Eid Al Adha: बकरीद (Bakraid 2025 Pakistan) से पहले पाकिस्तान में कुर्बानी के गोश्त को लेकर बड़ी-बड़ी चर्चाएं चल रही हैं. पाकिस्तानी टीवी चैनलों से लेकर यू-ट्यूब चैनलों में लोग अपनी-अपनी बात रख रहे हैं. टीवी डिबेट्स में मौलाना ऐसे-ऐसे ज्ञान दे रहे हैं कि मत पूछिए, लोग जवाब सुनकर लहालोट हो जा रहे हैं. एक मौलाना ने कहा गोश्त खाने से इंसान की मर्दानगी बढ़ती है. इसके बाद कुर्बानी के जानवर को लेकर सवालों की बारिश होने लगी. क्या वाकई गोश्त खाने से कूबत बढ़ती है? किसी डॉक्टर या डायटीशियन से पूछने के बजाए मौलवी लोग जिस ज्ञान की धारा बहा रहे हैं, आप खुद पढ़कर समझ जाइए.
कुर्बानी का कितना गोश्त घर रखना जायज?
एक पाकिस्तानी का कहना है कि जानवरों को मारते क्यों हैं, भई मारते अपने फायदे के लिए हैं, रुहानी फायदा भी है. गोश्त खाने से इंसान में कुवत बढ़ती है. अपनी कुर्बानी के पास मौजूद रहो, क्योंकि इसके खून का पहला कतरा गिरेगा तो तुम्हारे सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे. वहीं कुछ फिक्रमंद और गैरफिक्रमंद लोग आने वाले दिनों में जगह-जगह होने वाली टिक्का पार्टियों की चर्चा कर रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो अभी से सवाल पूछने लगे हैं कि कुर्बानी का कितना गोश्त घर रखना जायज है.
एक जानकार ने कहा, 'सही से रखने का तरीका आना चाहिए. पहले लोग सुखा लेते थे और 5-6 महीने तक आप जब भी पकाएं वो ताजा का ताजा रहता था, जिस तरह अभी आप आपने फ्रीज में स्टोर करते हैं.
जितने मुंह उतनी बातें
कोई कह रहा है गोश्त खाने से रुहानी फायदा मिलता है.
कोई कह रहा है गुनाह माफ हो जाते हैं.
कोई आइडिया दे रहा है कि गोश्त को फ्रीज में छिपाकर रखो.
तो कोई गोश्त से नपुंसकता दूर करने का दावा कर रहा है.
लेकिन सवाल ये है कि आखिर पाकिस्तान के ये मुल्ला-मौलवी बकरीद पर कुर्बानी और गोश्त के फायदे क्यों बताने लगे हैं. तो बड़ी डीटेल के साथ आज हम आपको पूरा वाक्या बताने वाले हैं. साथ ही उस सड़कछाप मौलवी से भी मिलवाने वाले हैं. जो दावा कर रहा है कि कुर्बानी का गोश्त खाने से इंसान में कुवत बढ़ती है और उसमें ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे पैदा करने की ताकत आती है. हालांकि इसी प्रष्ठभूमि में हिंदुस्तान की बात कर लें तो दिल्ली से नजदीक एक जगह के बीजेपी विधायक नंद किशोर गुर्जर ने ऐसा बयान दिया है, जिसे सुनकर पाकिस्तान के मुल्ला-मौलवी आग बबूला हैं.
'बकरे की जगह केक काट लेना चाहिए': गुर्जर
MLA नंद किशोर गुर्जर, ने कहा था- 'बकरे की जगह केक काट लेना चाहिए. बीजेपी विधायक बकरे की जगह केक काटकर बकरीद मनाने की अपील कर रहे हैं. जैसे ही उनका ये बयान सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा. ऑपरेशन सिंदूर से जले भुने बैठे पाकिस्तान से भी रिएक्शन आने लगे. खुद को मुर्गी-बकरी से लेकर एटम बम तक का विद्वान समझने वाले मुफ्ती तारीक मसूद ने हार्ट फेल कर देने वाली दलील दे डाली. एक जानकार ने तो गोश्त का सीधा कनेक्शन मर्दानगी के साथ जोड़ दिया.
पाकिस्तान के मुफ्ती तारिक मसूद ने कहा, 'जानवरों को मारते क्यों हैं, भई मारते अपने फायदे के लिए हैं, रुहानी फायदा भी है और जिस्मानी फायदा भी है. जिस्मानी फायदा है गोश्त. क्योंकि अल्लाह ने गोश्त का विकल्प दुनिया में कोई पैदा नहीं किया है. अब हिंदू पूछेगा गोश्त ही क्यों खाते हो रोटी से पेट नहीं भरता है. चावल, दाल, मटर, करेले ये इतनी सारी चीजें खाने के लिए हैं, तो क्या जरूरत है गोश्त ही खाया जाए. तो भाई हिंदुओं से हम कहते हैं एक बार खाकर देखो.
मुफ्ती तारिक मसूद ने कहा, 'शादियों का भी आ जाता है क्या करें, हिंदू चार शादियों के कायल नहीं है. दालें खाकर चार शादियों का शौक पैदा नहीं होता भाई. ये मुसलमान, जिसे अल्लाह ने गोश्त खिलाया है, उसके लिए चार शादियां हैं आपके लिए थोड़े ही है. एक शख़्स ने अर्ज किया कि मैं गोश्त खाता हूं तो मुझसे ख़्वाहिश-ए-नफ्स बर्दाश्त नहीं होती है. मैंने और पढ़ा तो पता चला कि गोश्त खाने से इंसान में कूवत बढ़ती है और जिस्म में ताकत आ जाती है.
