हिमालय से हिम ही गायब! बर्फ का यह कैसा अकाल, अब तक सूने क्यों पड़े हैं पहाड़?

4 hours ago

IMD Snowfall Alert: दिसंबर खत्म होने को है. नए साल के आरंभ में महज एक दिन बाकी है. सर्दी अपने चरम की ओर बढ़ रही है. मगर अब तक पहाड़ों की ऊंची चोटियां बर्फ से सूनी पड़ी हैं. हिमालय से हिम ही गायब दिख रहे हैं. पहाड़ों पर बर्फ के अकाल पड़े हैं. अब तक केदारनाथ में बर्फ की मोटी चादर बिछ जाती थी. बाबा केदारनाथ का धाम 5 से 8 फीट तक बर्फ से ढक जाता था. मगर इस बार उत्तराखंड का मौसम कुछ अजीब खेल दिखा रहा है. दिसंबर के अंत के करीब पहुंचने के बावजूद उत्तराखंड की ऊंची चोटियां बर्फ न होने से सूनी पड़ी हैं.

दरअसल, उत्तराखंड के पहाड़ों और केदारनाथ-बदरीनाथ धाम में अब तक बर्फबारी न होने से चिंता बढ़ गई है. औली में इस वक्त बर्फ की चादरें बिछी होती थीं, मगर इस बार नजारा ऐसा नहीं हैं. नववर्ष पर सैलानी उमड़े हैं लेकिन बर्फ न होने से पर्यटक थोड़े मायूस हैं. स्थानीय कारोबार को भी बर्फ का इंतजार है. बर्फबारी होती है तो टूरिस्ट खींचे चले आते हैं. उधर चंबा में दिसंबर में बारिश और बर्फबारी होती है. मगर इस बार ऐसा नहीं होने से किसान और बागवानी करने वाले चिंतित हैं. पर्यटन कारोबारी भी निराश चल रहे हैं.

आखिर बर्फ क्यों नहीं गिर रहे
अब सवाल है कि आखिर बर्फबारी हो क्यों नहीं रही? मौसम एक्सपर्ट प्रोफेसर डॉ चंद्रमोहन ने इसकी वजह बताई है. उनके मुताबिक, बर्फबारी न होने के पीछे लगातार कमजोर पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय होना है, जिसने ठंड के तेवरों को भी ढीला बना दिया है. क्योंकि जब ये आते हैं, तो हल्की बारिश और छिटपुट बर्फबारी पर्वतीय क्षेत्रों पर होती है. उसके असर से मैदानी राज्यों में ठंड अपने तेवरों को दिखाती है. इस साल ठंड भी अपने तेवरों को नहीं दिखा पाई है. हालांकि छोटे-छोटे जो अंतराल पर शीतलहर, धुंध कोहरा, शीत दिवस, पाला जमने की जो स्थिति मैदानी राज्यों में आमतौर पर देखने को मिलती है दिसंबर और नवंबर महीने में, इस बार वो नदारद रही.

बर्फबारी न होने से कारोबारी भी परेशान हैं.

कब से मिलेगी खुशखबरी
मौसम एक्सपर्ट ने एक खुशखबरी भी दी है. उन्होंने कहा कि खुशी की बात ये है कि 31 तारीख को एक मध्यम श्रेणी का सशक्त मौसम प्रणाली पश्चिमी प्रणाली एक्टिव हो रहा है. इसकी वजह से उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों पर भारी बर्फबारी देखने को मिलेगी. साथ ही साथ मैदानी राज्यों में भी मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा. 31 से 2 जनवरी के दौरान मैदानी राज्यों में हल्की से मध्यम बारिश और उत्तरी पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बर्फबारी देखने को मिलेगी. इसलिए ल्कुल संभावना बनी हुई है कि 31 तारीख वाली जो पश्चिमी मौसम प्रणाली है, उसकी वजह से उत्तरी क्षेत्रों में काफी बर्फबारी होगी. जो ठंड के तेवर पिछले दिनों ढीले पड़े हुए थे, इस मौसम प्रणाली से ठंड भी एक बारी अपने तेवरों को प्रचंड बनाएगी.

