Last Updated:June 12, 2025, 11:29 IST
Lawrence Bishnoi Interview: गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने खरड़ के CIA ऑफिस में पुलिस कस्टडी के दौरान टीवी इंटरव्यू रिकॉर्ड किया था. पुलिसकर्मियों की मिलीभगत, लापरवाही और साजिश की परतें SIT जांच में सामने आईं.

लॉरेंस बिश्नोई
हाइलाइट्स
पुलिस कस्टडी में बिश्नोई ने मोबाइल और वाईफाई से इंटरव्यू रिकॉर्ड किया.ASI और हेड कांस्टेबल ने लॉकअप से बाहर निकलने में मदद की.जांच में पुलिस अफसरों की मिलीभगत और लापरवाही साफ़ उजागर हुई.चंदीगढ़: ये किसी वेब सीरीज की स्क्रिप्ट नहीं, बल्कि पंजाब की असल पुलिस फाइलों से निकली एक चौंकाने वाली हकीकत है. कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई ने जब खरड़ के CIA थाना परिसर में बैठकर एक धमाकेदार टीवी इंटरव्यू रिकॉर्ड किया, तब वह पुलिस कस्टडी में था. लेकिन ये इंटरव्यू ऐसे ही नहीं हुआ– इसके पीछे पुलिस के अंदर से ही कुछ ऐसे चेहरे सामने आए जिन्होंने न सिर्फ बिश्नोई को आजादी दी, बल्कि इंटरव्यू के लिए मोबाइल, इंटरनेट और जगह भी मुहैया करवाई. अब एक सरकारी जांच में सामने आया है कि इस पूरे ऑपरेशन में कैसे पुलिस के ही लोग बिश्नोई को VIP ट्रीटमेंट दे रहे थे.
…और गैंगस्टर बन गया ‘रिपोर्टर’
3 और 4 सितंबर 2022 की रात को, जब पूरा शहर सो रहा था, खरड़ का CIA थाना एक ऐसा स्पॉट बना, जहां देश के सबसे चर्चित गैंगस्टरों में से एक लॉरेंस बिश्नोई एक मोबाइल फोन के जरिए अपने इंटरव्यू रिकॉर्ड कर रहा था. वो भी आराम से, बिना किसी डर के. और इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात ये थी कि उसे ये करने से रोकने वाला कोई नहीं था, बल्कि कुछ पुलिसकर्मी उसकी मदद ही कर रहे थे.
पुलिस लॉकअप से निकलकर ऑफिस रूम में बैठा बिश्नोई
टाइम्स और इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, जांच में साफ हुआ कि ASI मुख्तियार सिंह ने खुद बिश्नोई को लॉकअप से बाहर निकलने दिया. और ये कोई तकनीकी गलती नहीं थी, बल्कि जानबूझकर किया गया ‘फेवर’. उसके बाद हेड कांस्टेबल ओम प्रकाश ने उसे CIA ऑफिस रूम में बैठाया, जहां इंटरव्यू रिकॉर्ड हुआ. यही नहीं, उस कमरे में पहले से वाई-फाई कनेक्शन भी था, जिसका पासवर्ड ओम प्रकाश ने बिश्नोई को दिया.
बिश्नोई ने वहां Samsung Galaxy A21S मोबाइल से पूरा इंटरव्यू रिकॉर्ड किया और इंटरनेट से अपलोड भी किया. ये सब उस ऑफिस से हुआ जहां देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसियां आकर रिपोर्ट लेती हैं.
12 घंटे की ड्यूटी में रहे सिर्फ 40 मिनट
DSP समर वनीत को उस रात की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा गया था. उन्हें रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक ‘कैम्प कमांडर’ की भूमिका निभानी थी. लेकिन वो सिर्फ 9:45 बजे से 10:25 बजे तक ही वहां रहे. इसके बाद मोबाइल लोकेशन के अनुसार वो सीधे अपने घर चले गए.
जांच रिपोर्ट में कहा गया कि DSP वनीत की ये लापरवाही गंभीर है, और इससे साफ है कि उन्होंने जिम्मेदारी को गंभीरता से नहीं लिया.
पुलिस स्टेशन बना बिश्नोई का मीडिया स्टूडियो
ये पूरा मामला एक बड़े ‘सिस्टम फेल्योर’ को सामने लाता है. कहीं कोई ड्यूटी रोस्टर नहीं था, किसी की निगरानी तय नहीं थी, और कुछ पुलिसवाले मनमाने तरीके से ड्यूटी छोड़कर चले जाते थे. इतना ही नहीं, जांच में पाया गया कि AGTF (एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स) के जवानों की भी बिश्नोई के पास ‘अप्रूव न की गई’ पहुंच थी. वो बारी-बारी से आते-जाते थे और बिश्नोई से नज़दीकी बनाए रखते थे, पर कहीं कोई रजिस्टर या ऑफिशियल एंट्री नहीं थी.
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New Delhi,Delhi