Last Updated:April 15, 2025, 14:01 IST
Bihar Chunav News: बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट शेयरिंग और सीएम फेस को लेकर क्या फैसला हुआ? क्या तेजस्वी यादव और राहुल गांधी के बीच बिहार में नेतृत्व की होड़ और सीट बंटवारे पर असहमति का मुद्दा एनडीए को...और पढ़ें

सीट बंटवारे का मुद्दा महागठबंधन की राह में सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर है?
हाइलाइट्स
तेजस्वी और राहुल के बीच सीट बंटवारे पर असहमति.महागठबंधन में नेतृत्व की होड़ से एनडीए को फायदा.कांग्रेस 70 सीटें चाहती, RJD 30-35 पर अड़ी.Bihar Chunav News: बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में सीट शेयरिंग और सीएम फेस को लेकर बैठकों का दौर शुरू हो गया है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव अपने सिपहसालारों के साथ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी के साथ मुलाकात कर बाहर निकल चुके हैं. मुलाकात के बाद और मुलाकात से पहले का बॉडी लैंग्वेज बदला-बदला नजर आया. हालांकि, मुलाकात के बाद जब तेजस्वी यादव मीडिया से बात कर रहे थे तो उनके बगल में बिहार कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अल्लावरु और राजेश राम चुपचाप खड़े नजर आए. यह संकेत बता रहा है कि तेजस्वी यादव की बात को राहुल गांधी ने तवज्जो दिया है. लेकिन, सीट शेयरिंग और सीएम फेस पर तेजस्वी यादव गोल-मटोल जवाब बताता है कि बात कहीं न कहीं अटकी हुई है.
17 अप्रैल को पटना में एक बार फिर से महागठबंधन के नेता बंद कमरे में मीटिंग करेंगे. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर तेजस्वी यादव के सीएम फेस घोषित करने पर कांग्रेस क्यों पीछे हट रही है? क्या तेजस्वी यादव कांग्रेस की 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद जिस दिन मान जाएंगे उसी दिन सीएम फेस पर तेजस्वी यादव के नाम का ऐलान हो जाएगा? जानकारों की मानें तो तेजस्वी को मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में स्वीकार करने पर उपमुख्यमंत्री जैसे पद मांग सकती है. तेजस्वी और राहुल की परिपक्वता पर निर्भर करेगा कि वह गठबंधन को किस तरह आगे बढाएंगे.
महागठबंधन का इतिहास और चुनौतियां
बिहार में महागठबंधन की गाड़ी का कौन ड्राइवर होगा इसको लेकर पटना से लेकर दिल्ली तक कयासों का बाजार गर्म है. राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के बीच गठबंधन की मजबूती और नेतृत्व को लेकर विपक्ष लगातार सवाल उठा रही है. हालांकि, एनडीए में भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है. एनडीए में भी बीजेपी नीतीश कुमार को सीएम फेस को लेकर ऐलान करने से बच रही है. हालांकि बीजेपी बोल रही है कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा जाएगा. उसी तरह महागठबंधन में भी तेजस्वी यादव सीएम फेस होंगे, इस पर कांग्रेस नेता चुप्पी साधे हुए हैं. लेकिन बड़े भाई की भूमिका आरजेडी की होगी इससे कोई इनकार नहीं कर रहा है. ऐसे में बिहार चुनाव में महागठबंधन का भविष्य क्या होने वाला है?
राहुल गांधी का नया जोश के आगे तेजस्वी टिकेंगे?
तेजस्वी यादव ने पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाई है. बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दों को उठाकर उन्होंने युवाओं का ध्यान खींचा है. RJD की रणनीति साफ है कि तेजस्वी को महागठबंधन का चेहरा बनाकर यादव, मुस्लिम और पिछड़े वर्गों के वोटों को एकजुट करना. तेजस्वी का दावा है कि उनकी पार्टी बिहार की सबसे बड़ी ताकत है और वे गठबंधन के निर्विवाद नेता हैं. लेकिन उनकी यह महत्वाकांक्षा कांग्रेस के लिए असहजता का कारण बन रही है.
कांग्रेस क्यों असहज?
राहुल गांधी हाल के महीनों में बिहार में खासे सक्रिय दिखे हैं. पटना में उनकी रैलियां, दलित और पिछड़े वर्गों पर फोकस और संविधान की रक्षा जैसे मुद्दों ने कांग्रेस को नई ऊर्जा दी है. कांग्रेस ने राजेश राम को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अनुसूचित जातियों को साधने की कोशिश की है. राहुल गांधी चाहते हैं कि कांग्रेस को RJD की छाया से बाहर निकालकर एक स्वतंत्र ताकत बनाया जाए. लेकिन आरजेडी का मानना है कि कांग्रेस का स्ट्राइक रेट कमजोर है और उसे सीमित सीटों पर ही संतुष्ट होना चाहिए.
ड्राइविंग सीट की जंग
ऐसे में सीट बंटवारे का मुद्दा महागठबंधन की राह में सबसे बड़ा स्पीड ब्रेकर है. कांग्रेस 70 से अधिक सीटों की मांग कर रही है, जबकि RJD इसे 30-35 तक सीमित करना चाहता है. तेजस्वी और राहुल के बीच नेतृत्व की होड़ भी गठबंधन की एकता पर सवाल उठा रही है. कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह टकराव महागठबंधन की गाड़ी को अटका सकता है. अगर दोनों दल अपने अहं को नहीं छोड़ते, तो एनडीए को इसका सीधा फायदा मिल सकता है.
Location :
Patna,Patna,Bihar
First Published :
April 15, 2025, 14:01 IST