Last Updated:July 24, 2025, 15:12 IST
Jagdeep Dhankhar Resigns Reason : 2022 में धनखड़ को जगदीप धनखड़ जब उपराष्ट्रपति बने तो वह पीएम मोदी के कट्टर समर्थक थे. धनखड़ ने 21 जुलाई को उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया. इस्तीफे से ...और पढ़ें

नई दिल्ली. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अपने पद से अचानक इस्तीफे देने के बाद नए वाइस प्रेसिडेंट के चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है. कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत और सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का नाम रेस में है. धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 को समाप्त होना था. 2022 में जब धनखड़ को उपराष्ट्रपति बने तो वह पीएम मोदी के कट्टर समर्थक थे. राजनीतिक और प्रशासक की दोहरी भूमिका को निभाते थे. उन्होंने अपनी यह छवि पश्चिम बंगाल का गवर्नर रहने के दौरान ही बना ली थी. ममता बनर्जी सरकार से कई मुद्दों पर उनकी ठनी. अब तीन साल के भीतर उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा की टाइमिंग की सवाल उठ रहे हैं.
आधिकारिक रूप से कहा गया कि उन्होंने स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के चलते इस्तीफा दिया है. अनाधिकारिक रूप से कई बातें मीडिया में चल रही हैं, जो बताती है कि सरकार और उनके बीच भरोसा टूट चुका था. एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, धनखड़ और सरकार के बीच पिछले साल से ही मतभेद बढ़ने लगे थे. इस्तीफे का तात्कालिक कारण वह समय बना जब उन्होंने जस्टिस वर्मा पर महाभियोग चलाए जाने के फैसले पर सरकार के साथ जाने से इनकार कर दिया. मानसून सत्र शुरू होने के पहले कई मंत्रियों ने धनखड़ से मुलाकात की थी.
उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ विपक्ष के प्रस्ताव पर आगे न बढ़ने का अनुरोध किया था. स्पष्ट रूप से यह भी बताया था कि लोकसभा में प्रस्ताव लाया जाएगा. उनसे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के मामले को न उठाने की भी बात भी कही गई थी. सूत्रों ने बताया, ‘हमने उन्हें प्रतीक्षा करने को कहा. हम दस्तखत करने के लिए तैयार हैं. न्यायिक जवाबदेही बीजेपी का मुख्य मुद्दा रहा है ऐसे में विपक्ष इसका क्रेडिट कैसे ले सकता है लेकिन धनखड़ कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं के प्रभाव में आकार अपना मन बना चुके थे.’
धनखड़ से तीन बार मिले थे तीन केंद्रीय मंत्री
इस बीच तीन केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, किरण रिजिजू और अर्जुन राम मेघवाल उपराष्ट्रपति धनखड़ से तीन बार मिले थे. उन्होंने हर बार यही कहा कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सत्ता पक्ष के सांसदों के हस्ताक्षर भी शामिल किए जाएं. यह एजेंडा सर्वसमति से तय हुआ था. मेघवाल ने धनखड़ से साफ कहा कि सरकार को विश्वास में लिया जाना जरूरी है. धनखड़ अपने फैसले पर अडिग रहे. सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ सोमवार को विपक्ष के नेताओं से भी मिले. प्रस्ताव पर हस्ताक्षर भी लिए और यह भी कहा कि वह इस प्रस्ताव को राज्यसभा में सदन के भीतर पढ़ेंगे.धनखड़ के रुख ने सरकार की चिंता बढ़ा दी.
एक बीजेपी एमपी ने बताया, ’21 जुलाई सोमवार को राज्यसभा में तनाव तब चरम पर पहुंच गया जब विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने पहलगाम आतंकी हमले का मुद्दा उठाया. धनखड़ ने उन्हें बोलने की अनुमति दे दी. जेपी नड्डा को अपनी बात रखने से उन्होंने बीच में रोक दिया. प्रोटोकॉल के मुताबिक नड्डा को अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए था.’
इसके बाद जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू सोमवार शाम 4:30 बजे होने वाली दूसरी बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके बाद ही जगदीप धनखड़ ने इस्तीफा देने का फैसला किया. रात साढ़े नौ बजे के करीब धनखड़ प्रोटोकॉल तोड़ते हुए राष्टपति भवन पहुंच गए. उन्हें 30 मिनट इंतजार करने के लिए कहा गया. फिर राष्ट्रपति से मुलाकात करने उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया.
पहले भी हुआ था टकराव
सूत्र बताते हैं कि धनखड़ और सरकार के बीच टकराव अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस के दौरे पर देखने को मिला था. धनखड़ ने कहा था कि वह वांस के साथ वन-टू-वन मुलाकात करेंगे. इसके अलावा, धनखड़ राष्ट्रपति के समान विशेषाधिकारों की मांग कर रहे थे. मंत्रियों के कार्यलयों में अपनी तस्वीर, अपनी फ्लीट की गाड़ियों में मर्सडीज को शामिल करवाना चाहते थे.
An accomplished digital content creator and Planner. Creating enhanced news content for online and social media. Having more than 10 years experience in the field of Journalism. Done Master of Journalism from M...और पढ़ें
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