भारत में लॉन्‍च हुआ टेस्‍ला का Y मॉडल, कीमत अमेरिका से 22 लाख रुपये ज्‍यादा

8 hours ago

Last Updated:July 15, 2025, 12:26 IST

Tesla Car Price : अमेरिकी कंपनी टेस्‍ला की कार भारत में लॉन्‍च हो चुकी है, लेकिन इसकी कीमत अमेरिकी बाजार के मुकाबले कहीं ज्‍यादा है. आखिरकार ऐसा क्‍यों होता है कि बाहर की कार यहां आने पर इतनी महंगी हो जाती है.

भारत में लॉन्‍च हुआ टेस्‍ला का Y मॉडल, कीमत अमेरिका से 22 लाख रुपये ज्‍यादा

टेस्‍ला ने भारत में दो मॉडल लॉन्‍च किए हैं.

हाइलाइट्स

टेस्ला ने भारत में Y मॉडल लॉन्च किया.भारत में टेस्ला Y मॉडल की कीमत 22 लाख रुपये ज्यादा.आयात शुल्‍क और टैक्‍स के कारण कीमत बढ़ी.

नई दिल्‍ली. लंबे समय के इंतजार के बाद आखिरकार वह दिन आ ही गया जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी का सपना पूरा हुआ. एलन मस्‍क काफी प्रयास कर रहे थे कि उनकी ई-कार कंपनी टेस्‍ला की गाडि़यां भारत में भी बिकनी शुरू हो जाएं. मंगलवार को टेस्‍ला ने मुंबई में अपना पहला शोरूम खोलकर इस सपने को भी पूरा कर दिया. लेकिन, परेशानी ये है कि टेस्‍ला के जो मॉडल भारत में लॉन्‍च हुए हैं, उनकी कीमत अमेरिकी बाजार के मुकाबले काफी ज्‍यादा है. आखिर भारत में आकर यह कारें क्‍यों इतनी महंगी हो जाती हैं.

टेस्‍ला के सबसे चर्चित मॉडल Y की बात करें तो भारत में इसकी कीमत अमेरिकी बाजार के मुकाबले 15 हजार डॉलर ज्‍यादा है. अमेरिका में जहां इस मॉडल की कीमत 44,990 डॉलर यानी करीब 38.7 लाख रुपये है, वहीं भारतीय बाजार में इसका दाम 15 हजार डॉलर बढ़कर 59.89 लाख रुपये के एक्‍स शोरूम कीमत पर पहुंच जाता है. अगर मुंबई में इसका ऑनरोड प्राइस देखें तो यह करीब 61 लाख रुपये बैठता है, जो अमेरिकी बाजार से करीब 22 लाख रुपये महंगा हो जाता है.

भारत में क्‍यों बढ़ जाती है कीमत
भारत में आयात होकर आने वाली इलेक्ट्रिक कारों को पूरी तरह से तैयार प्रोडक्‍ट के रूप में गिना जाता है. ऐसे उत्‍पादों पर 60 से 100 फीसदी तक आयात शुल्‍क लगाया जाता है. कार की कीमत को बढ़ाने में इसी टैक्‍स का सबसे ज्‍यादा योगदान होता है. अगर चीन की बात करें तो वहां टेस्‍ला के वाई मॉडल की कीमत करीब 46 लाख रुपये है, जबकि यूरोपीय बाजार में भी इस मॉडल की कीमत करीब 46 लाख रुपये ही रहती है.

अन्‍य मॉडल की भी यही हालत
आयात शुल्‍क की वजह से टेस्‍ला के अन्‍य मॉडल की कीमत भी काफी बढ़ जाती है. टेस्‍ला के मॉडल 3 की कीमत अमेरिका में करीब 30 लाख रुपये है, लेकिन आयात शुल्‍क लगने के बाद भारत में यह 35 से 40 लाख रुपये हो जाती है. इसके अलावा टेस्‍ला की कारों के महंगी होने के और भी कारण हैं. इन कारों में प्रीमियम क्‍वालिटी की बैटरी, इंटीरियर और तकनीक होती है, जो इसकी कीमत बढ़ा देती है.

आयात शुल्‍क के अलावा भी कई टैक्‍स
भारत में आयात शुल्‍क के अलावा और भी कई तरह के टैक्‍स लगाए जाते हैं. इसमें रोड टैक्‍स, बीमा और स्‍थानीय टैक्‍स भी लगते हैं. इन चीजों को मिलाकर वाहनों की ऑन रोड कीमत काफी ज्‍यादा हो जाती है. अगर भारत में आयात शुल्‍क को 15 से 20 फीसदी घटा भी दिया जाए तो भी यहां आयात होकर आई कारों की कीमत ज्‍यादा ही रहेगी. टेस्‍ला की बात करें तो इसकी सबसे कम कीमत वाली कार भी 35 से 40 लाख रुपये की होगी, जबकि भारत में वाहन बनाने वाली कंपनियां टाटा, हुंडई और एमजी की ई-कार 20 से 30 लाख रुपये के रेंज में आ जाती है.

डॉलर का भी पड़ता है असर
टेस्‍ला की की कारों की कीमत डॉलर में तय होती है, क्‍योंकि इसकी ज्‍यादातर मैन्‍युफैक्‍चरिंग अमेरिका में ही है. ऐसे में जब यह कार भारत आती है तो इसकी कीमत रुपये में बदल जाती है. इस एक्‍सचेंज के लिए भी कीमत चुकानी पड़ती है, जबकि डॉलर की मजबूती की वजह से रुपये पर दबाव भी बढ़ जाता है. अगर भविष्‍य में टेस्‍ला ने भारत में उत्‍पादन शुरू किया तो इसकी कीमतों में गिरावट आ सकती है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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