Explainer: टेकऑफ करते हुए कैसे क्रैश हो जाता है प्लेन, पायलट का रोल कितना अहम

1 day ago

Last Updated:June 12, 2025, 14:39 IST

टेकऑफ करते हुए अहमदाबाद में एयर इंडिया का प्लेन क्रैश हो गया. आखिर टेकऑफ के वक्त विमान दुर्घटनाएं क्यों होती हैं. पायलट की भूमिका कितनी अहम होती है.

 टेकऑफ करते हुए कैसे क्रैश हो जाता है प्लेन, पायलट का रोल कितना अहम

हाइलाइट्स

टेकऑफ के दौरान 35% विमान हादसे होते हैं.टेकऑफ में पायलट की भूमिका बेहद अहम होती हैटेकऑफ के दौरान 65% हादसे मानवीय भूल से होते हैं.

अहमदाबाद में एयर इंडिया का विमान लंदन के लिए उड़ान भरने के लिए हवाई पट्टी पर था. टेकऑफ करते हुए प्लेन पीछे से टकराया और ये क्रैश हो गया. आखिर टेकऑफ करते हुए प्लेन कैसे क्रैश हो जाते हैं. दरअसल विमान के उड़ान भरने के समय को एविएशन को सबसे क्रिटिकल माना जाता है. आंकड़ों के मुताबिक दुनिया में होने वाली कुल विमान दुर्घटनाओं में करीब 35% हादसे टेकऑफ या उसके ठीक बाद होते हैं. जबकि उड़ान के बाकी हिस्से में यह दर बहुत कम होती है.

सवाल – अक्सर टेकऑफ के समय विमान कैसे हादसे का शिकार हो जाता है?
– क्योंकि टेकऑफ के वक्त विमान ग्राउंड से हाई स्पीड पकड़ रहा होता है. पायलट को सीमित वक्त में कई अहम फैसले लेने होते हैं. इंजन, रनवे, मौसम और विमान के सिस्टम पर सबसे ज्यादा दबाव होता है. कोई भी छोटी चूक या गड़बड़ी बड़ी दुर्घटना में बदल सकती है.

सवाल – इस दौरान क्रैश की क्या वजहें हो सकती हैं?
– इंजन फेल होना – टेकऑफ के दौरान इंजन अपनी अधिकतम क्षमता पर होता है. इस वक्त इंजन में कोई भी तकनीकी खामी (जैसे बर्ड हिट, फ्यूल प्रेशर समस्या या मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट) फौरन दुर्घटना का कारण बन सकती है.
पायलट की गलती – पायलट की गलती एविएशन क्रैश का एक बड़ा कारण है. खासकर तब जबकि टेकऑफ के समय अगर पायलट स्पीड, रनवे लिफ्ट ऑफ पॉइंट या पिच एंगल का गलत आंकलन करे. इमरजेंसी में सही निर्णय नहीं ले सके तो ये दुर्घटना का कारण बन सकता है. इंटरनेशनल एविएशन रिपोर्ट्स के अनुसार, टेकऑफ और लैंडिंग में होने वाले अधिकांश क्रैश में मानवीय भूल की भूमिका होती है.

सवाल – क्या टेकऑफ के समय तकनीक खराबी की भी कोई भूमिका हो सकती है?
– बिल्कुल हो सकती है. कई बार विमान के लैंडिंग गियर, हाइड्रोलिक्स, ऑटोथ्रॉटल सिस्टम या एयरस्पीड इंडिकेटर में फॉल्ट टेकऑफ के दौरान उभरता है.
चूंकि टेकऑफ पर बहुत कम वक्त होता है. सिस्टम का भरोसेमंद रहना बेहद जरूरी है, ऐसे में कोई भी खराबी फौरन खतरनाक साबित होती है.

सवाल – क्या खराब मौसम की वजह से भी टेकऑफ के दौरान प्लेन क्रैश होने की आशंका होती है?
– टेकऑफ के दौरान तेज हवा, थंडरस्टॉर्म, विजिबिलिटी कम होना या माइक्रोबर्स्ट (अचानक तेज हवा का नीचे की ओर झोंका) जैसी घटनाएं दुर्घटना का बड़ा कारण बनती हैं. माइक्रोबर्स्ट टेकऑफ करते विमान को अचानक नीचे की तरफ धकेल सकती है.

