DNA: क्या ईरान की हार में है पाकिस्तान की हार? लंच के बाद अमेरिकी अधिकारियों से हुआ था ये जिक्र

4 hours ago

DNA Analysis: महिला जासूसों की ये कहानियां दिखाने के बाद अब हम आपके लिए पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर के उस डर का विश्लेषण करने वाले हैं. जिसका सीधा कनेक्शन ईरान-इजरायल युद्ध से है. हमने 19 जून के DNA में आपको पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप की मुलाकात से जुड़ी खबर दिखाई थी. अब हम आपको इस मीटिंग के बाद सामने आए उस डर से जुड़ी खबर दिखाने जा रहे हैं जिसे पाकिस्तान के आर्मी चीफ ने खुद अपनी जुबान से जाहिर किया था.

अमेरिकी मीडिया में आईं रिपोर्ट्स के मुताबिक ट्रंप के साथ लंच के बाद मुनीर ने कुछ अमेरिकी अधिकारियों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात में मुनीर ने कहा था. अगर युद्ध में ईरान हारता है तो उससे क्षेत्रीय अस्थिरता फैलेगी और उसका असर पाकिस्तान पर भी होगा. अब आपके अंदर भी सवाल उठ रहा होगा आखिर ईरान की हार से पाकिस्तान को क्या नुकसान होने वाला है. इस सवाल का जवाब छिपा है पाकिस्तान और ईरान के नक्शे की लकीरों के बीच जिसे देखना आपके लिए बेहद जरूरी है.

पाकिस्तान और ईरान तकरीबन 900 किलोमीटर का बॉर्डर साझा करते हैं और इस सीमा पर दोनों तरफ ऐसे विद्रोही गुट हैं. जो पाकिस्तान और ईरान के खिलाफ बगावत कर चुके हैं. ईरान की तऱफ जंदुल्ला, जैश उल अद्ल, अंसार अल फुरकान मौजूद हैं तो पाकिस्तान की तऱफ बलूच लिबरेशन आर्मी और बलूच लिबरेशन फ्रंट जैसे गुट सक्रिय हैं. इन सभी बागी संगठनों में ज्यादातर लड़ाके बलोच हैं. इसी वजह से पाकिस्तान को डर है. अगर ईरान हारा तो सीमा पार मौजूद बलोच बागी संगठन पाकिस्तान में सक्रिय हो जाएंगे. अगर ऐसा हुआ तो पहले से अस्थिर हो चुके बलोचिस्तान की आजादी का रास्ता खुल सकता है.

 | ईरान की हार में 'पाकिस्तान की हार' कैसे है?

ट्रंप के साथ लंच के बाद अमेरिकी अधिकारियों से मिले थे असीम मुनीर, बातचीत के दौरान ईरान का किया था जिक्र। मुनीर को ईरान के बलोच बागियों का पाकिस्तान पहुंचने का डर?#DNA #IranIsraelWar #Pakistan #AsimMunirpic.twitter.com/BpiJ1BXtoB

— Zee News (@ZeeNews) June 20, 2025

बलोचिस्तान में बगावत की लपटें इतनी तेज हो चुकी हैं कि पाकिस्तानी फौज बलोचिस्तान में बड़े सैन्य अभियान चलाने के लिए मजबूर हो गई है. अमेरिका के बड़े अखबार NEWYORK TIMES ने बलोचिस्तान में पाकिस्तानी फौज के अभियानों पर एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट छापी है. जिसे देखना और समझना आपके लिए बेहद जरूरी है इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तानी फौज अब बलोचिस्तान और खाइबर पख्तून्ख्वा इन में लगातार ड्रोन स्ट्राइक कर रही है. इन हमलों के लिए छोटे FPV ड्रोंस इस्तेमाल किए जा रहे हैं. साथ ही साथ पाकिस्तानी फौज सुसाइड ड्रोन और अटैक ड्रोन का भी इस्तेमाल कर रही है. इन ड्रोन हमलों में कितने बागी मारे गए हैं.

इसकी जानकारी पाकिस्तानी फौज ने भी नहीं दी है लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक कम से कम 55 नागरिक ऐसे ड्रोन हमलों के शिकार हो चुके हैं. ये ठीक उसी किस्म का सैन्य अभियान है जैसा वर्ष 2014 में किया गया था. 2014 में तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ पाकिस्तानी फौज ने ऑपरेशन जर्ब ए अज्ब चलाया था. इस ऑपरेशन के दौरान ऐसा पहली बार हुआ था कि पाकिस्तानी वायुसेना ने अपनी ही धरती पर बमबारी की थी. तकरीबन 3 साल तक चले इस ऑपरेशन में तहरीक-ए-तालिबान के 35 सौ बागी मारे गए थे. जबकि पाकिस्तानी फौज के करीब 5 सौ फौजी ढेर हो गए थे.

तीन साल तक सैन्य अभियान चलाने के बावजूद पाकिस्तानी फौज टीटीपी के बागियों को पूरी तरह खत्म नहीं कर पाई थी. अब पाकिस्तान के सामने दो चुनौतियां हैं. तहरीक-ए-तालिबान और बलोच बागी जिनके हमलों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है. अगर सिर्फ वर्ष 2024 की बात करें तो पहले 6 महीनों के अंदर बलोचिस्तान में बागियों ने 210 हमले किए हैं. जबकि खाइबर पख्तून्ख्वा में ये आंकड़ा है 228 बलोच बागियों के हमले में पाकिस्तान के 315 सुरक्षाकर्मी मारे जा चुके हैं.

जबकि खैबर पख्तून्ख्वा में TTP ने पाकिस्तान के 173 सुरक्षाकर्मियों की हत्या कर दी. बागियों के हमले बढ़ रहे हैं फौज को ज्यादा नुकसान हो रहा है और लोगों के बीच अलगाववाद की भावना में इजाफा हो रहा है. मुनीर को पता है अगर किसी भी मोर्चे पर इन बागियों को अतिरिक्त मदद मिल गई तो पाकिस्तानी फौज के लिए बलोचिस्तान जैसे इलाकों पर दबदबा रखना मुश्किल हो जाएगा और इसी वजह से मुनीर दुआ कर रहा है. चाहे कुछ भी हो जाए बस युद्ध में ईरान का वजूद बच जाए.

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