Last Updated:August 18, 2025, 14:37 IST
Rafale Vs Tu-130M: रूस की ‘व्हाइट स्वान’ Tu-160M स्ट्रैटेजिक बॉम्बर की पेशकश भारत के लिए एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है. यह ऐसा विमान है, जो अपने आप में जो महाविनाशक B2 बॉम्बर जितना ही ताकतवर है. 12000 किलोमीटर ...और पढ़ें

भारत की रक्षा रणनीति में एक नया मोड़ आने वाला है. रूस ने भारत को बॉम्बर तुपोलेव Tu-160M ‘व्हाइट स्वान’ की पेशकश की. इसे दुनिया का सबसे तेज और भारी सुपरसोनिक बॉम्बर माना जाता है. रूस का यह बॉम्बर अमेरिका के B-2 स्पिरिट बॉम्बर जितना ही ताकतवर माना जाता है. अपनी स्पीड और रेंज के कारण किसी भी जगह पर भारी तबाही मचाने की क्षमता रखता है. इसमें ब्रह्मोस जैसी महाविनाशक मिसाइलें भी लगाई जा सकती है, जो भारत की सामरिक ताकत को कई गुना बढ़ा सकता है.
रूसी बॉम्बर Tu-160 को 5th जेनेरेशन के फाइटर जेट का भी बाप का जाए तो गलत नहीं होगा. इसे आप इस तरह समझ सकते हैं कि रूसी 5th Gen फाइटर जेट Su-57 की कीमत 35-40 मिलियन डॉलर, अमेरिकी F-35 जेट की कीमत करीब 100 मिलियन डॉलर के आसपाल है. जबकि रूसी बॉम्बर Tu-160 बॉम्बर की कीमत करीब 163 मिलियन डॉलर (लगभग 1365 करोड़ रुपये) बताई जा रही है, जो एक राफेल फाइटर जेट की कीमत (लगभग 200-300 मिलियन डॉलर) से काफी कम है. यह बॉम्बर 12,000 किलोमीटर की रेंज और 40000 किलो तक हथियार ले जाने की क्षमता रखता है.
Tu-160M ‘व्हाइट स्वान’ की महाविनाशक ताकत
रूसी तुपोलेव Tu-160M को ‘व्हाइट स्वान’ के नाम से जाना जाता है. यह दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे तेज सुपरसोनिक स्ट्रैटेजिक बॉम्बर है. यह बॉम्बर मैक 2 यानी 2220 किमी/घंटा की रफ्तार से बिना रिफ्यूलिंग के 12,000 किलोमीटर दूर तक के किसी भी निशाने को तबाह कर सकता है. यह भारत को पाकिस्तान के साथ-साथ पूरे चीन के किसी भी हिस्से तक हमला करने की क्षमता देता है.
इस बॉम्बर की 40000 किलो वजनी हथियार ले जाने की क्षमता है. इसमें 12 लंबी दूरी की क्रूज मिसाइलें या शॉर्ट-रेंज न्यूक्लियर मिसाइलें शामिल हैं. इसमें भारतीय ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें भी जोड़ी जा सकती हैं.
टीयू-160M में आधुनिक एवियोनिक्स, नेविगेशन सिस्टम और NK-32-02 इंजन हैं, जो इसे पुराने बॉम्बर से 60% अधिक प्रभावी बनाते हैं. यह बॉम्बर अमेरिका के B-2 स्पिरिट के मुकाबले कम स्टील्थ, लेकिन ज्यादा तेज और लंबी दूरी का है. इसकी तुलना में, राफेल जैसे मल्टीरोल फाइटर जेट्स की रेंज और पेलोड क्षमता सीमित है, जो इसे भारत की सामरिक जरूरतों के लिए एक अनूठा विकल्प बनाता है.
