बिहार वोटर लिस्ट का जिन्न पहुंचा दक्षिण, 6.5 लाख वोटर्स के नाम काटने की मांग

3 weeks ago

Last Updated:August 03, 2025, 07:47 IST

तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट पर विवाद खड़ा हुआ है. डीएमके और सहयोगी दलों ने बिहार के प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में शामिल करने का विरोध किया है. अब सबकी निगाहें चुनाव आयोग पर टि...और पढ़ें

बिहार वोटर लिस्ट का जिन्न पहुंचा दक्षिण, 6.5 लाख वोटर्स के नाम काटने की मांगतमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. (प्रतीकात्मक- AI)

हाइलाइट्स

डीएमके ने प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट में शामिल करने का विरोध किया.प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट में जोड़ने से राजनीतिक माहौल बदल सकता है.डीएमके ने मुख्यमंत्री से सभी दलों की बैठक बुलाने की मांग की.

तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने चुनाव आयोग के उस फैसले का विरोध किया है, जिसमें प्रवासी मजदूरों को उनके मूल राज्य के बजाय तमिलनाडु की मतदाता सूची में शामिल करने की बात कही गई है. इन दलों का कहना है कि उत्तर भारत से आए प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में जोड़ने से राज्य का राजनीतिक माहौल पूरी तरह बदल सकता है. इस मुद्दे ने तमिलनाडु की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है.

दरअसल चुनाव आयोग ने हाल ही में बताया कि बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के पहले चरण के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से 65 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं. इनमें से कुछ लोगों की मौत हो चुकी है, कुछ का दो जगहों पर रजिस्ट्रेशन था, और कुछ लोग स्थायी रूप से बिहार से बाहर चले गए हैं. इस जानकारी के बाद तमिलनाडु में डीएमके और उसके सहयोगी दलों ने आशंका जताई है कि बिहार और दूसरे राज्यों से आए लाखों प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में शामिल किया जा सकता है.

तमिलनाडु की सियासत पर कैसा असर?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डीएमके के महासचिव दुरईमुरुगन ने वेल्लोर में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘उत्तर भारत से आए प्रवासी मजदूरों को तमिलनाडु में वोटर आईडी देना भविष्य में राज्य की राजनीति को बदल देगा. यह हमारे लिए चिंता का विषय है.’ डीएमके की सहयोगी टीवीके के संस्थापक टी. वेलमुरुगन ने इसे और गंभीर बताते हुए कहा, ‘यह चौंकाने वाला है कि बिहार के 6.5 लाख प्रवासी मजदूरों को पहले ही तमिलनाडु की वोटर लिस्ट में जोड़ा जा चुका है. लाखों प्रवासी मजदूर तमिलनाडु में काम कर रहे हैं, और यह हमारी संस्कृति और परंपराओं के लिए खतरा है.’

वीसीके के अध्यक्ष थोल थिरुमावलवन ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से इस मुद्दे पर सभी दलों की बैठक बुलाने की मांग की है. उन्होंने कहा, ‘तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, और जल्द ही यहां भी SIR शुरू होगा. इस दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट में शामिल किया जा सकता है, जिससे राज्य का पूरा राजनीतिक परिदृश्य बदल जाएगा.’ थिरुमावलवन ने इसे तमिलनाडु की पहचान और संस्कृति पर हमला बताया.

क्या तमिलनाडु में भी शुरू होगा SIR?

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब तमिलनाडु में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. डीएमके और उसके सहयोगी दलों का मानना है कि प्रवासी मजदूरों को वोटर लिस्ट में शामिल करने से राज्य की राजनीतिक ताकत और स्थानीय लोगों का प्रभाव कम हो सकता है. दूसरी ओर, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि प्रवासी मजदूरों को मतदाता सूची में शामिल करना एक संवैधानिक प्रक्रिया है, क्योंकि जो लोग लंबे समय से किसी राज्य में रह रहे हैं, वे वहां मतदान के लिए पात्र हो सकते हैं.

चुनाव आयोग ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि तमिलनाडु में SIR की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. इस दौरान मतदाता सूची को अपडेट करने के लिए प्रवासी मजदूरों के रजिस्ट्रेशन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा. डीएमके और सहयोगी दलों ने इस प्रक्रिया पर नजर रखने और इसका विरोध करने का फैसला किया है.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...

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Location :

Chennai,Tamil Nadu

First Published :

August 03, 2025, 07:47 IST

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बिहार वोटर लिस्ट का जिन्न पहुंचा दक्षिण, 6.5 लाख वोटर्स के नाम काटने की मांग

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