अब तक सूनी पड़ी उत्तराखंड की ऊंची चोटियों पर मंगलवार से बर्फबारी की संभावना

मौसम कब से होगा कूल-कूल?
मौसम एक्सपर्ट के मुताबिक, कोल्ड डे, कोल्ड वेव, साथ ही साथ धुंध-कोहरा और पाला जमने की स्थिति 2 तारीख के बाद पूरे मैदानी राज्यों में, विशेषकर हरियाणा-एनसीआर दिल्ली में देखने को मिलेगी. और सैलानियों को भी हिमाचल, उत्तराखंड के पहाड़ों में बर्फबारी देखने को मिलेगी.

मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ के बनने से उत्तराखंड के उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग और पिथौरागढ़ जिलों में ऊंचाई वाले स्थानों पर मंगलवार से दो जनवरी तक हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी हो सकती है. देहरादून मौसम केंद्र के निदेशक डॉ सीएस तोमर ने बताया, ‘पश्चिमी विक्षोभ अभी सक्रिय है और तीस दिसंबर से दो जनवरी तक प्रदेश में हल्की बारिश तथा 3200 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी की संभावना है.’

आखिर क्या है हिम के गायब होने की वजह
इस सीजन में अक्टूबर में बदरीनाथ और केदारनाथ सहित उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हुई थी लेकिन उसके बाद से मौसम शुष्क ही बना हुआ है. कुछ वैज्ञानिक और स्थानीय लोग जहां इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ रहे हैं, वहीं मौसम विज्ञानी इसे क्षेत्र के लिए सामान्य बता रहे हैं. फूलों की घाटी के समीप भ्यूंडार गांव के निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता भवान सिंह चौहान कहते हैं कि पिछले कुछ सालों से मौसम चक्र में खासा बदलाव आया है.

बर्फबारी न होने की वजह से उस तरह की ठंड भी नहीं पड़ी है.

जलवायु परिवर्तन कितना बड़ा कारण?
उन्होंने कहा, ‘अक्टूबर में जब मौसम खुशगवार होना चाहिए था, तब हमारे इलाके में दो फुट से ज्यादा बर्फ जम गई थी और अब जब बर्फ रहनी चाहिए थी तो न बर्फबारी हो रही है और न ही बारिश हो रही है.’ स्पेस एप्लिकेशन सेंटर, अहमदाबाद के पूर्व विज्ञानी और यूसैक के पूर्व निदेशक डॉ एम.एम. किमोठी भी इसे जलवायु परिवर्तन से जोड़ते हैं. उन्होंने कहा, ‘आज इसका प्रभाव मौसम चक्र के आगे पीछे होने के रूप में तो दिख ही रहा है बल्कि हिमालय में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कश्मीर और हिमाचल के मुकाबले इस बार मध्य हिमालय में स्थित उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी की स्थिति चिंताजनक रही है.’

केदारनाथ धाम में नवंबर में ही पहले बर्फबारी हो जाती थी.

बदरीनाथ में क्या अलग दिखा
इस संबंध में उन्होंने बदरीनाथ में आजकल उग रही हर तरह की वनस्पतियों का जिक्र किया और कहा कि पहले वहां सामान्यत: बड़ी वनस्पतियां नहीं दिखायी देती थी. उन्होंने कहा कि हिमालय में वृक्ष रेखा भी और ऊपर जा रही है. बदरीनाथ मंदिर के पूर्व धर्माधिकारी पंडित भुवन चंद्र उनियाल के अनुसार, पहले नवंबर में जब भगवान बदरी विशाल के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाते थे, तो उसी दिन या अगले दिन अवश्य ही बारिश और बर्फबारी होती थी और यह सिलसिला निचली घाटियों तक फैल जाता था. उन्होंने कहा कि इस बार तो दिसंबर जाने वाला है और अब तक न बारिश दिखी और न बर्फबारी.

कब-कब ऐसा पहले हुआ
मौसम केंद्र के निदेशक डॉ तोमर ने हालांकि, इसे एक सामान्य बात बताया और कहा कि उत्तराखंड में नवंबर और दिसंबर सामान्यत: सबसे शुष्क महीने ही माने जाते हैं. उन्होंने कहा कि 2020 और 2023 में तो इन महीनों में बर्फबारी बिल्कुल दर्ज नहीं की गयी और फिर अगले माह जनवरी में ही हिमपात हुआ. मौसम विज्ञान विभाग ने मंगलवार से उत्तराखंड के ऊंचाई वाले स्थानों पर हिमपात की संभावना जतायी है जिसे देखते हुए आने वाले दिनों में सैलानियों से लेकर व्यवसायी और किसान सबके चेहरे खिलने की उम्मीद है.

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