वर्दी का ऐसा जुनून, सेना में 7 बार फेल होकर भी नहीं मानी हार, बन गए अफसर

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Last Updated:December 14, 2025, 09:18 IST

Indian Army Story: इंडियन मिलिट्री एकेडमी की पासिंग आउट परेड के बाद से भारतीय जवानों की कई प्रेरक कहानियां सामने आ रही हैं. आज हम एक ऐसे जवान की कहानी बताएंगे, जो 7 बार फेल हुआ लेकिन आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और वह सेना में अफसर बन गया.

वर्दी का ऐसा जुनून, सेना में 7 बार फेल होकर भी नहीं मानी हार, बन गए अफसरIndian Army Story: गुरमुख सिंह ने 7 बार असफल होकर भी हार नहीं मानी

नई दिल्ली (Indian Army Story). देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) में पासिंग आउट परेड हमेशा गौरवशाली होती है. लेकिन 32 वर्षीय गुरमुख सिंह के लिए यह किसी सपने के सच होने से कम नहीं थी. उनके लिए असफलता कभी रुकावट नहीं, बल्कि अपने लक्ष्य की तरफ एक और ठोस कदम थी. स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद गुरमुख सिंह भारतीय सेना में सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे. लेकिन उनके दिल में कमीशन अधिकारी बनने का गहरा जुनून था.

गुरुमुख सिंह के लिए इस जुनून को पूरा करने की राह आसान नहीं थी. उन्होंने सेना में ऑफिसर बनने के लिए कई प्रवेश परीक्षाओं में लगातार सात बार असफलता का सामना किया. इसके बावजूद, गुरमुख सिंह ने हार मानने से साफ इनकार कर दिया. अपनी ड्यूटी और तैयारी के बीच संतुलन बिठाते हुए उन्होंने लगातार प्रयास जारी रखा. आखिरकार उनकी अटूट लगन रंग लाई और उनके माता-पिता ने गर्व के साथ उन्हें देहरादून में लेफ्टिनेंट की वर्दी पहनते हुए देखा.

लद्दाख की चुनौतियों के बीच जारी रखी पढ़ाई

गुरमुख सिंह का सफर उनकी दृढ़ता और अनुशासन का प्रमाण है. सेवा के दौरान उन्हें लद्दाख जैसी चुनौतीपूर्ण और दूरस्थ चौकियों पर भी तैनात रहना पड़ा. इन मुश्किल पोस्टिंग के बीच परीक्षा की तैयारी के लिए समय निकालना कठिन चुनौती थी. अपना सपना पूरा करने की धुन में उन्होंने सेवा में रहते हुए पीजी की डिग्री के साथ बीएड भी पूरा किया. उनके पिता, रिटायर्ड सूबेदार मेजर जसवंत सिंह ने हर असफलता के बाद उनका हौसला बढ़ाया और लक्ष्य हासिल करने के लिए उन्हें प्रेरित करते रहे.

सात प्रयास, एक अटूट संकल्प

गुरमुख सिंह ने अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए कई प्रवेश मार्ग आजमाए. उन्होंने तीन बार आर्मी कैडेट कॉलेज (ACC) प्रवेश परीक्षा दी, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद उन्होंने स्पेशल कमीशंड ऑफिसर्स (SCO) प्रवेश के माध्यम से 2 बार प्रयास किया, दोनों बार असफल रहे. इन 5 असफलताओं के बावजूद वह अपने लक्ष्य पर डटे रहे. उनके 7वें प्रयास में उनकी वर्षों की मेहनत और समर्पण का परिणाम मिला, जब उन्होंने फाइनल मेरिट सूची में अपनी जगह सुनिश्चित की.

सेना एयर डिफेंस (AAD) कोर में कमीशन

IMA से पास आउट होने के बाद लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह को आर्मी एयर डिफेंस (AAD) कोर में कमीशन किया गया है. उनके पिता, रिटायर्ड सूबेदार मेजर जसवंत सिंह और माता कुलवंत कौर इस ऐतिहासिक क्षण की गवाह बनने के लिए समारोह में मौजूद थे. उनके पिता ने कहा कि जिस दिन से गुरमुख ने सेना जॉइन की थी, उसी दिन से उसमें अधिकारी बनने का जुनून था. लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह का मानना है कि एक सैनिक के रूप में उनके सालों के अनुभव से उन्हें नेतृत्व करने में मदद मिलेगी.

एक सैनिक से कुशल नेता तक का सफर

गुरमुख सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे समझते हैं कि सेना कैसे काम करती है और जवानों को कैसे संभालना है. सैनिकों का नेतृत्व करना उनके लिए स्वाभाविक होगा और वह इसे पूरे कमिटमेंट के साथ करेंगे. वह राष्ट्र सेवा के उद्देश्य पर केंद्रित रहने के लिए प्रेरक किताबें पढ़ना पसंद करते हैं और परिवार के साथ बिताए गए समय को भी महत्व देते हैं. सेना में लेफ्टिनेंट गुरमुख सिंह कहानी भारतीय सेना में हर जवान के लिए प्रेरणा है कि दृढ़ संकल्प और अनुशासन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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Deepali Porwal

With more than 10 years of experience in journalism, I currently specialize in covering education and civil services. From interviewing IAS, IPS, IRS officers to exploring the evolving landscape of academic sys...और पढ़ें

First Published :

December 14, 2025, 09:18 IST

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