DNA: उसे कीमत चुकानी पड़ेगी...क्या है इजरायल का प्लान! कैसा होगा बदला?

4 hours ago

DNA Analysis: ईरान अगर इजरायल के शहरों पर मिसाइलें दाग रहा है तो इसका ये मतलब नहीं है, कि इजरायल चुप है वो अपने तरीके से ईरान के शहरों को खासकर सैन्य ठिकानों को टारगेट कर रहा है. फर्क सिर्फ इतना है कि इजरायल पर हमले वाले वीडियो सोशल मीडिया पर ज्यादा सर्कुलेट हो रहे हैं, ज्यादा शेयर किये जा रहे हैं और ईरान पर हमले वाले वीडियो के सर्कुलेट होने की रफ्तार इजरायल की मिसाइल की रफ्तार जितनी तेज नहीं है. इसलिए, ये बिल्कुल मत समझिएगा कि तबाही सिर्फ इजरायल में मची है. सच ये है कि ईरान भी लहूलुहान है, इस बीच इजरायल ने सीधे खामेनेई को धमकी दी है. 

ईरान ने गुरुवार से इजरायल पर जो हमले शुरू किए हैं, उससे इजरायल हिल गया है. अब वो कह रहा है कि खामेनेई को जीने का हक नहीं है, उसे कीमत चुकानी पड़ेगी. क्या इजरायल के पास इतनी ताकत है कि वो ईरान को सबक सिखा सके? ट्रंप को तो अब तक इजरायल के सपोर्ट में कूद जाना चाहिए था लेकिन वो सोचने के लिए दो हफ्ते का समय ले रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि युद्ध चाहे इजरायल के लिए हो या ईरान के लिए, बहुत महंगा होता है. ऐसे में इजरायल के पास क्या लंबे समय तक लड़ाई लड़ने की तैयारी है?

ईरान जिन शक्तिशाली मिसाइलों से हमले कर रहा है उन्हें रोकने के लिए इजरायल जिन इंटरसेप्टर्स का इस्तेमाल कर रहा है, हर दिन उनकी लागत 10 से 200 मिलियन डॉलर यानी 80 करोड़ से 17 अरब रुपए तक बैठ रही है. ईरान ने इन दो दिनों में ही इजरायल को जितना नुकसान पहुंचाया है उनकी मरम्मत और पुनर्निमाण के खर्च का ही अगर हम अंदाजा लगाएं तो वो 400 मिलियन डॉलर के आसपास ठहरता है. जाहिर है कि इतनी लागत वाले युद्ध को ज्यादा लंबा खींचने की बजाए इजरायल इसे जल्दी खत्म करना चाहेगा. इसका एक तरीका है किसी तरह से खामेनेई का खात्मा. जिसके बाद ईरान खुद सरेंडर कर देगा.

हालांकि खामेनेई का खात्मा तभी संभव है जब इजरायल ईरानी मिसाइल हमलों का जवाब दे सके. गुरुवार से पहले तक ईरान जिन मिसाइलों से हमले कर रहा था उन्हें रोकना इजरायल के आयरन डोम और डेविड स्लिंग जैसे एयर डिफेंस सिस्टम के लिए संभव था लेकिन  क्या इजरायल के पास उन मिसाइलों का जवाब देने की ताकत है जो ईरान ने गुरुवार से  ईरान पर दागने शुरू कर दिए हैं? क्योंकि ये वो मिसाइलें हैं जो टारगेटेड हैं और एक साथ कई तरह के लक्ष्यों को भेदने में सक्षम हैं.

ऐसे में इजरायल को जरूरत है अमेरिकी सपोर्ट की अमेरिका का 'थाड' सिस्टम सउदी अरब में तैनात हैं उन्हें मंगवाकर इजरायल ईरान के इन मिसाइलों को आसानी से रोक सकता है. लेकिन सवाल ये है कि अमेरिका फिलहाल इस बात को लेकर कंफ्यूज है कि वो इजरायल के समर्थन में कूदे या नहीं वाइट हाउस ने दो हफ्ते में फैसला लेने की बात कह कर इजरायल की टेंशन बढ़ा दी है. ट्रंप के लिए कंफ्यूजन की एक वजह यह भी है कि रुस और चीन ये इशारा कर चुके हैं कि अमेरिका का युद्ध में कूदना विनाशकारी होगा.

