सर्जिकल स्ट्राइक के लिए राफेल को ही क्यों चुना गया, जिसने बरपाया कहर

17 hours ago

Last Updated:May 07, 2025, 12:34 IST

Operation Sindoor: भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमानों का उपयोग किया. राफेल की मदद से पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया. राफेल की तेज रफ्तार और स्कैल्प मिसाइल की मारक क...और पढ़ें

सर्जिकल स्ट्राइक के लिए राफेल को ही क्यों चुना गया, जिसने बरपाया कहर

ये कई रोल निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट है.

हाइलाइट्स

भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में राफेल विमानों का उपयोग कियाराफेल विमान की कई खूबियों ने इस ऑपरेशन को सफल बनायाराफेल को अपनी पीढ़ी का सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है

Operation Sindoor: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद भारत ने उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है. भारतीय सेना ने इसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया है. भारत ने पहलगाम हमले के 15 दिन के भीतर पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हमला कर कुल नौ जगहों को निशाना बनाया. इन्हीं जगहों से आतंकवादी हमलों की योजना बनाई जा रही थी और उन्हें अंजाम दिया जा रहा था. यह भारतीय सेना और वायु सेना का एक संयुक्त अभियान था जिसमें सटीक हमला करने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया गया. 

इस ऑपरेशन में फ्रांस से खरीदे गए राफेल विमान का इस्तेमाल किया गया. इन्हीं विमानों से स्कैल्प मिसाइल दागी गईं. राफेल ने दुश्मन के घर में घुसकर कहर बरपाने का काम किया. स्टॉर्म शैडो या स्कैल्प एक ऐसा हथियार है जिसे लड़ाकू विमान से ही दागा जाता है. इसके लिए राफेल विमान सबसे ज्यादा मुफीद है. स्कैल्प एक क्रूज मिसाइल है. इसे यूरोपीय डिफेंस कंपनी एमबीडीए द्वारा बनाया गया है. स्कैल्प मिसाइल भारत के 36 राफेल फाइटर जेट्स का एक हिस्सा हैं.

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राफेल- स्कैल्प की खतरनाक जोड़ी
भारतीय वायुसेना ने फ्रांस से लिए गए सभी राफेल लड़ाकू विमानों को स्कैल्प मिसाइलों से लैस किया है. राफेल की ध्वनि की गति से भी तेज रफ्तार और स्कैल्प मिसाइल की मारक क्षमता की वजह से इन दोनों की जोड़ी बेहद खतरनाक बन जाती है. इस जोड़ी ने ऑपरेशन सिंदूर को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई. 1300 किलोग्राम वजन वाली स्कैल्प मिसाइल में करीब 400 किलोग्राम तक विस्फोटक सामग्री ले जाने की क्षमता होती है. 

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सभी तरह के हमले में सक्षम राफेल
राफेल फ्रांसीसी कंपनी डैसॉल्ट एविएशन निर्मित दो इंजन वाला मध्यम मल्टी-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरसीए) है. राफेल लड़ाकू विमानों को ‘ओमनिरोल’ विमानों के रूप में रखा गया है जो कि युद्ध में अहम रोल निभाने में सक्षम हैं. ओमनिरोल का मतलब है सर्वव्यापी भूमिका, यानी कई तरह की भूमिकाएं निभाने की क्षमता. यह शब्द मुख्य रूप से विमानन में इस्तेमाल होता है. जहां इसका मतलब होता है कि एक विमान विभिन्न प्रकार के मिशन, जैसे हवा से हवा में युद्ध, हवाई समर्थन, हवाई बमबारी आदि रोल निभाने में सक्षम है. इसीलिए राफेल विमानों को वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक सक्षम लड़ाकू विमान माना जाता है.

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क्या हैं इसकी खूबियां
राफेल चौथी पीढ़ी का फाइटर जेट है. ये कई रोल निभाने में सक्षम कॉम्बैट फाइटर जेट है. ग्राउंड सपोर्ट, डेप्थ स्ट्राइक और एंटी शिप अटैक में सक्षम है. इसकी ताकत का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये छोटे न्यूक्लियर हथियारों को ले जाने में सक्षम हैं. राफेल एयरक्राफ्ट 9500 किलोग्राम भार उठाने में सक्षम है. ये अधिकतम 24500 किलोग्राम वजन के साथ उड़ान भर सकता है. इस फाइटर जेट की अधिकतम रफ्तार 1389 किमी/घंटा है. एक बार में ये जेट 3700 किमी तक का सफर तय कर सकता है. 

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भारत ने राफेल क्यों चुना?
राफेल भारत का एकमात्र विकल्प नहीं था. कई अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माताओं ने भारतीय वायुसेना को पेशकश की थी. बाद में छह बड़ी विमान कंपनियों को छांटा गया. इसमें लॉकहेड मार्टिन का एफ -16, बोइंग एफ / ए -18 एस, यूरोफाइटर टाइफून, रूस का मिग -35, स्वीडन की साब का ग्रिपेन और राफेल शामिल थे. सभी विमानों के परीक्षण और उनकी कीमत के आधार पर भारतीय वायुसेना ने राफेल को शॉर्टलिस्ट किया. अपनी कीमत के हिसाब से इसकी क्षमता सबसे ज्यादा बेहतर मानी जाती है.

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New Delhi,Delhi

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