब्रमण्यम ने परमाणु ऊर्जा विभाग और आईआईए की कई घटक इकाइयों के बीच उपयोगी सहयोगात्मक प्रयासों पर प्रकाश डाला.
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के मुख्य वन संरक्षक ज्जाद हुसैन मुफ़्ती ने हान्ले डार्क स्काई रिज़र्व की प्रमुख विशेषताओं और सामुदायिक सहभागिता पर ज़ोर दिया. उन्होंने परमाणु ऊर्जा विभाग की वैज्ञानिक गतिविधियों को समर्थन देने के लिए केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की. अपने उद्घाटन भाषण में, डॉ. मोहंती ने एमएसीई दूरबीन के निर्माण में योगदान देने वाले सामूहिक प्रयास की सराहना की। उन्होंने कहा कि एमएसीई वेधशाला भारत के लिए एक अभूतपूर्व उपलब्धि है और यह हमारे देश को वैश्विक स्तर पर ब्रह्मांडीय किरणों के अनुसंधान में अग्रणी स्थान पर रखती है. उन्होंने आगे कहा कि यह दूरबीन हमें उच्च-ऊर्जा गामा किरणों का अध्ययन करने में सक्षम बनाएगी, जिससे ब्रह्मांड की सबसे ऊर्जावान घटनाओं की गहन समझ का मार्ग प्रशस्त होगा. डॉ. मोहंती ने इस क्षेत्र में भारत के अग्रणी योगदानों की भी सराहना की, जिसमें डॉ. होमी जे. भाभा का कार्य भी शामिल है, जिनकी विरासत भारत के ब्रह्मांडीय किरणों के अनुसंधान को प्रेरित करती रहती है.
डॉ. मोहंती ने इस बात पर ज़ोर दिया कि MACE परियोजना न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने में, बल्कि लद्दाख के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. छात्रों को खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी में करियर तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया गया. डॉ. मोहंती ने आशा व्यक्त की कि MACE परियोजना भारतीय खगोलविदों, वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की भावी पीढ़ियों को प्रेरित करेगी. डॉ. मोहंती ने नंबरदारों और उनके प्रतिनिधियों, स्कूल के प्रधानाध्यापक और हानले गोम्पा के आदरणीय लामा का अभिनंदन किया. उन्होंने हानले में तैनात ग्राउंड टीम के अथक परिश्रम की तहे दिल से सराहना की.
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
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First Published :
September 29, 2025, 17:34 IST

1 month ago
