Last Updated:August 18, 2025, 17:08 IST
Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई से इंकार किया. कोर्ट ने इसे राजनीतिक बदला लेने का प्रयास बताया और याचिकाकर्ताओं को CAT जाने की सलाह...और पढ़ें

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई बीआर गवई की बेंच ने आज झारखंड के डीजीपी अनुराग गुप्ता की नियुक्ति के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया. यह मामला झारखंड सरकार द्वारा 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता को डीजीपी नियुक्त करने और उनकी सेवा अवधि बढ़ाने के फैसले से जुड़ा है। याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के 2006 के प्रकाश सिंह फैसले और UPSC दिशानिर्देशों का उल्लंघन बताते हुए यह याचिका लगाई थी. दावा किया गया कि गुप्ता की नियुक्ति बिना UPSC की अनुशंसित सूची के हुई और उनकी सेवानिवृत्ति आयु (60 वर्ष, अप्रैल 2025) के बाद सेवा विस्तार गैरकानूनी है.
अवमानना याचिका राजनीतिक बदला लेने के लिए
सीजेआई गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और एन.वी. अंजारिया की बेंच ने सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि अवमानना याचिका का दुरुपयोग राजनीतिक स्कोर सेटल करने के लिए नहीं किया जा सकता. CJI ने कहा, “हम अवमानना के अधिकार क्षेत्र को राजनीतिक बदला लेने के लिए इस्तेमाल नहीं होने देंगे. राजनीतिक विवाद मतदाताओं के सामने सुलझाएं.” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि जनहित याचिका (PIL) सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित लोगों के लिए है, न कि व्यक्तिगत या राजनीतिक हितों के लिए. याचिकाकर्ताओं, जिनमें विपक्ष के नेता बाबूलाल मरांडी शामिल थे, को सलाह दी गई कि वे ऐसी शिकायतों के लिए केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (CAT) का रुख करें.
UPSC नियमों के उल्लंघन का आरोप
कोर्ट ने प्रकाश सिंह मामले (2006) में दिए गए दिशानिर्देशों का हवाला दिया, जिसमें डीजीपी की नियुक्ति के लिए UPSC द्वारा तीन वरिष्ठ IPS अधिकारियों की सूची और दो साल का न्यूनतम कार्यकाल अनिवार्य है. याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि झारखंड सरकार ने इन नियमों का पालन नहीं किया. गुप्ता को फरवरी 2025 में डीजीपी नियुक्त किया गया था, जबकि केंद्र सरकार ने उनकी सेवा विस्तार की मंजूरी नहीं दी थी.
CJI ने राज्य सरकारों की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि राज्य सरकारें अक्सर अस्थायी या कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर नियमों को दरकिनार करती हैं, जैसा कि उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में भी देखा गया. कोर्ट ने इस प्रवृत्ति पर चिंता जताई, लेकिन अवमानना याचिका को स्वीकार करने से इंकार कर दिया, क्योंकि इसे राजनीति से प्रेरित माना गया. इस फैसले से गुप्ता की नियुक्ति को तात्कालिक राहत मिली, लेकिन यह मामला पुलिस सुधारों और प्रशासनिक पारदर्शिता पर बहस को और तेज कर सकता है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
और पढ़ें
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
August 18, 2025, 17:08 IST