100 साल के रेडियो सिलोन पर कैसे शुरू हुआ 'बिनाका गीतमाला', इसकी भी एक कहानी है

2 hours ago

16 दिसंबर 1925 को श्रीलंका से एक ऐसा रेडियो स्टेशन शुरू हुआ, जिसने बिनाका गीतमाला से लोगों को अपना दीवाना बना दिया. इसकी आवाज इतनी दूर होने के बाद भी समूचे भारत में साफ सुनी जाती थी. जब अमीन सयानी हफ्ते में एक बार रेडियो सीलोन पर बिनाका गीतमाला पेश करते थे, तो पूरा देश ठहर जाता था, लोग अपने रेडियो के पास बैठकर इन सुमधुर गानों में खो जाते थे. हालांकि रेडियो सीलोन पर बिनाका गीतमाला आने की भी एक कहानी है.

आज भी सौ साल पहले शुरू हुआ ये रेडियो सीलोन इसलिए हैरान करता है क्योंकि इसका ट्रांसमीटर बहुत ताकतवर था. तब भारत में आल इंडिया रेडियो जरूर था लेकिन उसका ट्रांसमीटर इतना दमदार नहीं था. लिहाजा जब रेडियो सीलोन पर बिनाका गीतमाला शुरू हुआ तो इसने इस रेडियो स्टेशन को ही हिट कर दिया.

ये सही है कि रेडियो सीलोन को अगर हम सौ साल पूरे होने पर याद कर रहे हैं तो उसकी वजह विशेष रूप से बिनाका गीतमाला है. एक निजी कंपनी “सीलोन प्रसारण सेवा” ने इसको शुरू किया था. 1967 में रेडियो सीलोन का श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के रूप में राष्ट्रीयकरण हो गया. उसके बाद इसको श्रीलंका ब्राडकास्टिंग कॉर्पोरेशन के नाम से जाना जाने लगा.  वैसे ये कह सकते हैं कि 1950 के दशक में रेडियो सीलोन ने आल इंडिया रेडियो को पछाड़ दिया था.

दक्षिण एशिया का पहले रेडियो स्टेशन 

यह दक्षिण एशिया का पहला रेडियो स्टेशन था. इसे ब्रिटिश उपनिवेश काल में कोलंबो में शुरू किया गया था. रेडियो सीलोन ने कोलंबो के एक शहर “एकुंगमा” में एक बहुत शक्तिशाली मीडियम वेब ट्रांसमीटर लगाया था. उस समय इसकी शक्ति 35 kW से 100 kW के बीच मानी जाती है, जो उस जमाने के हिसाब से बहुत ज्यादा थी.

ट्रांसमीटर का समुद्र के किनारे स्थित होना एक बड़ा फायदा था. पानी की सतह समतल होती है और रेडियो तरंगों के प्रसार में कम रुकावट डालती है, जिससे सिग्नल लंबी दूरी तक बिना कमजोर हुए पहुंच जाती थी.

जब अमीन सायनी रेडियो सीलोन पर बिनाका गीतमाला पेश करते थे तो उनकी सुरीली आवाज सबको बांध लेती थी

इसने शुरुआत में मुख्य रूप से अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं में कार्यक्रम प्रसारित किए. बाद में भारतीय श्रोताओं को टारगेट करने के लिए हिंदी कार्यक्रमों की शुरुआत हुई.

श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन (एसएलबीसी) ने शताब्दी वर्ष के अवसर पर एक बयान में कहा, ‘‘राष्ट्रीय रेडियो के पास एशिया में रिकॉर्ड किए गए गानों का सबसे बड़ा संग्रह है, जिसमें भारत में भी ना पाए जाने वाले दुर्लभ हिंदी गाने और विश्व नेताओं की आवाजों की रिकॉर्डिंग का एक अनूठा संग्रह शामिल है.’’

आज भी श्रीलंका रेडियो पर घरेलू स्तर पर 3 सिंहली, 2 तमिल और एक अंग्रेजी सेवा प्रसारित करता है, साथ ही हिंदी, कन्नड़, तेलुगु और मलयालम में विदेशी सेवाएं भी इससे प्रसारित होती हैं.

सौ साल पूरे होने के अवसर पर 16 दिसंबर को श्रीलंका के रेडियो एंकर हिंदी उद्घोषक ने यह कहकर शुरुआत की कि 60 और 70 के दशक के गाने, जिन्हें हिंदी फिल्म संगीत का स्वर्ण युग कहा जाता है, श्रीलंका में इतने लोकप्रिय थे कि उनकी प्रतियां सिंहली भाषा में भी उपलब्ध थीं.

1952 में बिनाका गीतमाला शुरू हुआ

बिनाका गीतमाला का पहला प्रसारण 3 दिसंबर 1952 को हुआ था. शुरुआत में यह केवल सात गानों का एक कार्यक्रम था, जिसमें गानों को किसी रैंकिंग यानि पायदान में नहीं रखा जाता था.

रेडियो सीलोन पर ये प्रोग्राम हर बुधवार रात 8:00 बजे से 9:00 बजे तक प्रसारित होता था. हर बुधवार लोग अमीन सयानी की उस मशहूर आवाज़ – “जी हां भाइयों और बहनों, मैं हूं आपका दोस्त अमीन सयानी और आप सुन रहे हैं बिनाका गीतमाला” का बेसब्री से इंतजार करते थे.

