Dormant Volcano: इथियोपिया का हेली गुब्बी ज्वालामुखी 12,000 सालों में पहली बार फटा है. जिससे घने धुएं और राख का गुबार आसमान में फैल गया. यहां तक कि इससे हजारों मील दूर भारत में हवाई यात्रा प्रभावित हुई है. यह ज्वालामुखी इथियोपिया के एर्टा एले पर्वतमाला में स्थित है. 2025 में इंडोनेशिया में माउंट लेवोटोबी लाकी-लाकी में कई शक्तिशाली विस्फोट हुए, लेकिन इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी के विपरीत यह लंबे समय तक निष्क्रिय ज्वालामुखी नहीं थे.
क्या कोई ज्वालामुखी हजारों सालों तक सुप्त रह सकता है? सुप्त ज्वालामुखी क्या होता है? क्या पहले कभी ऐसा हुआ है?
कैसे बनते हैं ज्वालामुखी
ज्वालामुखी को पृथ्वी की पपड़ी (Earth’s crust) में एक प्राकृतिक उद्घाटन (opening) या दरार (vent) के रूप में समझा जा सकता है. यह संरचना पृथ्वी के गहरे आंतरिक भाग से मैग्मा, गर्म गैसों और चट्टानी टुकड़ों जैसे पदार्थों को सतह पर निकलने का मार्ग प्रदान करती है. पृथ्वी की गहराई में मौजूद अत्यधिक ऊष्मा (heat) के कारण कुछ चट्टानें धीरे-धीरे पिघलती हैं और एक गाढ़ा, अर्ध-तरल पदार्थ बनाती हैं जिसे मैग्मा कहा जाता है. यह मैग्मा आस-पास की ठोस चट्टानों की तुलना में हल्का होने के कारण ऊपर की ओर बढ़ता है. यह भू-पर्पटी के नीचे मैग्मा कक्षों में जमा होता चला जाता है. जब इन मैग्मा कक्षों में दबाव बहुत अधिक बढ़ जाता है, तो यह एकत्रित मैग्मा पृथ्वी की सतह पर मौजूद कमजोर दरारों या छिद्रों के माध्यम से विस्फोट के रूप में बाहर निकलता है. सतह पर बाहर निकलने वाले इसी पिघले हुए विस्फोटित मैग्मा को लावा (Lava) कहा जाता है. समय के साथ विस्फोटित पदार्थ छिद्र के चारों ओर जमा हो जाते हैं, जिससे पहाड़ या पहाड़ियां बन जाती हैं जिन्हें ज्वालामुखी शंकु कहा जाता है.
कैसे होते हैं सुप्त ज्वालामुखी
सुप्त ज्वालामुखी दशकों, सदियों या हजारों सालों तक शांत रह सकते हैं. सुप्तावस्था की अवधि अप्रत्याशित होती है. सतह के नीचे मैग्मा अभी भी मौजूद हो सकता है, और टेक्टोनिक एक्टिविटी ज्वालामुखी को जागृत कर सकती है. एक सुप्त ज्वालामुखी वह है जो वर्तमान में सक्रिय नहीं है, लेकिन भूवैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर यह माना जाता है कि वह भविष्य में फिर से फूट सकता है. इनकी निष्क्रियता (inactivity) की अवधि बहुत लंबी हो सकती है. कुछ ज्वालामुखियों को सुप्त माना जाता है, भले ही वे हजारों साल पहले फूटे हों, बशर्ते वैज्ञानिक यह अनुमान लगाते हों कि उनमें फिर से विस्फोट होने की संभावना है.
सुप्त ज्वालामुखी दशकों, सदियों, या हज़ारों सालों तक शांत रह सकते हैं.
सुप्त ज्वालामुखी की यह विशेषता ही इसे सक्रिय और विलुप्त ज्वालामुखियों से अलग करती है.
विलुप्त ज्वालामुखी किस तरह अलग
विलुप्त (Extinct) ज्वालामुखी वे होते हैं जिनके बारे में वैज्ञानिक मानते हैं कि वे अब फिर कभी नहीं फूटेंगे. क्योंकि उनके मैग्मा स्रोत या तो सूख गए हैं या प्लेट टेक्टोनिक्स की गति के कारण बदल गए हैं. जबकि सुप्त ज्वालामुखी में अभी भी विस्फोट की क्षमता बनी रहती है. इटली का माउंट वेसुवियस (Mount Vesuvius) एक प्रसिद्ध सुप्त ज्वालामुखी का उदाहरण है. यह 79 ईस्वी में फूटने से पहले सदियों तक शांत रहा था. उदाहरण के लिए एक ज्वालामुखी जो 10,000 साल से शांत है, उसे सुप्त माना जा सकता है. अगर उसके नीचे मैग्मा (Magma) का प्रवाह और गैसों का जमाव हो रहा हो, यानी वो भविष्य में विस्फोट का संकेत देता है.
5 ज्वालामुखी जो सैकड़ों सालों तक निष्क्रिय रहने के बाद फट पड़े
1. नाब्रो ज्वालामुखी (इरिट्रिया-इथियोपिया सीमा)
विस्फोट: जून 2011
निष्क्रिय: 10,000 वर्ष
इसके कारण 13 किलोमीटर ऊंचा राख का गुबार उठा. राख पूर्वी अफ्रीका और अरब प्रायद्वीप में फैल गयी. दर्जनों लोग मारे गए, जबकि हजारों लोग विस्थापित हुए. विस्फोट के कारण पूरे क्षेत्र में हवाई यातायात बाधित हो गया.
2. चैटेन ज्वालामुखी (चिली)
विस्फोट: मई 2008
निष्क्रिय: 9,000 वर्ष
राख का विशाल गुबार 17 किलोमीटर ऊंचा उठ गया. चैटेन शहर (4,000 से ज्यादा लोग) को खाली कराना पड़ा. नदियां राख से भर गयीं. इससे अरबों डॉलर का नुकसान हुआ.
3. चार शिखर वाला ज्वालामुखी (अलास्का, अमेरिका)
विस्फोट: सितंबर 2006
निष्क्रिय: 10,000+ वर्ष
उपग्रहों द्वारा राख के विशाल बादलों का पता लगाया गया और अलास्का के सुदूर क्षेत्रों में राख गिर रही थी. उत्तरी प्रशांत क्षेत्र में विमानन चेतावनियां जारी करनी पड़ीं.
4. सेरो हडसन ज्वालामुखी (चिली)
प्रमुख विस्फोट: अगस्त 1991
निष्क्रिय: 3,000 वर्ष
इससे 30 किलोमीटर ऊंचा राख का गुबार उठा. राख गिरने से कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान हुआ. हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया. साथ ही पशुधन की मौत और जल प्रदूषण भी हुआ.
5. माउंट पिनातुबो (फिलीपींस)
विस्फोट: जून 1991
600 वर्षों तक निष्क्रिय
यह 20वीं सदी का दूसरा सबसे बड़ा विस्फोट था. राख गिरने, लाहरों और इमारतों के ढहने से 800 से ज्यादा लोग मारे गए. एक साल तक वैश्विक तापमान लगभग 0.5° सेल्सियस कम रहा. राख वायुमंडल में 22 मील (35 किलोमीटर) तक पहुंच गयी.
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15 minutes ago
