Last Updated:September 19, 2025, 12:54 IST
राहुल गांधी वोट चोरी पर सरकार को घेर रहे हैं, अपने इस दावे को और पुख्ता और पावरफुल दिखाने के लिए बार-बार वह हाइड्रोजन बम का जिक्र कर रहे हैं.

हाइड्रोजन बम… देश की राजनीति में आजकल इस बम का जिक्र बार-बार हो रहा है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जब भी सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाते हैं तो उसके साथ हाइड्रोजन बम का भी जिक्र करते हैं. राहुल गांधी बार-बार कहते हैं कि अब वह वोट चोरी का हाइड्रोजन बम फोड़ने वाले हैं. कभी आपने सोचा है कि आखिर ऐसा क्यों? आखिर वोट चोरी और उस पर हो रहे कथित खुलासे को राहुल गांधी ने हाइड्रोजन बम ही नाम क्यों दिया?
दरअसल हाइड्रोजन बम एक बेहद शक्तिशाली और विनाशकारी हथियार है जो परमाणु फ्यूजन पर काम करता है, इसे थर्मोन्यूक्लियर बम भी कहते हैं. यह सामान्य एटम बम से कई गुना ज्यादा तबाही मचा सकता है. इसके लिए यह परमाणु बम की ऊर्जा की मदद लेता है और हाइड्रोजन के आइसोटोप का उपयोग कर शहर के शहर तबाह कर सकता है.
राहुल गांधी ने हाइड्रोजन बम पर क्या कहा?
राहुल गांधी ने वोट अधिकार यात्रा के समापन पर 1 सितंबर को कहा था कि-
क्या आपने कभी एटम बम से बड़ा कुछ सुना है? यह हाइड्रोजन बम है. भाजपा वाले तैयार हो जाइए, हाइड्रोजन बम आ रहा है. बहुत जल्द वोट चोरी की सच्चाई सामने आएगी.’
इसके बाद 11 सितंबर को बेंगलुरु में प्रेस कांफ्रेंस में राहुल गांधी ने एक बार फिर कहा था कि-
भाजपा वाले घबराए हुए हैं, मैं कहूंगा कि घबराओ मत, क्योंकि जब हाइड्रोजन बम आएगा तो सब साफ हो जाएगा.
18 सितंबर को भी वोट चोरी पर किए गए अपने दावे की शुरुआत में राहुल गांधी ने हाइड्रोजन बम का जिक्र किया था.
वोट चोरी पर खुलासा हाइड्रोजन बम कैसे?
राहुल गांधी पिछले काफी समय से वोट चोरी को लेकर सरकार पर हमलावर हैं, वह लगातार दावा कर रहे हैं कि उनके पास इसके पर्याप्त सबूत भी हैं, इनके खुलासे को ही वह हाइड्रोजन बम फोड़ने का नाम दे रहे हैं. एक दिन पहले ही कर्नाटक में वोटरों के नाम डिलीट किए जाने पर किए जाने वाले खुलासे से पहले भी उन्होंने कहा था कि वह हाइड्रोजन बम फोड़ने जा रहे हैं. दरअसल ऐसा करके राहुल गांधी लगातार ये साबत करने की कोशिश कर रहे हैं उनके पास जो सबूत हैं जो बड़ा धमाका कर सकते हैं, या जो दावा वो कर रहे हैं वह भारतीय राजनीति में तहलका मचा सकता है और इसे पूरी तरह बदलकर रख सकता है.
कितना खतरनाक होता है हाइड्रोजन बम?
आपने परमाणु बम के बारे में सुना होगा, हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए एटम बम की वजह से लाखों लोगों की जान गई थी, बरसों तक इसका असर देखने को मिला था. हाइड्रोजन बम इससे कई गुना शक्तिशाली होता है. इसमें इतनी ऊर्जा होती है कि शहर के शहर तबाह कर सकता है, इसके रेडिएशन से कैंसर जैसी घातक बीमारियां फैल सकती हैं, कई पीढ़ियों तक इसका असर देखने को मिल सकता है.
कैसे काम करता है हाइड्रोजन बम?
हाइड्रोजन बम दो तरह से काम करता है, इसकी जो पहली प्रक्रिया है उसे साइंस की भाषा में फिशन कहते हैं, इसके तहत पहले हाइड्रोजन बम में शामिल परमाणु बम फटता है और इसके बाद दूसरी प्रक्रिया फ्यूजन होती है. यानी पहले बम की ऊर्जा का प्रयोग करके ही हाइड्रोजन के दो आइसोटोप (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) आपस में मिलकर हीलियम के परमाणु बन जाते हैं, इस प्रक्रिया में बड़ी मात्रा में ऊर्जा निकलती है.जो तबाही मचाती है.
1952 में पहली बार हुआ था परीक्षण
हाइड्रोजन बम का पहला प्रयोग 1 नवंबर 1952 को अमेरिका ने किया था, हालांकि यह सिर्फ परीक्षण था, इस बम को आईवी माइक नाम दिया गया था. पहले ही प्रयोग में ये सफल रहा था. इसके बाद अन्य देशों ने भी हाइड्रोजन बम बनाए. हालांकि अब तक किसी भी देश ने दूसरे देश पर इससे अटैक नहीं किया.दरअसल इस बम को युद्ध रोकथाम के तौर पर माना जाता है, यानी किसी भी देश के पास इस बम का होना किसी बड़े युद्ध को होने से रोक सकता है.
आज हाइड्रोजन बम कहीं गिरे तो कितनी तबाही मचाएगा?
अगर हाइड्रोजन बम से होने वाली तबाही की बात करें तो कितनी भीषण होगी इसका अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है, अगर अमेरिका के 1952 में प्रयोग किए गए आईवी माइक हाइड्रोजन बम की ही बात करें तो यह हिरोशिमा में गिराए गए एटम बम से तकरीबन 700 गुना ज्यादा तबाही मचा सकता है. दरअसल आईवी माइक की विस्फोटक ताकत 10.4 मेगाटन के बराबर है, यानी यह बम 10.4 मिलियन टन ऊर्जा छोड़़ सकता है. जबकि हिरोशिमा पर गिराया गया एटम बम महज 15 किलो टन TNT के ही बराबर था. यानी हिरोशिमा में जो एटम बम से नुकसान हुआ है, अगर वहां हाइड्रोजन बम से अटैक किया जाता तो जितना नुकसान हुआ था, उससे हुई मौतों का आंकड़ा 700 गुना ज्यादा होता.
न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।
First Published :
September 19, 2025, 12:54 IST
QR स्कैन करें, डाउनलोड करें News18 ऐपया वेबसाइट पर जारी रखने के लिए यहां क्लिक करें