Last Updated:June 10, 2025, 10:56 IST
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में 12 जून को महागठबंधन की बैठक होगी, इस बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों पर चर्चा के साथ ही सीट बंटवारे...और पढ़ें

12 जून को तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में महागठबंधन की बैठक
पटना. आगामी 12 जून को राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में महागठबंधन की चौथी महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है. जानकारी के अनुसार, यह बैठक बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों और गठबंधन के भीतर समन्वय को मजबूत करने के लिए बुलाई गई है. इस बैठक में सीट बंटवारे जिला स्तर पर समन्वय और साझा न्यूनतम कार्यक्रम (कॉमन मिनिमम प्रोग्राम) जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है. तेजस्वी यादव के नेतृत्व में यह बैठक महागठबंधन की एकजुटता और रणनीति को परखने का एक महत्वपूर्ण अवसर होगी. महागठबंधन की इस बड़ी बैठक को लेकर बिहार की सियासी हलचल एक बार फिर तेज हो गई है.
बता दें कि महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और वामदल जैसे प्रमुख घटक दल शामिल हैं. ऐसे में इन सियासी दलों ने वर्ष 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं. बताया जा रहा है कि 12 जून की बैठक पटना में तेजस्वी यादव के आवास पर होगी जिसमें इन सभी सहयोगी दलों के नेताओं को आमंत्रित किया गया है. यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि गठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं. कांग्रेस ने 70 सीटों और वीआईपी ने 60 सीटों की मांग की है, जबकि भाकपा माले ने हर जिले में अपने उम्मीदवार उतारने की इच्छा जताई है. ऐसे में तेजस्वी यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षाओं को संतुलित करना होगा.
तेजस्वी यादव की बड़ी भूमिका
तेजस्वी यादव को पहले ही महागठबंधन की समन्वय समिति का अध्यक्ष चुना जा चुका है और यह बैठक उनकी नेतृत्व क्षमता को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगी. बीते अप्रैल 2025 में पटना में हुई पहली बैठक में तेजस्वी को गठबंधन का नेता घोषित किया गया था और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने भी उनके नेतृत्व को स्वीकार किया था. वहीं, तेजस्वी यादव ने बार-बार जोर दिया है कि गठबंधन के सभी दलों को एकजुट होकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का मुकाबला करना होगा. उन्होंने विधायकों को जनता के बीच अधिक समय बिताने और विकास कार्यों को उजागर करने का निर्देश दिया है, ताकि जंगलराज जैसे पुराने नैरेटिव को तोड़ा जा सके. हालांकि, अभी तक सीएम फेस को लेकर कांग्रस की ओर से रुख साफ नहीं किया गया है.
महागठबंधन में सीट बंटवारे की चुनौती
महागठबंधन के सामने सबसे बड़ा पेंच सीट बंटवारे का है. वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में भाकपा माले ने 19 सीटों पर चुनाव लड़कर 12 सीटें जीती थीं, जिससे उनका स्ट्राइक रेट प्रभावशाली रहा. अब माले 38 से अधिक सीटों की मांग कर रही है जो आरजेडी के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है. दूसरी ओर वीआईपी के नेता मुकेश सहनी ने भी अपनी पार्टी की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग की है. हालांकि, उनकी गठबंधन में रहने की प्रतिबद्धता पर सवाल उठते रहे हैं. कांग्रेस भी कम से कम 70 सीटों की उम्मीद कर रही है जिससे गठबंधन के भीतर तनाव बढ़ रहा है. सत्ता पक्ष एनडीए इस आंतरिक खींचतान का फायदा उठाने की कोशिश में है और महागठबंधन को अस्थिर गठबंधन करार दे रहा है.
चुनावी रणनीति और बिहार के बड़े मुद्दे
कांग्रेस के आरोपों के सुर में सुर मिलाते हुए तेजस्वी यादव ने हाल ही में केंद्र सरकार और एनडीए पर संवैधानिक संस्थाओं को नियंत्रित करने का आरोप लगाया है. उन्होंने 2020 के चुनावों में कथित गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए कहा कि महागठबंधन को सरकार बनानी चाहिए थी, लेकिन परिणामों में हेरफेर किया गया. इसके अतिरिक्त तेजस्वी यादव ने आरक्षण को 85% तक बढ़ाने की मांग उठाई है, जो सामाजिक न्याय के मुद्दे को चुनावी रणनीति का हिस्सा बन सकता है. गठबंधन की रणनीति में बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को प्रमुखता देने की योजना है, ताकि जनता के बीच एनडीए सरकार के खिलाफ नाराजगी को भुनाया जा सके. 12 जून की बैठक में सीट बंटवारे पर औपचारिक चर्चा के साथ-साथ जिला स्तर पर समन्वय की समीक्षा होगी.
महागठबंधन की आगे की सियासी राह
तेजस्वी यादव ने स्पष्ट किया है कि गठबंधन में किसी भी तरह का विरोधाभास नहीं होना चाहिए. हालांकि, मुकेश सहनी और पशुपति पारस जैसे नेताओं की उपस्थिति या अनुपस्थिति पर सभी की नजरें टिकी हैं, क्योंकि उनके गठबंधन में बने रहने या एनडीए की ओर जाने की अटकलें जोरों पर हैं.महागठबंधन की 12 जून की बैठक बिहार की सियासत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है. तेजस्वी यादव के सामने न केवल गठबंधन को एकजुट रखने की चुनौती है, बल्कि एनडीए के खिलाफ एक मजबूत वैकल्पिक नैरेटिव पेश करने की जिम्मेदारी भी है. यदि महागठबंधन सीट बंटवारे और रणनीति पर सहमति बना लेता है तो यह 2025 के चुनाव में एनडीए के लिए कड़ी चुनौती पेश कर सकता है. लेकिन आंतरिक खींचतान और सहयोगी दलों की महत्वाकांक्षाएं गठबंधन की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बनी हुई हैं.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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