वहीं के लोग देने लगे सीख
मौलवी साहब का ज्ञान वायरल होने के बाद वहीं के लोग नसीहत देने लगे, कुछ ने कहा,'अरे मौलवी साहब! बेवजह के गाल मत बजाइये. पाकिस्तान की आबादी पहले क्या कम है. जो गोश्त खिलाकर पाकिस्तानियों को जिस्म में आग लगा देना चाहते हो. पाकिस्तान में ये अकेले ऐसे मौलवी नहीं है, जिन्नालैंड की किसी भी गली में घुस जाओ वहां एक नया मौलवी नई दलील के साथ तैयार बैठा है. मुफ्ती तारिक मसूद जहां हकीम बनकर गोश्त को मर्दानगी का शर्तिया इलाज बता रहे थे. वहीं एक और महाशय मियां हाजी अब्दुल हबीब कैमरे पर कुर्बानी से इकोनॉमी के गुर सिखाने लगे.
हाजी अब्दुल हबीब ने कहा, 'अगर शुरुआत से आखिर तक देखें तो करोड़ों-करोड़ों लोगों का बिजनेस चलता है. मजदूरी चलती है, गोश्त मिलता है, गोया सुन्नते इब्राहिमी पर अमल भी हो रहा है, गुनाह भी माफ हो रहे हैं और पूरे समाज का पूरे देश का कारोबार भी चल रहा है. लोगों को लोगों का रोजगार बढ़ रहा है. तो ये जो बहस होती है ना उसे तवज्जो ना दिया करें. अपनी कुर्बानी के पास मौजूद रहो, क्योंकि इसके खून का पहला कतरा गिरेगा तो तुम्हारे सारे गुनाह माफ कर दिए जाएंगे. अल्लाह हू अकबर, सुभानाल्लाह जानवर का कतरा गिरता है खून का और हमारे सारे गुनाह माफ हो जाने हैं, सुभानाल्लाह
जानवारों को पालने के लिए उन्हें खिलाया-पिलाया जाता है. इससे दाना-पानी बेचने वालों को फायदा होता है.
बकरीद पर जानवरों को गाड़ियों में भरकर शहर लाया जाता है. इससे गाड़ी चलाने वालों का फायदा होता है.
जानवरों को बेचने के लिए मंडी या मेला लगाया जाता है. इससे मेला लगाने वालों को फायदा होता है.
मौलवी कहता है जानवर सजाने के लिए उसके गले में माला और झालर पहनाई जाती है. इससे झालर बेचने वाले को फायदा होता है.
जानवर को मंडी या मेले में बेचा जाता है तो इससे जानवर के मालिक को फायदा होता है.
जानवर किसी ना किसी गाड़ी में बैठकर घर जाता है तो इससे दोबारा गाड़ी वाले को फायदा होता है.
घर में जानवर काटने के लिए कसाई बुलाया जाता है तो इससे कसाई को फायदा होता है.
इसके बाद जानवर का गोश्त रिश्तेदारों और गरीबों में बांटा जाता है तो उनका भी फायदा होता है.
कुर्बानी के नियम
कुर्बानी देने की पहली शर्त है कि कुर्बानी देने वाले के पास साढ़े 52 तौला चांदी के बराबर रकम हो. जो घर के दूसरे खर्चों से अलग हो.
इसके अलावा कुर्बानी देने वाले के ऊपर किसी तरह का कोई कर्ज ना हो. सोचिए जरा वो पाकिस्तान, जिसका बाल-बाल कर्ज में डूबा है. पाकिस्तान की सरकार से लेकर अवाम तक पर भयानक कर्जा चढ़ा हुआ है. पाकिस्तान में अगर कोई बच्चा पैदा होता है तो उसके सिर पर भी 1 लाख 15 हज़ार का कर्ज होता है. उस मुल्क में गली-गली में बकरे-ऊंट और बैल बंधे हुए हैं ताकि बकरीद पर इनकी कुर्बानी देकर अपने गुनाह माफ करवा लें.
एक और साहब इंजीनियर मोहम्मद अली मिर्जा ने ऐसी दलीलों पर कहा, 'करोड़पति लोग भी कर्जे में हैं. ये बड़े-बड़े फैक्ट्री के मलिकों से आप पूछे इन्होंने करोड़ में कर्ज उठाए हुए हैं. वो इक्विटी तो उनकी 40% है, 60% तो डेड उन्होंने बैंकों से उठाया हुआ है. वो तो सबसे पहले तो उनकी कुर्बानी नाजायज हो जाएगी, जो अमेरिकन बैल चिप फिट सुविधा जो है मंगवा के यहां पर मंगवा रहे हैं. अगर आप उनको देखें मखरूज वो भी हैं. ये कर्ज जो है ये आरजी कर्ज है, ये इस कर्ज को वो कर्ज नहीं कहा जाता है कि जिसकी बुनियाद पर कर्ज ये है कि एक बंदा कर्ज के तले इतना दबा गया कि उसकी दोस्त की रोटी मुहाल हो गई है और वो रूखी-सूखी खाकर गुजरा कर रहा है, उसको कर्जदार कहा जाता है. करोड़पति लोगों को कर्जदार नहीं कहा जाता है.
वहीं पाकिस्तान के मौलाना इलियास कादरी ने कहा, 'काटना जायज है, शरीयत के मुताबिक बेशक काटें, तकलीफ होगी उसको, लेकिन कम से कम तकलीफ उसे होगी अगर शरीयत के मुताबिक हम काटेंगे. अपनी चालाकियां करेंगे तो इससे जानवर मुसीबत में पड़ेगा.
एक शख्स ने कहा, 'अल्लाह ने खाने के लिए तो कहा है, अगर इससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है तो किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए. किसी चीज के गैरजरूरी प्रदर्शन से बचना चाहिए.