DNA Analysis: वृंदावन में आस्था बनाम रास्ता का विवाद जल्द ही सुलझा लिया जाएगा. इसकी उम्मीद ज्यादा है. लेकिन आस्था और धर्म के नाम पर होने वाले हमले रुक जाएंगे. इस बात की उम्मीद ना के बराबर है और ये बात भारत से अमेरिका तक लागू होती है. पिछले 24 घंटे में बंगाल से लेकर अमेरिका तक धर्म के नाम पर हमले हुए. बंगाल में हिंदुओं पर चुन-चुनकर हमला हो रहा है तो बंगाल से साढ़े 12 हजार किलोमीटर दूर अमेरिका के कोलोराडो में यहूदियों को जिंदा जलाने की कोशिश हुई है. इसलिये हम कह रहे हैं कि क्या अमेरिका अब दुनिया का नया बंगाल बन गया है?
धार्मिक हिंसा में बंगाल और अमेरिका कैसे एक जैसे हैं अब इसे समझिए. दुनिया को धार्मिक स्वतंत्रता का ज्ञान देने वाले अमेरिका में यहूदियों को जिंदा जलाने की कोशिश हुई है और बंगाल के सिलीगुड़ी में हिंदू परिवार पर जानलेवा हमला किया गया. अमेरिका में हमला हमास समर्थकों ने किया तो बंगाल में अटैक हिंदू विरोधी कट्टरपंथियों ने किया है.
#DNAWithRahulSinha | बंगाल में हिंदू और US में यहूदी..खतरे में! क्या अमेरिका..दुनिया का नया 'बंगाल' है?
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— Zee News (@ZeeNews) June 2, 2025
अमेरिका में यहूदियों पर टारगेट
-अमेरिका में एक-दो नहीं बल्कि 6 यहूदियों को टारगेट करके उनपर पेट्रोल बम जैसा अटैक हुआ. आप ध्यान से पढ़िए. वहां जिंदा इंसानों को आग से जलाने की कोशिश हुई तो बंगाल में हिंदू परिवार पर धारदार हथियार से हमला हुआ और यहां तक कि 3 साल का एक बच्चा भी घायल हो गया है. मानसिकता यहां भी वैसी ही है बच्चों को छोड़ा नहीं गया है.
हमास समर्थकों ने यहूदियों को बनाया निशाना
-अमेरिका में यहूदियों ने हमास के वर्ष 2023 के हमले का विरोध किया तो हमास समर्थकों ने यहूदियों को निशाना बनाया. जबकि बंगाल में गोमांस की तस्करी के खिलाफ आवाज उठाने के बाद हिंदू परिवार के घर और दुकान को निशाना बनाया गया है. यानी ऐसा लग रहा है मानो अमेरिका और बंगाल दुनिया में दो ऐसी जगहें हैं जहां पर धर्म के नाम पर निर्दोष लोगों को टारगेट किया जा रहा है. दोनों घटनाओं में समानताएं हैं. ये देखकर आपको लगेगा कि बंगाल से अमेरिका तक कट्टरपंथियों के हमले का स्टाइल एक जैसा है.
- अमेरिका में अल्पसंख्यक यहूदियों को निशाना बनाया गया और बंगाल में कट्टरपंथियों के टारगेट पर हिंदू हैं. जो बहुसंख्यक होने के बावजूद भी सुरक्षित नहीं हैं.
-अमेरिका में यहूदियों पर अटैक करनेवाले हमास प्रेमी सेफ हैं. इसी तरह बंगाल में मजहबी कट्टरपंथियों पर कोई खतरा नहीं हैं. खतरा सिर्फ हिंदुओं को है, जो शांतिपूर्ण तरीके से रहना चाहते हैं.
- अमेरिका में हमले का आरोपी मोहम्मद साबरी ने यहूदियों पर हमला किया. यहूदियों की गलती बस इतनी थी कि वो इजरायल में हुए हमास के हमले का विरोध कर रहे थे. इसी तरह बंगाल में हिंदुओं ने गोमांस की तस्करी करनेवालों का विरोध किया तो उनपर अटैक हो गया. यहां बिना बताये ही आप समझ गये होंगे कि हिंदुओं पर हमला किस गुट ने किया है.
