Last Updated:December 13, 2025, 16:49 IST
Congress Politics: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार 14 दिसंबर को दिल्ली में सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. ढाई साल पूरे होने के बाद सीएम पद को लेकर फिर उठी खींचतान के बीच इस बैठक को निर्णायक माना जा रहा है. हाईकमान के दरबार में अब कर्नाटक की सत्ता का भविष्य तय हो सकता है.
कर्नाटक CM विवाद के बीच सिद्धारमैया और DK शिवकुमार 14 दिसंबर को सोनिया गांधी से मिलेंगे. (फोटो PTI)Karnataka Politics: दिल्ली में 14 दिसंबर को कांग्रेस की राजनीति का सबसे अहम दरबार सजने वाला है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार एक साथ कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे. यह मुलाकात ऐसे समय हो रही है, जब कर्नाटक में सत्ता के शीर्ष पद को लेकर अंदरखाने खींचतान फिर तेज होती नजर आ रही है. मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस के दोनों बड़े नेता के बीच संघर्ष चल रही है.
सियासी गलियारों में इसे सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं बल्कि फैसले की घड़ी के तौर पर देखा जा रहा है. वजह साफ है कर्नाटक सरकार ने अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा सफर तय कर लिया है और मुख्यमंत्री पद को लेकर पुराने समझौते, नए दावे और अंदरूनी संदेश फिर सतह पर आ गए हैं. ऐसे में सबकी निगाहें अब ‘मैडम सोनिया’ पर टिकी हैं.
क्यों अहम है सोनिया गांधी से यह मुलाकात?
कांग्रेस के भीतर यह लगभग तय माना जाता है कि कर्नाटक के नेतृत्व विवाद पर आखिरी फैसला हाईकमान ही करेगा. पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पहले ही कह चुके हैं कि इस कन्फ्यूजन को सोनिया गांधी, राहुल गांधी और वह खुद मिलकर सुलझाएंगे. अब जब सिद्धारमैया और शिवकुमार एक साथ दिल्ली पहुंच रहे हैं, तो साफ है कि मामला निर्णायक मोड़ पर है.
कैसे तय हुआ बैठक का वक्त और मंच?
सूत्रों के मुताबिक यह मुलाकात दिल्ली के रामलीला मैदान में कांग्रेस की ‘वोट चोर गद्दी छोड़’ रैली के बाद होगी. यह रैली भाजपा और चुनाव आयोग के कथित गठजोड़ के खिलाफ कांग्रेस का बड़ा राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन मानी जा रही है. इसी बहाने कर्नाटक के दोनों शीर्ष नेता भी दिल्ली में मौजूद रहेंगे और सोनिया गांधी से सीधी बातचीत करेंगे.
कर्नाटक में क्या है पूरा सत्ता संघर्ष?
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार को करीब 140 विधायकों का मजबूत समर्थन हासिल है. लेकिन सत्ता के भीतर संतुलन आसान नहीं है. 20 नवंबर को सरकार के ढाई साल पूरे होने के बाद फिर यह चर्चा तेज हो गई कि मुख्यमंत्री पद को ढाई-ढाई साल के फार्मूले पर बदला जाना था. हालांकि पार्टी और दोनों नेताओं ने कभी आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं की. हाल के दिनों में बेलगावी में चल रहे विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों खेमों की गतिविधियों ने सियासी पारा चढ़ा दिया.
कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार को करीब 140 विधायकों का मजबूत समर्थन हासिल है. (फोटो PTI)
डिनर पॉलिटिक्स और बढ़ती अटकलें
डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया दोनों ने अलग-अलग दिनों में विधायकों के साथ डिनर मीटिंग की. डीके शिवकुमार के डिनर में 50-55 विधायकों के शामिल होने का दावा. कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन का बयान- शिवकुमार सत्र के बाद मुख्यमंत्री बनेंगे. सिद्धारमैया की भी एक दिन पहले विधायकों के साथ डिनर मीटिंग. दोनों खेमों ने इसे ‘सामाजिक मुलाकात’ बताया, लेकिन संदेश साफ गया.हाईकमान का निर्देश और दिखावटी शांति
बीजेपी को राजनीतिक बढ़त न मिले, इसलिए हाईकमान के निर्देश पर दोनों नेताओं ने हाल ही में एक-दूसरे के घर नाश्ता बैठकें भी कीं. बाहर से सब कुछ सामान्य दिखाने की कोशिश हुई, लेकिन अंदरखाने संदेशों की राजनीति जारी रही. विधानसभा सत्र 19 दिसंबर को खत्म हो रहा है, और उससे पहले किसी बड़े टकराव से बचने की रणनीति अपनाई गई.
क्या सचिन पायलट जैसा दोहराव होगा?
पार्टी के भीतर तुलना राजस्थान से भी हो रही है जहां सचिन पायलट खुलकर मैदान में उतरे थे. लेकिन संख्या के अभाव में हार गए. कर्नाटक में शिवकुमार ने अब तक वैसी खुली बगावत नहीं की है. संदेश कोड में हैं, बयान इशारों में हैं और फैसला अब सोनिया गांधी के दरबार में होना है.
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सुमित कुमार News18 हिंदी में सीनियर सब एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं. वे पिछले 3 साल से यहां सेंट्रल डेस्क टीम से जुड़े हुए हैं. उनके पास जर्नलिज्म में मास्टर डिग्री है. News18 हिंदी में काम करने से पहले, उन्ह...और पढ़ें
First Published :
December 13, 2025, 16:49 IST

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