Last Updated:April 13, 2025, 20:56 IST
Bihar Chunav News: '2025 फिर से नीतीश' नारा बिहार की सियासत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने इसे सच्चाई बताया. पीएम मोदी के मधुबनी दौरे से पहले बीजेपी की रणनीति पर क्यों सवाल उठ रहे ह...और पढ़ें

पीएम मोदी से पहले क्यों गूंजने लगा है '2025 फिर से नीतीश' वाला नारा?
हाइलाइट्स
'2025 फिर से नीतीश' नारा बिहार में चर्चा का केंद्र बना.ललन सिंह ने '2025 फिर से नीतीश' नारे को सच्चाई बताया.पीएम मोदी के मधुबनी दौरे से पहले बीजेपी की रणनीति पर सवाल.पटना. ‘2025 फिर से नीतीश’ ये नारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 24 अप्रैल को मधबनी आने से पहले जेडीयू कार्यकर्ताओं और नेताओं के जुबान पर खूब सुने जा रहे हैं. रविवार को केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने भी यही नारा दोहराया. उन्होंने साफ कर दिया कि ‘2025 फिर से नीतीश’ नारा नहीं सच्चाई है.’ पीएम मोदी की मधुबनी में होने वाली रैली से पहले यह नारा बिहार की सियासत में चर्चा का केंद्र बना हुआ है. यह नारा न केवल जेडीयू और नीतीश कुमार के समर्थकों के बीच उत्साह पैदा कर रहा है, बल्कि यह सवाल भी उठा रहा है कि क्या यह नारा वाकई में बिहार चुनाव 2025 में सच्चाई बनने जा रहा है? क्या यह नारा भारतीय जनता पार्टी की मजबूरी का नतीजा है?
केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह के बयान ने एक बार फिर से इस चर्चा को और हवा दी है. इस नारे के मायने और इसके पीछे की सियासी गणित समझना बड़ा मुश्किल है. नीतीश कुमार की सियासी हैसियत को बीजेपी परखने में भूल कर रही है या फिर बीजेपी की यह सोची समझी रणनीति है,जो बिहार चुनाव में अहम रोल निभाएगा? नीतीश कुमार बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले नेता बन गए हैं. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह का सबसे ज्यादा दिन का रिकॉर्ड काफी पहले नीतीश कुमार ब्रेक कर चुके हैं. अभी भी बिहार में नीतीश कुमार की छवि एक विकास पुरुष के रूप में की जाती है, जिसने बिहार में सड़क, बिजली, और कानून-व्यवस्था जैसे क्षेत्रों में बड़ा काम किया.
‘2025 फिर से नीतीश’ नारे के मायने?
लेकिन बीजेपी को डर इस बात की है कि उनकी ‘पलटीमार पॉलिटिक्स वाली छवि’ चुनाव से पहले और चुनाव के बाद गठबंधन बदलने की रणनीति उन्हें नुकसान न कर दे. हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने 12 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो एनडीए के लिए महत्वपूर्ण थी. केंद्र में बीजेपी को पूर्ण बहुमत न मिलने की स्थिति में नीतीश की भूमिका और मजबूत हुई. यह स्थिति 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में भी उनकी अहमियत को दर्शाती है.
बीजेपी की डर या चाल?
बीजेपी ने 2024 में भले ही बिहार में 12 सीटें जीतीं, लेकिन राज्य में पार्टी का कोई मजबूत चेहरा नहीं है. सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा जैसे नेताओं ने अपनी पहचान बनाई है, लेकिन नीतीश की तरह जनता के बीच उनकी स्वीकार्यता पूरी तरह से नहीं सीमित है. ऐसे में बीजेपी के लिए नीतीश को सामने रखना एक रणनीतिक कदम है.बिहार में एनडीए की जीत के लिए नीतीश का अनुभव और उनकी सामाजिक इंजीनियरिंग कुर्मी, कोइरी और अति-पिछड़ा वोट बैंक जरूरी है.
ललन सिंह ने बयान क्यों दिया?
ऐसे में ललन सिंह का बयान जेडीयू कार्यकर्ताओं में जोश भरने का प्रयास भी है. नीतीश के नेतृत्व पर भरोसा जताकर जेडीयू यह संदेश देना चाहती है कि वह बीजेपी की ‘जूनियर पार्टनर’ नहीं है. ललन सिंह ने यह भी कहा कि ‘नीतीश का हाथ जिसके साथ, वही बिहार में सत्ता में होता है’ यह बयान जेडीयू की सियासी ताकत को बताता है. ऐसे में ललन सिंह का बयान विपक्ष राजद और तेजस्वी यादव के लिए भी एक संदेश है. हालांकि 74 साल के हो चुके नीतीश कुमार की सेहत एक बड़ा फैक्टर होने वाला है.
कुलमिलाकर ‘2025 फिर से नीतीश’ का नारा केवल एक सियासी नारा नहीं, बल्कि बिहार की जटिल राजनीति का प्रतीक है. ललन सिंह का बयान इस नारे को मजबूती देता है, लेकिन यह सच्चाई बनेगा या नहीं, यह कई फैक्टर्स पर निर्भर करता है. एनडीए की एकता, नीतीश की रणनीति और विपक्ष की ताकत. फिलहाल, नीतीश कुमार बिहार की सियासत के केंद्र में बने हुए हैं और बीजेपी उनकी इस हैसियत को नजरअंदाज नहीं कर सकती. यह नारा सच्चाई और मजबूरी दोनों का मेल लगता है, जिसका अंतिम जवाब 2025 के चुनाव नतीजे देंगे.
Location :
Patna,Patna,Bihar
First Published :
April 13, 2025, 20:56 IST