राष्ट्रपति पुतिन ने यह धमकी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से एक घंटे तक फोन पर बातचीत के बाद दी है. ऐसे में ईरानी हमलों का बदला इजरायल कैसे लेगा, इस पर सबकी नजरें लगी होंगी. दोनों देशों के बीच जारी जंग में रोजाना कौन कितनी मिसाइलें चला रहा है. ये जानकारी तो आपको लगातार दी जा रही है लेकिन इसके साथ-साथ आज हम आपको इस युद्ध में हर दिन होने वाले खर्च की जानकारी देंगे. इजरायल इस युद्ध में हर रोज 725 मिलियन डॉलर यानी 6300 करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. पहले दो दिनों में ही इजरायल ने 593 मिलियन डॉलर खर्च कर दिए. रोज के हिसाब से इंटरसेप्टर मिसाइलों की लागत 200 मिलियन डॉलर है.

| US बिना इजरायल उठा पाएगा युद्ध का खर्चा? ट्रंप कंफ्यूज, अकेला इजरायल कितना मजबूत?

अमेरिका को ईरान से खतरा? @RahulSinhaTV pic.twitter.com/I9ieFqBAKd

— Zee News (@ZeeNews) June 20, 2025

अगर हम रोज का खर्च 6300 करोड़ रुपये के हिसाब से देखें तो भारत जैसे देश में इतने खर्चे में हर रोज 100 करोड़ की लागत से 63 अस्पताल बनाए जा सकते हैं. एक अनुमान के मुताबिक भारत में स्मार्ट सिटी बनाने का खर्च 10 हजार करोड़ रुपए है. इस लिहाज से इतने खर्चे में करीब डेढ़ दिन के युद्ध के खर्चे से एक स्मार्ट सिटी बनाई जा सकती है. 500 किलोमीटर तक की एक बुलेट ट्रेन चलाई जाए तो उसका खर्चा 93 हजार 5 सौ करोड़ रुपए है. इस लिहाज से 15 दिन के युद्ध के खर्चे से 1 बुलेट ट्रेन चलाई जा सकती है.

आबादी और दायरे के लिहाज से अगर हम देखें तो ईरान की 8.8 करोड़ की आबादी के सामने इजरायल की आबादी सिर्फ 90 लाख है. ईरान एक बड़ा देश है जो 16 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है जबकि इजरायल 22 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है लेकिन आज के युग की लड़ाई में 'साइज' से ज्यादा 'शार्पनेस' अहम है. एक्यूरेसी और शार्पनेस के मामले में इजरायल ईरान से 20 ठहरता है. इजरायल के पास 250 विमान हैं, जो अमेरिकी और यूरीपीय शक्तियों से लैस हैं. ईरान के पास 350 विमान हैं लेकिन वे पुराने रुसी तकनीक से लैस हैं लेकिन वे बेहद पुराने और आउटडेटेड हो चुके हैं इजरायल के बेड़े में एफ-15, एफ-16, एफ-35 जैसे स्टील्थ जेट विमान हैं.

इजरायल के पास आयरन डोम, डेविड स्लिंग, एरो- 3 जैसे हाईटेक एयर डिफेंस सिस्टम हैं. दूसरी तरफ इजरायल के पास मल्टी वारहेड मिसाइल तकनीक है. इजरायल पर किए गए हमले में कुछ ऐसी मिसाइलें भी मिली हैं जिनके बारे में आशंका है कि वे MIRV तकनीक वाली हैं जो दुनिया में अमेरिका, रूस समेत कुछ ही देशों के पास हैं. इजरायल के ड्रोन भी काफी हाईटेक हैं. हर्नीस 900 अपनी एक्यूरेसी के लिए जाने जाते हैं, नौसेना छोटी है लेकिन पनडुब्बियों और मिसाइलों से लैस है. दूसरी तरफ इजरायल ड्रोन के मामले में इजरायल से बहुत पीछे है नौसेना भी छोटी है लेकिन पनडुब्बियों से लैस है. थल सेना के मामले में जब मुकाबला साइज का हो तो इजरायल पर ईरान भारी पड़ता है. ईरान के पास 6 लाख सैनिक और 2 लाख रिवोल्यूशनरी गार्ड्स हैं. इजरायल के पास 1 लाख 70 हजार ऐक्टिव और 4 लाख रिजर्व सैनिक हैं.

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