Last Updated:June 04, 2025, 16:23 IST
State vs Central Govn Tax : वित्त आयोग के चेयरमैन ने कहा है कि राज्यों ने एक बार फिर टैक्स में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर केंद्र सरकार के बराबर करने की बात कही है. इससे इकनॉमी पर क्या असर पड़ सकता है.

राज्यों और केंद्र के बीच टैक्स का बंटवारा अभी 41 और 59 फीसदी होता है.
हाइलाइट्स
राज्यों ने टैक्स में हिस्सेदारी 50% करने की मांग की.वर्तमान में राज्यों को कर राजस्व का 41% हिस्सा मिलता है.राज्यों की हिस्सेदारी बढ़ने से केंद्र के बजट पर असर पड़ेगा.नई दिल्ली. राज्यों ने एक बार फिर केंद्र सरकार से टैक्स में हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है. यह जानकारी वित्त आयोग के मौजूदा चेयरमैन ने दी. 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने बुधवार को कहा कि देश के 28 में से 20 से अधिक राज्यों ने आयोग से केंद्र और राज्यों के बीच टैक्स वसूली की हिस्सेदारी को बढ़ाकर 50 फीसदी करने का आग्रह किया है. राज्यों का मकसद है कि उन्हें भी केंद्र की ही तरह टैक्स वसूली में आधी हिस्सेदारी मिले.
देश के विभिन्न राज्यों में परामर्श यात्रा के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ पहुंचे 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन पनगढ़िया ने कहा कि वर्तमान में राज्यों को कर राजस्व का 41 फीसदी हिस्सा मिलता है, जबकि बाकी 59 फीसदी हिस्सा केंद्र के पास जाता है. पनगढ़िया ने कहा कि पिछले वित्त आयोग ने राज्यों के लिए कर राजस्व में 41 फीसदी हिस्सा और केंद्र के लिए 59 प्रतिशत निर्धारित किया था, जिसे अब बराबार किए जाने की मांग उठने लगी है.
यूपी सहित 22 राज्य शामिल
वित्त आयोग के चेयरमैन ने कहा कि अन्य राज्य सरकारों की तरह उत्तर प्रदेश सरकार ने भी राजस्व में हिस्सेदारी को मौजूदा 41 फीसदी से बढ़ाकर 50 फीसदी करने की मांग की है. देश के 28 में से 22 से अधिक राज्यों ने यही मांग की है. हालांकि, उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि राष्ट्रपति को भेजी जाने वाली वित्त आयोग की सिफारिशों में इसे शामिल किया जाएगा या नहीं. पनगढ़िया ने कहा कि अभी तक यह परंपरा रही है कि वित्त आयोग की सिफारिशों को यथावत स्वीकार किया जाता था, लेकिन अब इसे जरूरत के हिसाब से ही मंजूरी दी जाती है.
क्या काम करेगा वित्त आयोग
16वें वित्त आयोग का गठन संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत 31 दिसंबर, 2023 को किया गया था. इसका प्राथमिक कार्य एक अप्रैल, 2026 से शुरू होने वाली पांच साल की अवधि के लिए केंद्र और राज्यों के साथ-साथ राज्यों के बीच कर राजस्व के वितरण की सिफारिश करना है. आयोग द्वारा 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट पेश किए जाने की संभावना है. इसकी सिफारिशें वर्ष 2026-27 से 2030-31 तक के लिए होंगी.
मई में कितनी रही टैक्स वसूली
पिछले महीने यानी मई में हुई कुल जीएसटी वसूली में केंद्र सरकार को 35,434 करोड़ रुपये मिले, जबकि राज्य का हिस्सा 43,902 करोड़ रुपये रहा है. इसके अलावा एकीकृत जीएसटी लगभग 1.09 लाख करोड़ रुपये रहा. इसमें उपकर से राजस्व 12,879 करोड़ रुपये रहा है. इस तरह, मई में कुल जीएसटी वसूली 1,72,739 करोड़ रुपये थी. एकीकृत जीएसटी में राज्यों को भी हिस्सा मिलता है और इसी हिस्से को राज्यों ने बढ़ाकर आधा-आधा करने की बात कही है.
इकनॉमी पर क्या होगा असर
अभी राज्यों को आर्थिक रूप से कोई परेशानी होने पर केंद्र उनकी सहायता करता है, लेकिन उसकी टैक्स की कमाई कम होने पर इसके लिए बजट में कमी आएगी. इसके अलावा केंद्र सरकार हर साल पूरे देश के लिए बजट जारी करती है, जिसमें राज्यों को ही ज्यादातर हिस्सा मिलता है. अगर राज्य टैक्स में बराबर हिस्सेदारी लेंगे तो केंद्र के पास इन खर्चों के लिए ज्यादा पैसे नहीं होंगे. चुनावी प्रचार के दौरान राज्य सरकार तमाम मुफ्त योजनाओं की भी घोषणा की जाती है और टैक्स में उनकी हिस्सेदारी बढ़ाने पर इस तरह की फ्रीबीज का चलन और बढ़ सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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