हमेशा भारत विरोधी क्यों रहीं बांग्लादेश की बेगम खालिदा जिया? निधन पर भारत ने दिया बड़ा मैसेज

2 hours ago

बांग्लादेश का राजनीतिक इतिहास 'बैटल ऑफ बेगम' के इर्द-गिर्द घूमता है. एक तरफ बांग्लादेश को आजाद कराने वाले शेख मुजीब की बेटी शेख हसीना हैं. मुजीब की हत्या मिलिट्री तख्तापलट के जरिए हुई. दूसरी बेगम हैं खालिदा जिया, जिनके पति आर्मी चीफ थे बाद में राष्ट्रपति बने. बाद में सैन्य तख्तापलट में उनकी भी हत्या कर दी गई. आगे चलकर दोनों बेगम ने ही बांग्लादेश में सत्ता संभाली. हसीना ने भारत के साथ अच्छे संबंध रखे लेकिन बेगम जिया 1991 में प्रधानमंत्री बनने के बाद कुछ ऐसा किया जिससे वह खुलकर भारत विरोधी बनती चली गईं. हालांकि अब उनके निधन पर न सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख व्यक्त किया बल्कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर बुधवार को उनके जनाजे में शामिल होंगे. एक्सपर्ट इसे एक बड़ा कूटनीतिक कदम मान रहे हैं. 

भारत के खिलाफ कैसे थीं खालिदा? वह पाकिस्तान के प्रति नरम थीं. चीन के साथ डिफेंस डील कर रही थीं और अपने भाषण में खुलेआम भारत के खिलाफ बोलती थीं. कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी से नजदीकी के कारण वह भारत विरोधी बनती चली गईं. बाद में यह उनका राजनीतिक हथकंडा बन गया. वह 1991 से 1996 और 2001 से 2006 तक पीएम रहीं. उनके समय में भारत ने तीन पीएम देखे- पीवी नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह. 

जिया के भारत के साथ रिश्ते हमेशा उतार-चढ़ाव भरे रहे. बेगम जिया के पहले कार्यकाल में भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में सीमा पार से उग्रवाद को सपोर्ट, पानी बंटवारे के मुद्दे और व्यापार में असंतुलन जैसी परेशानियां सामने आईं. उनके आखिरी कार्यकाल में भारत के साथ तनाव काफी बढ़ गया था. भारत विरोधी आतंकवादी समूहों और पूर्वोत्तर में उग्रवादी समूहों को बांग्लादेश में पनाह मिलने लगी थी. ऐसा तब शुरू हुआ जब उनकी पार्टी बीएनपी ने बांग्लादेश में राइट-विंग इस्लामी पार्टी, जमात-ए-इस्लामी से हाथ मिला लिया. 

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उग्रवादियों को कहा फ्रीडम फाइटर

जिया ने खुलकर भारत के उग्रवादी समूहों – यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) और नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (NDFB) को 'फ्रीडम फाइटर' कहा. जिया ने एक जनसभा में कहा, 'वे आजादी के लिए लड़ रहे हैं. हमने भी इसके लिए लड़ाई लड़ी थी इसलिए हम हमेशा किसी भी आजादी के आंदोलन के पक्ष में हैं.' तब कहा गया था कि जिया के नेतृत्व वाली BNP सरकार पाकिस्तानी एजेंसियों के साथ मिलकर पूर्वोत्तर के अलगाववादी समूहों को समर्थन दे रही है और उनके टॉप लीडर्स को बांग्लादेश में सुरक्षित पनाह मिली है. 

भारतीय ट्रकों को परमिशन नहीं

बेगम जिया ने भारत के साथ जमीनी ट्रांजिट और कनेक्टिविटी लिंक का भी विरोध किया. पीएम रहते उन्होंने भारत को बांग्लादेश के रास्ते पूर्वोत्तर राज्यों तक ट्रंजिट परमिशन देने से मना कर दिया. उन्होंने इसे अपने देश की सुरक्षा और संप्रभुता का उल्लंघन बताया. एक बार BNP नेता ने कहा था, 'हमने अपना खून बहाकर आजादी हासिल की है. हम अपनी जमीन से भारत को कॉरिडोर नहीं बनाने देंगे. हम ऐसे किसी भी प्रयास का विरोध करेंगे.'