सवाल – क्या इस दौरान कोई बाधा भी हादसा को न्योता दे सकती है?
– अगर टेकऑफ के दौरान रनवे पर कोई वाहन, पक्षी या अन्य विमान आ जाए, तो पायलट के पास रिस्पॉन्स करने का बहुत कम समय होता है.

सवाल – टेकऑफ के दौरान क्रैश का प्रोसेस कैसे होता है?
-ये प्रक्रिया इस तरह होती है
– विमान रनवे पर तेजी से दौड़ना शुरू करता है
निर्धारित स्पीड (V1) तक पहुंचने से पहले अगर कोई गड़बड़ी आती है, तो टेकऑफ रोक दी जाती है.
– V1 स्पीड पार होते ही टेकऑफ रोकना खतरनाक हो जाता है. इसके बाद विमान को टेकऑफ करना ही होता है.
– इस बीच इंजन में खराबी, बर्ड हिट या सिस्टम फेलियर हो जाए तो पायलट को कुछ सेकंड में निर्णय लेना होता है कि टेकऑफ जारी रखें या
विमान को किसी तरह रनवे पर रोकने की कोशिश करें.
– गलत निर्णय या देरी हादसे का कारण बनती है.
– टेकऑफ में पायलट की भूमिका
– टेकऑफ के दौरान पायलट का काम सिर्फ विमान उड़ाना नहीं, बल्कि हर सेकंड हर सिस्टम की स्थिति पर नजर रखना होता है.

सवाल – टेकऑफ के दौरान पायलट की भूमिका कितने हिस्सों में बंटी होती है?
– टेकऑफ के दौरान पायलट की भूमिका 3 हिस्सों में बंटी होती है
टेकऑफ प्लानिंग -मौसम रिपोर्ट, रनवे कंडीशन, वजन और फ्यूल लेवल का आंकलन. V1, VR (rotate speed) और V2 (safe climb speed) तय करना. इमरजेंसी प्लान बनाना कि अगर टेकऑफ के वक्त कुछ गड़बड़ हुई तो क्या किया जाएगा.
रनवे पर ध्यान – स्पीड इंडिकेटर और थ्रॉटल पावर लेवल देखना. हर इंजन की RPM और टेम्परेचर मॉनिटर करना. बर्ड हिट, रनवे बाधा या साइडविंड का ध्यान रखना.
इमरजेंसी रिस्पॉन्स – अगर टेकऑफ के वक्त इंजन फेल हो, बर्ड हिट हो, सिस्टम अलार्म बजे, तो पायलट को सेकंड्स में टेकऑफ कंटीन्यू या अबॉर्ट का निर्णय लेना होता है.
यहां पायलट की ट्रेनिंग, अनुभव और मानसिक स्थिरता सबसे ज्यादा मायने रखती है।

सवाल – क्यों टेकऑफ के वक्त क्रैश में पायलट को ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है?
– टेकऑफ की पूरी प्रक्रिया पायलट के नियंत्रण में होती है. हर फैसला सेकंड्स में लेना पड़ता है. टेकऑफ में ऑटो-पायलट नहीं होता, सारा मैन्युअल कंट्रोल रहता है. टेकऑफ की प्लानिंग और इमरजेंसी स्क्रिप्ट भी पायलट के प्लान पर ही निर्भर करती है. इसीलिए अगर टेकऑफ के दौरान क्रैश हो, तो एविएशन एक्सपर्ट्स सबसे पहले पायलट के निर्णय और प्रतिक्रिया की जांच करते हैं.

सवाल – आंकड़े क्या कहते हैं?
इंटरनेशनल सिविल एविएशन ऑर्गनाइजेशन (ICAO) के मुताबिक 65% टेकऑफ दुर्घटनाएं मानवीय भूल होती हैं तो 20% तकनीकी खराबी की वजह से. 10 फीसदी मौसम जिम्मेवार होता है और 5% अन्य कारण से होती हैं.

संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

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