दुनिया में कोई भी देश अकेले सुरक्षित नहीं रह सकता: जनरल उपेंद्र द्विवेदी

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Last Updated:November 05, 2025, 03:54 IST

 जनरल उपेंद्र द्विवेदीसेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जंग में चुनौतियों को लेकर बात की. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को कहा कि जटिल खतरों की दुनिया में कोई भी देश अकेला सुरक्षित नहीं है और साझा डिफेंस इनोवेशन ही ‘सबसे मजबूत ढाल’ है. “इंडिया डिफेंस कॉन्क्लेव 2025” में अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि भारत की ‘ढाई मोर्चों की चुनौती’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद का सशक्तिकरण’ से सशस्त्र बलों को ‘क्रमिक विकास’ और नए सैन्य प्रणालियों के समावेश में अधिक लचीलापन प्राप्त हुआ है.

वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों, रक्षा विशेषज्ञों, उद्योग प्रतिनिधियों की भागीदारी वाले सम्मेलन को संबोधित करते हुए अपने 20 मिनट के संबोधन में उन्होंने युद्ध की बदलती प्रकृति, दक्षता विकास, रक्षा अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) में निवेश और उभरती प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया. जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘युद्ध का भविष्य किसी एक क्षेत्र या सिद्धांत से परिभाषित नहीं होगा, बल्कि इस बात से परिभाषित होगा कि हम विचारों को कितनी निर्णायक रूप से स्थायी क्षमताओं में बदलते हैं.’

उन्होंने कहा कि अवधारणा से क्षमता तक की यात्रा वास्तव में ‘निर्भरता से प्रभुत्व की ओर, भविष्य की तैयारी से उसे प्राप्त करने की ओर’ की यात्रा है. सेना प्रमुख ने कहा, ‘इस हॉल में उपस्थित मेरे सहित सभी नेताओं के लिए, अवधारणाएं हमें प्रेरित करती हैं, क्षमताएं हमारी रक्षा करती हैं. यह नेतृत्व ही है, जो यह सुनिश्चित करता है कि एक व्यक्ति दूसरे जैसा बने.’

उन्होंने रणनीतिक साझेदारियों को ‘अवसरों का सेतु’ बताया. सेना प्रमुख ने कहा कि जहां अनुसंधान एवं विकास उन चीज़ों का निर्माण करता है, जिन्हें कोई बना सकता है, वहीं रणनीतिक साझेदारी उन चीज़ों का विस्तार करती है, जिन तक कोई पहुंच सकता है. उन्होंने कहा, ‘जटिल खतरों से भरी दुनिया में, कोई भी देश अकेले सुरक्षित नहीं रह सकता. साझा रक्षा नवाचार सबसे मज़बूत ढाल है. कुछ प्रौद्योगिकियां हमें कभी भी आसानी से नहीं मिल जाएंगी. ज़रूरत है साझा लाभ और स्थानीय नियंत्रण की शर्तों के तहत सहयोग करने की.’

सेना प्रमुख ने उदाहरण देते हुए कहा कि ब्रह्मोस और के9 वज्र इसके ज्वलंत उदाहरण हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के लिए सबसे महत्वपूर्ण है ‘शून्य से एक तक’ का प्रयास. उन्होंने कहा, ‘एक बार जब यह शून्य से एक और एक से सौ हो जाता है, तो यह और भी आसान हो जाता है, क्योंकि इसके लिए प्रतिकृति, संशोधन और उन्नयन की आवश्यकता होती है. इसलिए शून्य से एक तक पहुंचने पर हमें ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, यदि ऐसा नहीं होता है, तो हमें इसे कहीं बाहर से प्राप्त करने की आवश्यकता है.’

Rakesh Ranjan Kumar

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें

राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 05, 2025, 03:54 IST

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