मुसलमानों को नहीं रखनी चाहिए 1 से ज्यादा बेगम... जज साहब क्यों दी ये नसीहत?

4 weeks ago

Last Updated:September 20, 2025, 17:43 IST

Kerala High Court News: केरल हाईकोर्ट ने मुस्लिम पुरुषों की शादी को लेकर बड़ी बात कही है. कोर्ट ने कहा है कि मुस्लिम पुरुष अगर पत्नियों का भरण-पोषण करने में सक्षम नहीं है तो कई विवाह मान्य नहीं. कुरान का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा, एक पत्नी प्रथा ही मुख्य सिद्धांत है.

मुसलमानों को नहीं रखनी चाहिए 1 से ज्यादा बेगम... जज साहब क्यों दी ये नसीहत?केरल हाईकोर्ट ने कहा कि मुस्लिम पुरुष केवल तभी कई विवाह कर सकता है जब वह पत्नियों का पूरा भरण-पोषण कर सके. (AI फोटो)

Kerala High Court News: मुस्लिम धर्म में एक से ज्यादा शादी की प्रथा है. कई मुस्लिम पुरुष एक से ज्यादा शादी करते हैं. लेकिन अब केरल हाईकोर्ट बहुविवाह प्रथा को लेकर बड़ा बयान दिया है. कोर्ट ने मुस्लिम पर्सनल लॉ और विवाह से जुड़े अहम मुद्दे पर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा कि कोई भी मुस्लिम पुरुष कई विवाह तभी कर सकता है जब उसके पास पत्नियों का भरण-पोषण करने की पूरी आर्थिक क्षमता हो. अगर वह अपनी पत्नियों को न्याय और आर्थिक सुरक्षा नहीं दे सकता, तो एक से अधिक विवाह स्वीकार्य नहीं होंगे.

यह टिप्पणी जस्टिस पी.वी. कुन्हिकृष्णन ने उस समय की जब पेरिन्थलमन्ना की रहने वाली 39 वर्षीय महिला ने अपने 46 वर्षीय नेत्रहीन पति से ₹10,000 मासिक भरण-पोषण की मांग को लेकर याचिका दायर की. पति कथित तौर पर भीख मांगकर जीवनयापन करता है और पहले से ही अपनी पहली पत्नी के साथ रह रहा है.

हाईकोर्ट की कड़ी टिप्पणी
जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने आदेश में व्यंग्यात्मक मलयालम कहावत का हवाला देते हुए कहा, “भीख के कटोरे में हाथ डालने से कुछ नहीं मिलेगा.” उन्होंने कहा कि पत्नी को यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए कि भरण-पोषण ऐसे व्यक्ति से मिलेगा जो खुद ही दूसरों पर निर्भर है.

तीसरी शादी की धमकी भी दी
याचिका में पत्नी ने यह भी आरोप लगाया था कि उसका नेत्रहीन पति उसे धमका रहा है कि वह तीसरी शादी करेगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि यह आचरण न केवल अनुचित है बल्कि इस्लामी रीति-रिवाजों के भी खिलाफ है.

कुरान का हवाला
कोर्ट ने अपने आदेश में कुरान की आयतों का जिक्र करते हुए कहा कि इस्लाम में एकपत्नी प्रथा को ही प्राथमिकता दी गई है. बहुविवाह को केवल अपवादस्वरूप मान्यता है और वह भी तब, जब पति अपनी सभी पत्नियों के साथ न्याय कर सके. कोर्ट ने कहा कि गरीब तबकों में लगातार शादियों की प्रवृत्ति शिक्षा और जागरूकता की कमी से जुड़ी है. समाज और धार्मिक नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे लोगों को असली रीति-रिवाजों की जानकारी दें.

राज्य की जिम्मेदारी
कोर्ट ने कहा कि राज्य का कर्तव्य है कि वह बहुविवाह की शिकार महिलाओं को संरक्षण दे. अदालत ने सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट को पति की काउंसलिंग करने का निर्देश दिया, जिसमें धार्मिक नेताओं और काउंसलर्स की मदद ली जाएगी.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...

और पढ़ें

न्यूज़18 को गूगल पर अपने पसंदीदा समाचार स्रोत के रूप में जोड़ने के लिए यहां क्लिक करें।

First Published :

September 20, 2025, 17:43 IST

homenation

मुसलमानों को नहीं रखनी चाहिए 1 से ज्यादा बेगम... जज साहब क्यों दी ये नसीहत?

Read Full Article at Source