2018 में जब शेख हसीना PM थीं और जिया विपक्ष की नेता तो बीएनपी प्रमुख ने भारत को ट्रांजिट ड्यूटी से छूट देने के हसीना सरकार के फैसले की निंदा की थी. जिया ने कहा था, 'हम बांग्लादेश को भारत का राज्य बनाने की कोशिश का विरोध करेंगे.' उन्होंने भारतीय ट्रकों के बांग्लादेश की सड़कों पर टोल-फ्री होने की तुलना 'गुलामी' से भी की. 

अच्छे संकेत भी

किसी भी देश की अंदरूनी पॉलिटिक्स अलग चलती है और विदेश नीति यानी दूसरे देशों से रिश्ते अलग. बेगम जिया के राज में सब कुछ खराब ही नहीं था. 2006 में ट्रेड समझौता और एक एंटी-ड्रग स्मगलिंग डील हुई. पीएम मनमोहन सिंह 2005 में ढाका सार्क समिट में गए थे. छह साल बाद खालिदा दिल्ली आई थीं. 2012 में वह एक हफ्ते के दौरे पर दिल्ली आई थीं. तब उन्होंने कहा था कि मैं खुले मन से आई हूं. विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद, एनएसए, विदेश सचिव के अलावा उन्होंने भाजपा की नेता सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी से भी मुलाकात की थी. यहां उन्होंने कहा था कि बीएमन बांग्लादेश की धरती का इस्तेमाल आतंकियों को भारत में हमले करने के लिए नहीं करने देंगी. 

अब आगे क्या

बांग्लादेश के वरिष्ठ पत्रकार सलीम समद कहते हैं कि तारिक रहमान निश्चित रूप से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे...पता नहीं तारिक रहमान के कार्यकाल में क्या होगा, वह फरवरी में प्रधानमंत्री बन जाएंगे... सभी मुश्किलों के बावजूद भारत और बांग्लादेश के बीच कभी कोई समस्या नहीं हुई... भविष्य में यह बहुत मुश्किल होगा क्योंकि तारिक रहमान निश्चित रूप से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे और यह उनका ट्रंप कार्ड होगा. 

विदेश मामलों के एक्सपर्ट वाएल अव्वाद कहते हैं कि मुझे लगता है कि आज उनकी (तारिक रहमान) मां की मौत से बांग्लादेश में वोटर्स के बीच एक तरह की सहानुभूति की लहर पैदा होगी और वह अपनी लोकप्रियता के कारण, पिछले 17 साल देश से बाहर रहने के बावजूद प्रधानमंत्री पद के प्रबल उम्मीदवार हैं. मुझे लगता है कि बीएनपी खुद को दूसरी छोटी पार्टियों से अलग करने की कोशिश कर रही है.

भारत का बड़ा कदम

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी की अध्यक्ष खालिदा जिया के जनाजे में भारत सरकार और जनता का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. इससे पहले बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया. उन्होंने खालिदा जिया के योगदान को याद करते हुए कहा कि बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने देश के विकास के साथ-साथ भारत-बांग्लादेश संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई. अपनी तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे 2015 में ढाका में उनसे हुई गर्मजोशी भरी मुलाकात याद है. हमें उम्मीद है कि उनकी सोच और विरासत हमारी साझेदारी को आगे भी राह दिखाती रहेगी. 

बीएनपी के टोन बदलेंगे! 

अब बदले हुए माहौल में उनके बेटे तारिक रहमान सत्ता संभालने वाले हैं. जिया की तबीयत खराब होने की खबर मिलने पर पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर चिंता जताई थी. इस पर बीएनपी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी और भारत की प्रशंसा की थी. बांग्लादेश का मीडिया कह रहा है कि बीएनपी का टोन भारत को लेकर बदला दिख रहा है. ढाका ट्रिब्यून कहता है कि जिया की पार्टी को पता है कि भारत से शत्रुता वाला भाव राजनीतिक या सामरिक किसी तरह से हित में नहीं होगा. ऐसे में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए बीएनपी नए युग में कदम रख सकती है. कुछ बीएनपी नेताओं के बयान हाल में आए थे- भारत हमारा मित्र देश है.

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