Last Updated:December 21, 2025, 06:50 IST
US H1-B Visa News: भारत में मौजूद अमेरिकी दूतावास ने एच-1बी वीजा के अपॉइंटमेंट अचानक से रद्द कर दिए. इस कारण हजारों भारतीय फंस गए हैं. नई वीजा नीति से देरी और असमंजस बढ़ा है. ऐसे में गूगल ने कर्मचारियों को यात्रा से बचने की सलाह दी है.
वर्क परमिट के नवीनीकरण के लिए भारत लौटे हजारों भारतीय एच-1बी वीजा धारक इस समय देश में फंसे हुए हैं.दिसंबर में वर्क परमिट के नवीनीकरण के लिए भारत लौटे हजारों भारतीय एच-1बी वीजा धारक इस समय देश में फंसे हुए हैं. अमेरिकी दूतावास और वाणिज्य दूतावासों ने अचानक उनके वीजा अपॉइंटमेंट रद्द कर दिए और नई तारीखें कई महीनों बाद की दी गई हैं. इस अप्रत्याशित देरी के चलते टेक दिग्गज गूगल ने अपने कुछ कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने की सलाह दी है, क्योंकि ‘लंबे समय तक बाहर फंसे रहने का जोखिम’ बढ़ गया है.
द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, 15 से 26 दिसंबर के बीच जिन भारतीयों के अपॉइंटमेंट तय थे, उनमें से ‘सैकड़ों, संभवतः हजारों’ लोग इस फैसले से प्रभावित हुए हैं. अपॉइंटमेंट रद्द किए जाने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी, जिससे यात्रियों और कंपनियों दोनों में असमंजस की स्थिति बन गई.
गूगल ने अपने कर्मचारियों से क्या कहा?
इस बीच गूगल के एक आंतरिक मेमो ने स्थिति की गंभीरता को और उजागर कर दिया. कंपनी हर साल करीब 1,000 एच-1बी वीजा कर्मचारियों को नियुक्त करती है. मेमो में कर्मचारियों को चेतावनी दी गई कि जिन्हें अमेरिका लौटने के लिए वीजा स्टैंप की जरूरत है, वे फिलहाल देश से बाहर न जाएं, क्योंकि वीजा प्रोसेसिंग का समय काफी बढ़ गया है. रॉयटर्स के अनुसार, सितंबर में भी अल्फाबेट ने अपने कर्मचारियों को अंतरराष्ट्रीय यात्रा से बचने और एच-1बी धारकों को अमेरिका में ही रहने की सलाह दी थी. हालांकि, गूगल ने इस पर तत्काल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी.
हिंदुस्तान टाइम्स (HT) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अपॉइंटमेंट दोबारा तय किए जाने के पीछे अमेरिका की नई वीजा-जांच नीति को कारण माना जा रहा है. इस नीति के तहत आवेदकों की सोशल मीडिया गतिविधियों और ‘ऑनलाइन मौजूदगी’ की गहन समीक्षा की जा रही है. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि यह प्रक्रिया उन आवेदकों की पहचान के लिए है जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम बन सकते हैं.
ट्रंप के फैसले ने कैसे बढ़ाई मुसीबत?
यह घटनाक्रम एच-1बी कार्यक्रम को लेकर चल रहे विवादों की एक और कड़ी है. कभी अमेरिकी आव्रजन नीति की रीढ़ माने जाने वाले इस कार्यक्रम के तहत उच्च-कुशल पेशेवरों को अमेरिका में काम और रहने की अनुमति मिलती थी. एच-1बी वीजा पाने वालों में 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय हैं. हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके कई सहयोगियों ने इसे लेकर सख्त रुख अपनाया है, जो व्यापक एंटी-इमिग्रेशन नीति का हिस्सा माना जा रहा है. सितंबर में ट्रंप प्रशासन ने नए एच-1बी आवेदनों पर 1 लाख डॉलर का शुल्क भी लगाया था.
द वॉशिंगटन पोस्ट से बातचीत में एक इमिग्रेशन वकील ने इस स्थिति को ‘अब तक की सबसे बड़ी अव्यवस्था’ बताया. उनका कहना है कि अचानक अपॉइंटमेंट रद्द होना और लंबी देरी न सिर्फ कर्मचारियों, बल्कि अमेरिकी कंपनियों के लिए भी बड़ी परेशानी बन गया है.
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An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 21, 2025, 06:50 IST

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