Last Updated:November 20, 2025, 12:01 IST
Falcons tagged in Manipur: मणिपुर से टैग किए गए तीन अमूर फाल्कन ने बिना रुके 3000 किलोमीटर से ज्यादा का अरब सागर पार किया. सैटेलाइट डेटा से उनकी ऊंची और लगातार उड़ान, स्टॉपओवर और मौसम चुनने की रणनीति का पता लगाया गया.
फाल्कन ने 3000 किलोमीटर उड़ान भरी. मणिपुर: तामेंगलोंग जिले से टैग किए गए तीन अमूर फाल्कन ने इस साल की अपनी अद्भुत माइग्रेशन यात्रा पूरी कर ली है. इन छोटे पर मजबूत पक्षियों ने महाद्वीप, समंदर और लगातार बिना रुके घंटो की उड़ान—सबको मात देते हुए अपना रूट सफलतापूर्वक पार किया है. रिसर्च टीम को मिला नया सैटेलाइट डेटा बताता है कि इनकी उड़ान कितनी सटीक और योजनाबद्ध होती है.
कैसे शुरू हुई ट्रैकिंग
मणिपुर के तामेंगलोंग में शोधकर्ताओं ने अपापंग, आहू और अलांग नाम के तीन पक्षियों को 3.5 ग्राम के बेहद हल्के ट्रांसमीटर के साथ टैग किया. ये डिवाइस उनकी हर मूवमेंट को सैटेलाइट के जरिए रिकॉर्ड करते रहे.
इन्हें टैग करने का मकसद ये समझना था कि अमूर फाल्कन आखिर किन रूटों से गुजरते हैं, कितनी ऊंचाई पर उड़ते हैं और कब-कब ब्रेक लेते हैं.
अरब सागर को बिना रुके पार करना
इन तीनों पक्षियों की यात्रा का सबसे कठिन हिस्सा अरब सागर था. जहां इंसान जहाज और जहाज वाले भी डरते हैं, वहां ये छोटे फाल्कन बिना किसी रुकावट के उड़ते चले गए.
अपापंग लंबी उड़ान के बाद केन्या पहुंचा. आहू ने सोमालिया में सुरक्षित लैंडिंग की. अलांग ने भी वही मुश्किल रूट अपनाया और सफलतापूर्वक समुदर पार किया.
इनकी इस यात्रा की सबसे खास बात यह है कि तीनों ने 3,000 किलोमीटर से भी लंबा ओपन सी यानी खुला समंदर एक ही बार में पार कर लिया. वैज्ञानिकों के मुताबिक यह किसी भी पक्षी के लिए दुनिया की सबसे कठिन माइग्रेशन फ्लाइट्स में से एक है.
ये सफर इतना अहम क्यों है
अमूर फाल्कन हर साल पूर्वोत्तर भारत में रुकते हैं और यहां भरपूर खाना खाकर ताकत जुटाते हैं. इसी ऊर्जा की बदौलत वे समुद्र के ऊपर की लंबी, नॉनस्टॉप उड़ान भर पाते हैं.
मणिपुर में पिछले कुछ सालों में शिकार पर लगाम लगी है और स्थानीय समुदाय भी इन पक्षियों की सुरक्षा में आगे आए हैं. इसी वजह से इनका माइग्रेशन अब पहले की तुलना में ज्यादा सुरक्षित हुआ है.
अमूर फाल्कन कौन होते हैं
अमूर फाल्कन रूस और चीन में प्रजनन करते हैं. इसके बाद वे सर्दियां बिताने अफ्रीका के पूर्वी और दक्षिणी हिस्सों तक पहुंचते हैं. इनके यात्रा मार्ग में एशिया, भारत, अरब सागर और अफ्रीका—चार अलग-अलग भौगोलिक इलाके शामिल होते हैं.
भारतीय कानूनों के तहत इन पक्षियों को संरक्षित प्रजाति माना जाता है. लंबी दूरी उड़ने की क्षमता इन्हें माइग्रेटरी बर्ड्स की दुनिया में खास बनाती है.
वैज्ञानिकों को क्या पता चला
सैटेलाइट डेटा से साफ हुआ कि ये पक्षी समुद्र पार करते समय बहुत ऊंचाई पर लगातार उड़ते रहते हैं.
डेटा से ये जानकारियां भी सामने आईं:
ये कब उड़ान शुरू करते हैं कब गति बढ़ाते हैं किस मौसम में कौन-सा रूट चुनते हैं कौन-से स्टॉपओवर पॉइंट इनके लिए जरूरी हैंये सारी जानकारी दुनिया भर में फैली उन टीमों के लिए जरूरी है जो माइग्रेटरी बर्ड्स के संरक्षण का काम करती हैं. वैज्ञानिक आने वाले महीनों में और पक्षियों को टैग करने की तैयारी में हैं. अगला कदम यह समझना है कि इतनी लंबी लगातार उड़ानों में ये फाल्कन अपनी ऊर्जा कैसे मैनेज करते हैं.
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First Published :
November 20, 2025, 12:01 IST

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