राफेल पर कितना भारी Tu-160
राफेल फाइटर जेट की कीमत 200-300 मिलियन डॉलर प्रति यूनिट है, जबकि टीयू-160 की अनुमानित कीमत 163 मिलियन डॉलर यानी करीब 1400 करोड़ रुपये है. ऐसे में दो राफेल की कीमत में भारत दो Tu-160 स्ट्रैटेजिक बॉम्बर खरीद सकते हैं.
राफेल की रेंज लगभग 3,700 किमी है, जबकि टीयू-160M की रेंज 12,000 किमी है, जो इसे बिना रिफ्यूलिंग के ही दुश्मन के अंदरूनी इलाकों में हमला करने की ताकत देता है.
टीयू-160M भारत के न्यूक्लियर ट्रायड (जमीन, समुद्र और हवा आधारित) में हवाई हिस्से को मजबूत करेगा. यह विशेष रूप से चीन की बढ़ती सैन्य ताकत, जैसे H-6K बॉम्बर, के खिलाफ रणनीतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण है.
भारत ने INS चक्र पनडुब्बी की तरह रूस से लंबी अवधि की लीज पर Tu-160 लेने की योजना बनाई थी, जिससे पूर्ण खरीद की तुलना में लागत कम हो सकती थी. हालांकि, टीयू-160 के अधिग्रहण और संचालन की लागत भी काफी ज्यादा है, जिसे भारत को अपनी रक्षा प्राथमिकताओं के साथ संतुलित करना होगा.
चीन-पाकिस्तान का हर कोना रेंज में
चीन की सैन्य आक्रामकता और उसके H-6K/N बॉम्बरों की बढ़ती ताकत के बीच, टीयू-160M भारत को एक मजबूत रणनीतिक स्थिति प्रदान कर सकता है. यह बॉम्बर न केवल न्यूक्लियर और पारंपरिक हमलों के लिए उपयुक्त है, बल्कि लंबी दूरी की टोही और समुद्री निगरानी में भी कारगर हो सकता है.
टीयू-160M की रेंज और गति इसे चीन के प्रमुख ठिकानों, जैसे थ्री गॉर्जेस डैम या लोप नोर न्यूक्लियर साइट्स, तक पहुंचने में सक्षम बनाती है. यह बॉम्बर पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से बाहर रहते हुए Kh-101/102 क्रूज मिसाइलों से हमला कर सकता है, जो भारत को रणनीतिक बढ़त देगा.
Tu-160 बॉम्बर की खरीद में क्या अड़चन?
हालांकि रूसी Tu-160 बॉम्बर की खरीद में कई अड़चनें भी हैं. इस बॉम्बर को संचालित करने के लिए विशेष एयरबेस, लंबी दूरी की रिफ्यूलिंग सुविधाएं, और प्रशिक्षित क्रू की जरूरत होगी, जिसके लिए अरबों रुपये का निवेश चाहिए. उधर यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण रूस का रक्षा उद्योग आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन में समस्याओं का सामना कर रहा है, जिसके कारण टीयू-160 की डिलीवरी में देरी हो सकती है. वहीं रूस के साथ बड़े रक्षा सौदों पर अमेरिका के CAATSA प्रतिबंध लग सकते हैं, जो भारत के लिए कूटनीतिक चुनौती बन सकता है.
Tu-160M ‘व्हाइट स्वान’ एक राफेल की कीमत में भारत को एक ऐसा महाविनाशक दे सकता है, जो B-2 स्पिरिट की तरह 12,000 किमी तक तबाही मचा सकता है. यह भारत की रणनीतिक ताकत को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ. हालांकि, रूस की उत्पादन समस्याएं, उच्च रखरखाव लागत, और कूटनीतिक जटिलताएं इसे एक जोखिम भरा निर्णय बनाती हैं. क्या भारत इस अवसर को भुनाएगा या अपनी मौजूदा रक्षा प्राथमिकताओं पर ध्यान देगा? यह फैसला भारत की भविष्य की रक्षा नीति को परिभाषित करेगा.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 18, 2025, 14:37 IST