Last Updated:September 12, 2025, 09:15 IST

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन करे, जिसमें सीनियर हिंदू और मुस्लिम पुलिस अधिकारी शामिल हों. यह SIT अकोला में 13 मई 2023 को हुई सांप्रदायिक हिंसा के दौरान 17 साल के किशोर मोहम्मद अफज़ल मोहम्मद शरीफ पर हुए हमले और एक व्यक्ति की हत्या की घटना की जांच करेगी. इस हिंसा में एक की मौत हुई थी, जबकि दो पुलिसवाले समेत आठ लोग घायल हुए थे.
किशोर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया था कि वह न केवल हमले का शिकार हुआ, बल्कि उसने अपनी आंखों से ऑटो-रिक्शा चालक विलास महादेव राव गायकवाड़ की हत्या भी देखी. आरोप है कि गायकवाड़ को मुस्लिम समझकर चार लोगों ने पीट-पीटकर मार डाला. जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि यदि हत्या सांप्रदायिक आधार पर हुई थी, तो यह तथ्य जांच के बाद ही स्पष्ट होगा. अदालत ने कहा, ‘यदि मृतक को यह समझकर मारा गया कि वह मुस्लिम है और हमलावर उस समुदाय से नहीं थे, तो इसकी सच्चाई सामने लाना बेहद जरूरी है.’
अकोला पुलिस की लापरवाही पर नाराज़गी
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अकोला पुलिस की भूमिका पर सख्त नाराज़गी जताई. कोर्ट ने कहा कि किशोर पर हमले की सूचना और अस्पताल की रिपोर्ट होने के बावजूद FIR दर्ज नहीं की गई. अदालत ने टिप्पणी की कि यह कुल मिलाकर ड्यूटी में घोर लापरवाही है. कोर्ट ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में स्पष्ट है कि किशोर को सिर में चोट लगी थी और यह हमला भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 324, 325 या 326 के तहत अपराध बनता है, जिन पर तत्काल कार्रवाई आवश्यक थी.
अकोला के SP पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि किशोर के पिता ने 1 जून 2023 को अकोला के पुलिस अधीक्षक संदीप घुगे को लिखित शिकायत दी थी, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. कोर्ट ने टिप्पणी की कि न तो हाईकोर्ट और न ही सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामों में इस बात से इनकार किया गया कि शिकायत मिली थी. अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारियों को अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रह फिर चाहे वह धार्मिक हो, जातीय या किसी अन्य प्रकार के हों, उससे ऊपर उठकर निष्पक्षता से काम करना चाहिए. पीठ ने कहा कि वे कानून के रक्षक हैं, उन्हें अपनी ड्यूटी और वर्दी के प्रति पूरी निष्ठा और ईमानदारी दिखानी होगी.
हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट की असहमति
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट (नागपुर बेंच) ने किशोर की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि इसमें उल्टा मकसद दिखाई देता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को गलत मानते हुए कहा कि मामले में याचिकाकर्ता के आरोपों की जांच जरूरी है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को आदेश दिया कि जांच में नाकाम रहे पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए और पुलिस बल को इस तरह के मामलों में संवेदनशीलता से कार्रवाई करने की ट्रेनिंग दी जाए. कोर्ट ने SIT से तीन महीने में रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है. बता दें कि याचिकाकर्ता मोहम्मद अफज़ल मोहम्मद शरीफ की ओर से सीनियर वकील महादेव थिपसे और अधिवक्ता फौज़िया शाकिल, तस्मिया तालेहा, शोएब एम. इनामदार और एम. हुसैन हुदैफ़ा ने पैरवी की.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
September 12, 2025, 09:15 IST