1954 से इसे एक ‘काउंटडाउन’ शो बनाया गया.बिनाका गीतमाला प्रोग्राम के शुरू होते ही इस रेडियो स्टेशन को पंख लग गए.

1950 में तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री केसकर ने आल इंडिया रेडियो पर फिल्मी गानों के प्रसारण पर रोक लगा दी, जिससे बिनाका गीतमाला रेडियो सीलोन पर शुरू हुआ और हिट प्रोग्राम बन गया.

प्रोग्राम मुंबई में रिकॉर्ड होता था

अमीन सयानी मुंबई के फिल्मिस्तान स्टूडियो या अन्य स्टूडियो में अपने हिस्से की कमेंट्री रिकॉर्ड करते थे. यह रिकॉर्डिंग टेप पर होती थी, जिसे हवाई जहाज़ या समुद्री मेल द्वारा कोलंबो भेजा जाता था. कोलंबो स्टूडियो में इन कमेंट्री टेपों और हिंदी फिल्मी गानों के रिकॉर्ड्स को मिक्स किया जाता था. फिर प्रसारण के लिए तैयार किया जाता था.

बिनाका गीतमाला के रेडियो सीलोन पर जाने की कहानी

अब जानिए कि आल इंडिया रेडियो के होने के बावजूद बिनाका गीतमाला प्रोग्राम को क्यों रेडियो सीलोन के पास जाना पड़ा. 1950 के दशक के शुरू में आल इंडिया रेडियो (AIR) पर हिंदी फिल्मी गानों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. 1952 में भारत के सूचना एवं प्रसारण मंत्री बी.वी. केसकर ने AIR पर हिंदी फिल्मी गानों को ‘अश्लील’, ‘घटिया’ और ‘पश्चिमी प्रभावित’ बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया. उनका मानना था कि ये गाने युवा पीढ़ी को बर्बाद कर रहे थे, इसलिए केवल शास्त्रीय संगीत को बढ़ावा दिया गया.

केसकर ने काशी विद्यापीठ में शिक्षा हासिल की थी. फिर पेरिस के सोरबोन यूनिवर्सिटी से पीएचडी की उपाधि ली थी. वह शास्त्रीय संगीत के प्रबल प्रेमी थे.

उनके इस प्रतिबंधने फिल्म जगत में हंगामा मचा दिया. अगस्त 1952 के फिल्मफेयर के अंक में केसकर के फैसले को भारतीय फिल्म उद्योग की प्रतिष्ठा पर सोची समझी चोट बताया. साथ ही इसे फिल्म संगीत को बाजार से बाहर करने का कदम बताया. तब आल इंडिया रेडियो से फिल्म संगीत गायब हो गया

इस प्रतिबंध से रेडियो सीलोन की लोकप्रियता भारत में तेजी से बढ़ी, जहां ‘बिनाका गीतमाला’ जैसे कार्यक्रमों ने फिल्मी गानों को प्रसारित किया. 1957 में विविध भारती सेवा शुरू होने पर AIR ने आंशिक रूप से फिल्मी गाने बहाल किए.

36 साल ये प्रोग्राम रेडियो सीलोन पर चला

बिनाका गीतमाला रेडियो सीलोन पर 1952 से 1988 तक चला.  ये प्रोग्राम पहले 30 मिनट का था. फिर 1 घंटे का हो गया. हर हफ्ते इस प्रोग्राम को लेकर 35,000 से लेकर लाखों पत्र रेडियो सीलोन के पास आते थे. इसकी श्रोता संख्या 20 मिलियन यानि 2 करोड़ तक जा पहुंची थी.

इससे तब फिल्म निर्माताओं और संगीतकारों को मुफ्त प्रचार मिला. इसके टॉप चार्टिंग गाने रिकॉर्ड सेल्स बढ़ाते थे. इससे बॉलीवुड संगीत को व्यापक पहुंच मिली, जिससे महत्वाकांक्षी कलाकारों को मंच भी मिला.

कितनी हुई कमाई

बिनाका गीतमाला से रेडियो सीलोन की कमाई का कोई सटीक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्पांसरशिप अनुबंधों से हजारों अमेरिकी डॉलर की आय का अनुमान लगाया जाता है.

कार्यक्रम की शुरुआत में साप्ताहिक बजट मात्र 125 रुपये था, जिसमें अमीन सयानी को 25 रुपये वेतन शामिल था. ये कम बजट का प्रोग्राम होने के बावजूद तुरंत हिट हो गया. श्रोता पत्रों की संख्या 35,000 से लाखों में हर हफ्ते पहुंच गई.

बिनाका जैसे स्पॉन्सरों से रेडियो सीलोन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में भुगतान मिला, जो हजारों डॉलर का अनुबंध था. इससे स्टेशन एशिया का प्रमुख कमर्शियल रेडियो बना, इसने हिंदी सेवा के लिए भारतीय एंकर्स नियुक्त किये.

1988 में स्पॉन्सर बदलने पर सिबाका गीतमाला बना.फिर ये 1989 में यह ऑल इंडिया रेडियो के ‘विविध भारती’ पर शिफ्ट हो गया, जहां ये 1994 तक प्रसारित होता रहा.

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