तुर्की एक बार फिर खुलकर पाकिस्तान के सपोर्ट में खड़ा हो गया है. तुर्की के राष्ट्रपति रीसेप तैयप एर्दोगन ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, 'मेरे प्यार भाई शाहबाज शरीफ (पाकिस्तान के पीएम), हम अच्छे और बुरे वक्त में भी आपके साथ खड़े रहेंगे, जैसा कि हमने अतीत में किया है और भविष्य में करेंगे. पाकिस्तान-तुर्की दोस्ती जिंदाबाद!' तुर्की के राष्ट्रपति ने यह जानते हुए पाकिस्तान का फिर से सपोर्ट किया है कि भारत में तुर्की का बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है. हैरानी की बात तो यह है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के समय तुर्की ने भारत के सारे एहसानों को भुलाकर खुलकर पाकिस्तान का साथ दिया.
तुर्की ने भारतीय सेना और भारत के आम लोगों को निशाना बनाने के लिए पड़ोसी देश पाकिस्तान को ड्रोन एवं हथियारों की आपूर्ति की. जबकि फरवरी 2023 में तुर्की में आए महाविनाशकारी भूकंप के समय भारत मदद करने वाले पहले देशों में से एक था. तब भारत ने 'ऑपरेशन दोस्त' चलाकर तुर्की के लोगों की मदद की थी. इसके तहत भारतीय दल ने तुर्की में जाकर न केवल लोगों को बचाया था बल्कि बड़ी तादाद में राहत सामग्री भी भेजी थी. इसके लिए भारतीय वायुसेना के C-17 ग्लोबमास्टर विमान का भी उपयोग किया गया था. (तुर्की के राष्ट्रपति का ट्वीट ट्रांसलेट पर क्लिक करके पढ़िए)
Kıymetli @CMShehbaz kardeşim,
Dünya üzerinde pek az millete nasip olan Türkiye-Pakistan kardeşliği, hakiki dostluğun en güzel örneklerinden biridir.… https://t.co/NePsq2Lr3O
— Recep Tayyip Erdoğan (@RTErdogan) May 13, 2025
तुर्की की एहसान फरामोशी का जवाब देने भारत की जनता खुद आगे आई है और खुलकर तुर्की के उत्पादों का बायकॉट कर रही है. गाजियाबाद के साहिबाबाद में फल विक्रेताओं ने साफ कहा है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान का सपोर्ट करने के लिए हमने तुर्की के सेबों का बायकॉट करने का फैसला लिया है. फल विक्रेताओं ने आगे कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों से हम व्यापार नहीं करेंगे. वहां से अब सेब के साथ-साथ किसी दूसरे फल का भी आयात नहीं किया जाएगा. अब हमने हिमाचल या फिर किसी अन्य भारतीय राज्य से सेब खरीदने का फैसला किया है.
आमतौर पर भारत में तुर्की से हर साल 1,000 से 1,200 करोड़ रुपए के सेब आयात किए जाते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, तुर्की द्वारा पाकिस्तान का समर्थन किए जाने के कारण मार्बल उद्योग ने भी आयात का बायकॉट करने का फैसला किया है. इससे तुर्की को काफी आर्थिक चोट पहुंच सकती है. फिर भी एर्दोगन आतंकिस्तान के सपोर्ट में खुलकर खड़े हैं. यह उनकी नापाक मंशा को दिखाता है. सोशल मीडिया पर तुर्की बायकॉट ट्रेंड कर रहा है और लोग तुर्की घूमने की अपनी योजनाओं को ठंडे बस्ते में डालने का मन बना चुके हैं. बड़ी संख्या में भारत से तुर्की जाने की बुकिंग रद्द हो रही है.
भारत के शीर्ष उद्योग निकाय कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने सभी व्यापारियों और नागरिकों से तुर्की और अजरबैजान का बायकॉट करने की अपील की है. 2024 में तुर्की में करीब 62.2 मिलियन विदेशी यात्री आए थे. इसमें से 3,00,000 के आसपास भारतीय थे. 2023 की तुलना में पिछले साल तुर्की में 20 प्रतिशत अधिक भारतीय यात्री आए थे. कैट के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल तुर्की की कुल पर्यटन आय 61.1 बिलियन डॉलर थी, जिसमें प्रत्येक भारतीय पर्यटक ने औसतन 972 डॉलर खर्च किए थे. पिछले साल संयुक्त रूप से भारतीयों द्वारा तुर्की में 291.6 मिलियन डॉलर खर्च किए गए थे. ट्रेडर्स बॉडी ने कहा कि इससे पहले उसने चीनी उत्पादों के बायकॉट के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया था, जिसका काफी असर हुआ है. अब वह तुर्की और अजरबैजान की यात्रा के बायकॉट के लिए अभियान चला रहा है. (IANS)