Last Updated:November 10, 2025, 16:04 IST
Seemanchal 24 Seats Voting: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के दूसरे और अंतिम चरण का मतदान सीमांचल क्षेत्र के 4 जिलों की 24 सीटों पर भी होने जा रहा है. इस फेज की वोट बिहार की सत्ता का भविष्य तय करेगा. कटिहार, किशनगंज, पूर्णिया और अररिया के इन इलाकों में 40 से 70% तक मुस्लिम वोटर हैं. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने इन सीटों पर पूरी ताकत झोंक दी है.
सीमांचल का किंग कौन?Bihar Second Phase Voting: बिहार चुनाव 2025 में दूसरे फेज यानी अंतिम चरण की 122 सीटों पर कल वोटिंग होने वाली है. इस चरण में सबसे निर्णायक और जटिल मुकाबला सीमांचल की 24 सीटों पर देखा जा रहा है. कटिहार की 7 सीटें, पूर्णिया की 7 सीटें, अररिया की 6 सीटें और किशनगंज की 4 सीटों पर महाबंधन के साथ-साथ एनडीए की भी नजर है. यह इलाका बांग्लादेश और नेपाल से सटा होने के कारण राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है. इस क्षेत्र की 47% आबादी मुस्लिम है, जिसमें कई सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या 70% तक पहुंच जाती है. ऐसे में इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा, यह पूरी तरह से असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम की रणनीति और प्रभाव पर निर्भर करता है.
सीमांचल की ये 24 सीटें पारंपरिक रूप से आरजेडी-कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन के लिए एक मजबूत गढ़ रही हैं, क्योंकि उनका आधार मुस्लिम-यादव समीकरण पर टिका है. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की एआईएमआईएम ने यहां 5 सीटें जीतकर महागठबंधन के समीकरण को ध्वस्त कर दिया था. इस बार भी एआईएमआईएम 15 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ रही है और उसका पूरा दमखम दिखाई दे रहा है.
ओवैसी के हाथ में आएगी सत्ता की चाबी?
ओवैसी की पार्टी इस बार भी सीधे तौर पर मुस्लिम वोटों में बंटवारा कर रही है. इससे महागठबंधन के उम्मीदवारों को नुकसान होता नजर आ रहा है. खासकर किशनगंज, जोकीहाट, अमौर और बायसी जैसी सीटों पर. मुस्लिम वोट बंटने से एनडीए के बहुसंख्यक वोट एकजुट होकर जीत दिला सकते हैं, भले ही उनका वोट शेयर कम ही क्यों न हो. जमीन पर सुरजापुरी और शेरशाहवादी मुसलमानों के बीच स्थानीय रुझान अलग-अलग हैं, जिससे वोट एकजुट नहीं हो पा रहा है. एनडीए इस आंतरिक मतभेद को ‘लोकल बनाम बाहरी’ जैसे मुद्दों से और तेज कर रहा है.
योगी-मोदी और शाह की जोड़ी का दिखेगा जलवा
सीमांचल की 24 सीटों पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का प्रचार, गृह मंत्री अमित शाह और पीएम मोदी का घुसपैठिया पर दिया बयान काफी चर्चा में है. ऐसे में नेताओं के भाषणों से ध्रुवीकरण की संभावना इस बार भी बढ़ गई है. ध्रुवीकरण होने से सीधे तौर पर एनडीए को लाभ मिलता है और महागठबंधन के उम्मीदवार कमजोर पड़ते हैं.
क्या कहते हैं जानकार?
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सीमांचल की 24 सीटों का परिणाम बिहार की सत्ता के लिए बहुत अहम है. 2020 में एआईएमआईएम को छोड़कर महागठबंधन ने इन 24 सीटों में से 12 सीटें जीती थीं. आरजेडी को पता है कि सत्ता तक पहुंचने के लिए उसे अपने इस गढ़ में कम से कम 18-20 सीटें जीतनी होंगी. इसलिए तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने यहां अंतिम समय में पूरी ताकत झोंक दी.
वहीं, एनडीए का लक्ष्य यहां जीतना कम और महागठबंधन को नुकसान पहुंचाना ज्यादा है. पिछले चुनाव में एनडीए को सिर्फ 6 सीटें मिली थीं. इस बार भाजपा को उम्मीद है कि ओवैसी और ध्रुवीकरण के चलते उनकी संख्या 10 के पार जा सकती है. 2020 में जीती गई 5 सीटों में से 4 विधायकों के आरजेडी में शामिल होने के बावजूद ओवैसी ने हार नहीं मानी है. वह मुस्लिम युवाओं की उस नाराजगी को भुनाना चाहते हैं, जो कांग्रेस और आरजेडी पर सिर्फ वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने का आरोप लगाती है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
November 10, 2025, 16:04 IST

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