बारिश के साइड इफेक्टः 15-20 दिन लेट हो गई आलू की बिजाई, सप्लाई पर बड़ा संकट

4 weeks ago

Last Updated:September 19, 2025, 12:35 IST

ऊना में बारिश से आलू की बिजाई 15-20 दिन लेट हुई, सुनील जसवाल, राहुल कुमार, अशोक कुमार, जतिंदर सिंह समेत किसानों को दाम गिरने और नुकसान की आशंका है. Dr. कुलभूषण धीमान ने सलाह दी.

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ऊना. हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला के किसानों के लिए इस बार बरसात ने आलू की फसल की समयसारिणी को पूरी तरह बिगाड़ दिया है. सामान्यत: अगस्त के अंतिम दिनों में होने वाली आलू की बिजाई इस बार सितंबर के तीसरे सप्ताह तक खिंच गई है. लगातार बारिश और खेतों में पानी भरने से किसान मजबूर होकर बिजाई टालते रहे. स्थिति यह है कि कई इलाकों में खेत अब भी तालाब जैसे दिखाई दे रहे हैं.

जिला ऊना में आलू की शुरुआती फसल पंजाब से पहले तैयार होकर बाज़ार में पहुँचती थी, जिससे किसानों को बेहतर दाम मिलते थे. मगर इस बार बिजाई में हुई देरी के कारण हिमाचल और पंजाब की फसल एक साथ तैयार होगी. इससे बाज़ार में आलू की अधिक आपूर्ति और रेट गिरने की आशंका गहराने लगी है. किसानों का कहना है कि अगर जल्द हालात नहीं सुधरे तो कई लोग इस सीजन आलू की बिजाई से पीछे हट सकते हैं.

दरअसल, हर साल अगस्त महीने के अंतिम सप्ताह में होने वाली आलू की बिजाई इस सीजन सितंबर महीने के तीसरे सप्ताह तक खींच गई है. इसके चलते आलू की फसल देरी से निकलेगी और कहीं ना कहीं इसके भाव पर किसानों को प्रतिकूल असर पड़ने की प्रबल आशंका जताई जा रही है. किसान सुनील जसवाल, राहुल कुमार, अशोक कुमार और जतिंदर सिंह का कहना है कि खेतों में खड़ा पानी आलू की बिजाई में सबसे बड़ी रुकावट बन गया है. सुनील जसवाल ने बताया कि खेतों में कई हफ्तों तक पानी जमा रहने से मिट्टी की नमी जरूरत से ज्यादा बढ़ गई है और बीज खराब होने का डर बना रहता है. राहुल कुमार ने कहा कि हिमाचल का आलू जल्दी तैयार होकर ही हमेशा किसानों को राहत देता था, लेकिन अब पंजाब का आलू भी साथ ही बाज़ार में आने से दाम गिरना तय है.

अशोक कुमार ने कहा कि जिन किसानों ने आलू के बीज के लिए कर्ज लिया है, उनके सामने लागत निकलना भी मुश्किल होगा. जतिंदर सिंह ने बताया कि उनके इलाके में कुछ किसानों ने तो पूरी तरह आलू की बिजाई से मुंह मोड़ने का फैसला किया है क्योंकि देर से बोई गई फसल का उत्पादन और भाव दोनों ही प्रभावित होते हैं. किसानों का मानना है कि यदि सरकार या कृषि विभाग की ओर से ठोस मदद और मार्गदर्शन नहीं मिला तो आने वाले समय में आलू की खेती से उनका भरोसा टूट सकता है.

कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. कुलभूषण धीमान ने किसानों को सलाह दी है कि बिजाई के बाद खेतों से पानी की निकासी का पूरा इंतज़ाम किया जाए. उन्होंने कहा कि आलू की कच्ची फसल लगभग 3000 हेक्टेयर क्षेत्र में बोई जाती है और यदि इसमें पानी रुक गया तो नुकसान बढ़ सकता है. आमतौर पर हिमाचल का आलू सबसे पहले बाज़ार में पहुँचकर अच्छा दाम दिलाता है, लेकिन इस बार देरी से हुए बुवाई से रेट पर असर पड़ना तय माना जा रहा है.

Vinod Kumar Katwal

Results-driven journalist with 14 years of experience in print and digital media. Proven track record of working with esteemed organizations such as Dainik Bhaskar, IANS, Punjab Kesari and Amar Ujala. Currently...और पढ़ें

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Location :

Shimla,Shimla,Himachal Pradesh

First Published :

September 19, 2025, 12:35 IST

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