Last Updated:December 31, 2025, 15:10 IST
भारतीय सेना ने लंबी अवधि के युद्धों और सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए गोला-बारूद में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. अब सेना द्वारा उपयोग किए जाने वाले करीब 200 प्रकार के गोला-बारूद में से 90% से अधिक का निर्माण भारत में ही हो रहा है. 'मेक इन इंडिया' को बढ़ावा देते हुए पिछले तीन वर्षों में घरेलू कंपनियों को 26,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं, जबकि 16,000 करोड़ रुपये का नया ऑर्डर बास्केट तैयार है. इस पहल से विदेशी निर्भरता घटी है और सेना अब किसी भी ऑपरेशन के लिए अधिक सक्षम और आत्मनिर्भर बन गई है.
भारत ने गोला-बारूद के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है. (एआई इमेज)बदलते वैश्विक भू-राजनीतिक समीकरणों और युद्ध के नए तौर-तरीकों को देखते हुए भारतीय सेना ने अपनी सामरिक तैयारियों में एक ऐतिहासिक बदलाव किया है. यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया में चल रहे तनाव ने यह साबित कर दिया है कि अब युद्ध केवल कुछ दिनों का नहीं, बल्कि लंबे समय तक चलने वाला ‘लॉजिस्टिक्स गेम’ बन गया है. इसी वास्तविकता को स्वीकारते हुए, भारतीय सेना ने गोला-बारूद (Ammunition) की आपूर्ति में अभूतपूर्व आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है. सेना अब अपने शस्त्रागार के 90 प्रतिशत से अधिक गोला-बारूद का निर्माण देश के भीतर ही कर रही है.
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक युद्ध केवल अत्याधुनिक टैंकों या मिसाइलों से नहीं जीते जाते, बल्कि युद्ध क्षेत्र में गोला-बारूद की निर्बाध सप्लाई को लंबे समय तक बनाए रखने की क्षमता से जीते जाते हैं. भारतीय सेना ने इसी ‘सस्टेनेबिलिटी’ (Sustainability) को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया है. पहले भारत को महत्वपूर्ण गोला-बारूद और प्रिसिजन गाइडेड म्यूनिशन (सटीक हमला करने वाले गोले) के लिए रूस, इजरायल या पश्चिमी देशों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे संकट के समय आपूर्ति बाधित होने का खतरा बना रहता था. लेकिन अब यह निर्भरता लगभग समाप्त हो गई है.
आंकड़ों में आत्मनिर्भरता की कहानी
भारतीय सेना वर्तमान में करीब 200 अलग-अलग श्रेणियों के गोला-बारूद और प्रिसिजन म्यूनिशन का इस्तेमाल करती है. ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से 90 फीसदी अब ‘मेक इन इंडिया’ के तहत तैयार हो रहे हैं. शेष 10 फीसदी विशिष्ट श्रेणी के गोला-बारूद के लिए भी सेना, सरकारी ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियों और निजी क्षेत्र की कंपनियों के साथ मिलकर तेजी से काम कर रही है.
आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले तीन वर्षों में भारतीय रक्षा कंपनियों को लगभग 26,000 करोड़ रुपये के गोला-बारूद के ऑर्डर दिए गए हैं. इसके अलावा, सेना ने ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत करीब 16,000 करोड़ रुपये का एक नया ‘ऑर्डर बास्केट’ तैयार किया है, जो अगले कुछ वर्षों में घरेलू उद्योग को मिलेगा.
घरेलू रक्षा उद्योग को नई संजीवनी
इस रणनीति का सबसे बड़ा फायदा भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र को मिला है. खरीद प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाने से निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ी है. अब स्थिति यह है कि कई महत्वपूर्ण गोला-बारूद श्रेणियों के लिए सेना के पास एक नहीं, बल्कि एक से अधिक घरेलू सप्लायर मौजूद हैं. यह प्रतिस्पर्धा न केवल कीमतों को नियंत्रित कर रही है, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार ला रही है.
भविष्य की रोडमैप: आधुनिकीकरण और गुणवत्ता
सिर्फ निर्माण ही नहीं, बल्कि सेना अब पूरी सप्लाई चेन को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है. इसमें गोला-बारूद बनाने के लिए जरूरी कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पुरानी फैक्ट्रियों का आधुनिकीकरण और उत्पादन की गुणवत्ता (Quality Control) पर सख्त निगरानी शामिल है.
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दीप राज दीपक 2022 में न्यूज़18 से जुड़े. वर्तमान में होम पेज पर कार्यरत. राजनीति और समसामयिक मामलों, सामाजिक, विज्ञान, शोध और वायरल खबरों में रुचि. क्रिकेट और मनोरंजन जगत की खबरों में भी दिलचस्पी. बनारस हिंदू व...और पढ़ें
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New Delhi,Delhi
First Published :
December 31, 2025, 15:10 IST

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