Last Updated:August 18, 2025, 16:34 IST
बीजेपी ने समर्थन मांगा और चंद्रबाबू नायडू के कट्टर विरोधी जगन मोहन रेड्डी ने तुरंत एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधा कृष्णन का सपोर्ट करने का ऐलान कर दिया. आखिर जगन मोहन रेड्डी की ऐसी क्या...और पढ़ें

‘राजनीति में कोई दोस्त और कोई दुश्मन नहीं होता, सिर्फ इंट्रेस्ट मायने रखते हैं’… जर्मन चांसलर रहे बिस्मार्क की यह लाइन इस बार उपराष्ट्रपति चुनाव में बिल्कुल फिट बैठती है. दो ऐसी पार्टियां, जिनके नेता आम तौर पर एक-दूसरे को फूटी आंख भी देखना पसंद नहीं करते, इस बार बीजेपी के नेतृत्व में एक ही मंच पर खड़ी दिखाई दे रही हैं. जी हां, हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश की. जहां जगनमोहन रेड्डी की पार्टी वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) ने ऐलान किया है कि वह 9 सितंबर को होने वाले चुनाव में एनडीए कैंडिडेट सीपी राधाकृष्णन का समर्थन करेगी. वह भी तब जब जगनमोहन रेड्डी और एनडीए के दिग्गज नेता चंद्रबाबू नायडू की एकदम नहीं बनती.
सूत्रों के मुताबिक, 13 अगस्त को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जगनमोहन रेड्डी को फोन करके समर्थन मांगा था. इसके बाद पार्टी अध्यक्ष जगन ने अपने सांसदों से चर्चा की और फिर संसदीय दल के नेता वाईवी सुब्बा रेड्डी ने समर्थन देने का ऐलान कर दिया. वाईआरसीपी के लोकसभा में 4 सांसद हैं, लेकिन एक सांसद फिलहाल 3,200 करोड़ रुपये की आंध्र प्रदेश शराब घोटाले के केस में जेल में हैं. राज्यसभा में पार्टी के 7 सांसद हैं. उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों के सांसद वोट डालते हैं, और आंकड़ों के हिसाब से एनडीए पहले ही आराम से जीत की स्थिति में है. टीटुपति से सांसद मद्दिला गुरुमूर्ति ने कहा कि पार्टी इस चुनाव के लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगी, लेकिन अगर मुकाबला होता है तो सभी सांसद पार्टी के फैसले के अनुसार राधाकृष्णन को वोट देंगे.
सीपी राधा कृष्णन को एनडीए ने उपराष्ट्रपति पद का कैंडिडेट बनाया है.
टीडीपी पर दबाव बनाने की कोशिश तो नहीं?
नंबर के लिहाज से देखें तो वाईएसआरसीपी के वोट बहुत अहम नहीं हैं. फिर भी राजनीतिक तौर पर इसे बीजेपी और जगनमोहन रेड्डी के बीच रिश्तों को मजबूत करने वाला कदम माना जा रहा है. कुछ लोग इसे बीजेपी की रणनीति बताते हैं ताकि टीडीपी पर दबाव बना रहे. वाईएसआरसीपी के एक नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, बीजेपी को हमारे वोट की जरूरत ही नहीं है, फिर भी वो हमारे पास आए. इसका मतलब साफ है कि वो TDP को यह संदेश देना चाहते हैं कि वह अपराजेय नहीं है.
कई अहम मौकों पर दिया साथ
2024 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद से वाईएसआरसीपी इश्यू-बेस्ड सपोर्ट करती रही है. पार्टी ने लोकसभा अध्यक्ष के चुनाव में भी एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला को समर्थन दिया था. लेकिन कुछ मामलों में उसने अलग रुख अपनाया. जैसे अप्रैल में वक्फ (संशोधन) बिल पर उसने अपने सांसदों को स्वतंत्र छोड़ दिया था, बाद में वह इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई. आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आबादी काफी है, यही वजह है कि वाईएसआरसीपी इस मामले में ज्यादा सावधानी बरत रही है.
इंडिया अलायंस में जाने का विकल्प नहीं
जगन मोहन रेड्डी की मजबूरी भी साफ है. उनके पास किसी भी हालत में इंडिया अलायंस या कांग्रेस के साथ जाने का विकल्प नहीं है. आंध्र प्रदेश में कांग्रेस से उनकी पीढ़ियों पुरानी दुश्मनी है. इसलिए उन्हें बीजेपी के साथ कदम मिलाना पड़ा. बीजेपी की राजनीति पर करीबी नजर रखने वाले एक्सपर्ट मानते हैं कि यह उपराष्ट्रपति चुनाव केवल उम्मीदवार का नाम तय करने तक सीमित नहीं है. यह राजनीतिक संकेत भी है कि कैसे बीजेपी विरोधी दलों को भी अपने रणनीतिक इंट्रेस्ट के लिए साथ ला सकती है. यही वजह है कि बीजू जनता दल (BJD) जैसे दलों की भी बीजेपी के साथ आने की संभावना बढ़ गई है. बीजेपी व्यक्तिगत रिश्तों को राजनीतिक हितों के हिसाब से जोड़ देती है और इसका उसे हमेशा फायदा होता आया है.
एनडीए के पास कितने दलों का समर्थन
बीजेपी समर्थन करेगी ही, क्योंकि उन्हीं के कैंडिडेट.
जेडीयू- NDA में शामिल, बिहार में प्रभावशाली.
शिवसेना-दोनों गुट दे सकते हैं समर्थन
एनसीपी-शरद पवार-अजित पवार दोनों का साथ संभव
एलजेपी– NDA का सहयोगी, बिहार में प्रभाव.
नेशनल पीपुल्स फ्रंट (NPF) – NDA सहयोगी दल है.
बीजू जनता दल– माना जा रहा है कि बीजेपी के साथ आने की संभावना है।
टीआरएस – इंडिया अलायंस के साथ शायद न जाए.
Mr. Gyanendra Kumar Mishra is associated with hindi.news18.com. working on home page. He has 20 yrs of rich experience in journalism. He Started his career with Amar Ujala then worked for 'Hindustan Times Group...और पढ़ें
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
August 18, 2025, 16:34 IST