- अमेरिका में हुए हमले को अमेरिका में सीधे-सीधे यहूदी विरोधी बताया जा रहा है. यानी ज्यादातर लोगों की सहानुभूति यहूदियों के साथ है. हालांकि बंगाल की पुलिस ने हिंदुओं पर हमला करनेवाले 7 लोगों को गिरफ्तार किया है. लेकिन मुर्शिदाबाद में हिंदुओं पर हुए हमले के बाद सामने आये हालात देखकर कहा जा सकता है बंगाल में हिंदुओं की हालत अमेरिका में रहने वाले यहूदियों से भी गई गुजरी है.
अमेरिका में हमला करनेवाला आरोपी गिरफ्तार
अमेरिका में हमला करनेवाला आरोपी मोहम्मद साबरी गिरफ्तार हो चुका है..और बंगाल में भी आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है पर क्या बंगाल और अमेरिका में कट्टरपंथियों के खिलाफ कड़ा फैसला लेकर ऐसी मिसाल बनाई जाएगी जिससे आगे ऐसे हमले ना हो. इसकी गारंटी मिलना मुश्किल है. धर्म के नाम पर हमलों को लेकर अमेरिका और बंगाल के बीच इस चिंताजनक समानता पर हमने एक मिनी रिपोर्ट तैयार की है. क्योंकि इससे ये साफ हो रहा है कि बंगाल और अमेरिका एक जैसे हैं उनमें कोई अंतर नहीं है.
कहने के लिये अमेरिका एक लोकतांत्रिक देश है जहां पर सभी नागरिकों को समान अधिकार हैं. पर ये तस्वीरें बता रही हैं कि अमेरिका भी अब बंगाल की तरह एक अशांत इलाका बन गया है. अमेरिका की घरेलू जांच एजेंसी FBI ने भी इसे यहूदियों निशाना बनाकर किया गया आतंकी हमला बताया है. वहां यहूदियों के खिलाफ लगातार नफरत बढ़ रही है. और ये वहां से आ रहे आंकड़ों में भी दिख रहा है.
- वर्ष 2023 में अमेरिका में हेट क्राइम के 11 हजार 8 सौ से ज्यादा मामले सामने आये हैं. इसमें यहूदियों के खिलाफ 8 हजार 8 सौ से ज्यादा घटनाएं हुईं. जो वर्ष 2022 के मुकाबले 140 प्रतिशत ज्यादा थीं. और अमेरिका में यहूदियों को इससे पहले कभी इतना ज्यादा टारगेट नहीं किया गया था. पहली बार ऐसा हुआ है. अमेरिका में धर्म के आधार पर भेदभाव के हर 10 में से करीब 7 मामले यहूदियों के साथ होते हैं.
अगर आपको ये आंकड़े कम लग रहे हैं तो ये बात समझ लीजिये कि ये सौ फीसदी सही आंकड़े नहीं हैं. क्योंकि अमेरिका में भी ऐसी बहुत घटनाएं होती हैं जिन्हें रिपोर्ट नहीं किया जाता है. और अमेरिका की जो सरकार दुनिया भर के देशों को धार्मिक स्वतंत्रता और भेदभाव के आंकड़े दिखाकर लेक्चर देती है. दूसरे देशों की रैंकिंग निकालकर वहां किसी खास धर्म के खतरे में होने के दावे करती है. उसी अमेरिका के हालात देखकर आप भी मानेंगे कि चिराग तले अंधेरा की कहावत जरूर अमेरिका के लिये ही लिखी गई है.
- इजरायल के बाद यहूदियों की सबसे ज्यादा आबादी अमेरिका में है. अमेरिका में करीब 75 लाख यहूदी रहते हैं जो वहां की जनसंख्या का सिर्फ 2 दशमलव 4 प्रतिशत है. लेकिन आबादी इतनी कम होने के बाद भी धर्म के आधार पर होने वाले 60 फीसदी से ज्यादा मामलों के शिकार यहूदी ही बनते हैं.
इसका मतलब है कि खुद को मानवाधिकार का चैंपियन बताने वाला अमेरिका अब एक ऐसा देश बनता जा रहा है. जहां सिर्फ ट्रंप और उनके आक्रामक समर्थक ही सुरक्षित हैं. पर आम लोगों को ये सिक्योरिटी नहीं मिलती है. अमेरिका में हमास प्रेमी गिरोह तो सुरक्षित है लेकिन इजरायल के लोग सेफ नहीं हैं. वहां खालिस्तानी सुरक्षित हैं पर भारतीय दूतावास. भारतीय मूल के हिंदुओं और मंदिरों पर अक्सर खतरा मंडराता रहता है.