Last Updated:June 18, 2025, 14:49 IST
Ahmedabad Air India Plane Crash: अहमदाबाद एयर इंडिया प्लेन क्रैश में 260 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. इस दुखद हादसे में मणिपुर की कुकी-जो और मैतेई समुदाय की दो बेटियों की भी मौत हो गई.

अहमदाबाद प्लेन क्रैश मामले में मणिपुर की दो बेटियों की मौत हो गई थी. (फोटो: पीटीआई)
हाइलाइट्स
अहमदाबाद प्लेन क्रैश में मणिपुर की दो बेटियों की भी मौतएक कुकी-जो तो दूसरी हैं मैतेई समुदाय से, अब शांति की उम्मीदएयर इंडिया प्लेन क्रैश में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की हुई मौतAhmedabad Air India Plane Crash: इंतेहा की पीड़ा कभी-कभी एकजुटता का रास्ता बन जाती है. अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI 171 के क्रैश में जान गंवाने वाली मणिपुर की दो बेटियों (मैतेई समुदाय की एनगंथोई शर्मा और कुकी-जो समुदाय की लामनुथिएम सिंगसोन) ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में भी ऐसा ही एक रास्ता खोला. उनके निधन ने उस मणिपुर में एकता की चिंगारी जलाई है, जो दो सालों से जातीय हिंसा की आग में बंटा हुआ था. साल 2023 से जारी मैतेई-कुकी हिंसा ने मणिपुर को दो हिस्सों में बांट दिया था. एक हिस्सा इम्फाल घाटी में सीमित मैतेई समुदाय और दूसरा पहाड़ी जिलों में बसे कुकी-जो लोगों का. एक-दूसरे के क्षेत्रों में आना-जाना बंद, घर जलाए गए, 260 से ज़्यादा मौतें और 50,000 से अधिक लोग बेघर हुए. इस हालात में प्लेन क्रैश में दोनों समुदायों की बेटियों का जाना एक दर्दनाक, लेकिन ऐतिहासिक मोड़ बन गया है.
एनगंथोई और सिंगसोन दोनों एयर होस्टेस थीं और एयर इंडिया की उस फ्लाइट में ड्यूटी पर थीं, जो अहमदबाद क्रैश हो गई. उनकी पहचान के बाद मणिपुर प्रशासन और समुदायों के बीच हलचल तेज हो गई है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन दोनों के शवों को कैसे और कहां लाया जाए? कुकी-जो समुदाय की सिंगसोन का परिवार पहले इम्फाल में रहता था, लेकिन हिंसा के बाद वे कांगपोकपी जिले चले गए. अब सवाल था कि क्या उनका शव इम्फाल एयरपोर्ट लाया जाए? कुकी समुदाय के लिए इम्फाल जाना खतरे से खाली नहीं है. लेकिन, मणिपुर सरकार ने सुरक्षा का आश्वासन दिया. पुलिस और प्रशासन ने कांगपोकपी में परिवार से बातचीत की और रास्ता खोजने की कोशिश की. विकल्प यह भी है कि शव नागालैंड के दीमापुर एयरपोर्ट लाया जाए और वहां से सड़क के रास्ते कांगपोकपी ले जाया जाए, ताकि मैतेई बहुल क्षेत्रों से बचा जा सके.
मैतेई समुदाय बोला- दोनों हमारी बेटियां
इसी बीच, मैतेई समुदाय के सबसे प्रभावशाली संगठन COCOMI ने बयान जारी कर सभी समुदायों से एकजुटता की अपील की. संगठन ने कहा कि यह वक़्त मातम का है, न कि बंटवारे का. दोनों बेटियां हमारी थीं. हम उनके सम्मानजनक अंतिम संस्कार के लिए हर संभव मदद करेंगे. मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने भी कहा कि राज्य सरकार दोनों परिवारों की इच्छा के अनुसार सभी व्यवस्थाएं करेगी. पुलिस प्रमुख राजीव सिंह सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने स्वयं परिजनों से बात की और आश्वासन दिया कि कोई असुविधा नहीं होने दी जाएगी. सिंगसोन के परिवार की ओर से उनके चाचा ने हाहाओ हैपी कहा, ‘हमारी बेटी अब नहीं रही, लेकिन अगर उसकी वजह से शांति की शुरुआत होती है तो यह उसके जीवन का सबसे बड़ा सम्मान होगा.’ अभी वे अहमदाबाद से शव की स्थिति को लेकर अंतिम जानकारी का इंतज़ार कर रहे हैं.
एकता और शांति की उम्मीद
शायद यह पहला मौक़ा है जब मणिपुर के दोनों समुदायों ने सार्वजनिक रूप से शोक और संवेदना साझा की है. दोनों बेटियों की आख़िरी यात्रा, अगर साझा सहमति से होती है, तो वह मणिपुर के लिए एक शांति की मशाल बन सकती है, जिससे नफ़रत की दीवारें धीरे-धीरे पिघलें. इस हादसे ने एक गहरा ज़ख़्म छोड़ा है, लेकिन शायद यही वो पल है, जब मणिपुर खुद से पूछ सके कि क्या हम शांति को एक और मौका दे सकते हैं? अहमदाबाद प्लेन क्रैश में ढाई सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. दुर्घटनाग्रस्त विमान में चालक दल और पैसेंजर्स मिलाकर कुल 242 लोग सवार थे. इनमें से एक श्ख्स की जान बच सकी, जबकि 241 अन्य की मौत हो गई.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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