देश में आतंक फैलाने और गजवा-ए-हिंद को हकीकत में बदलने की बड़ी साजिश का पर्दाफाश किया गया है. इस पूरे षड्यंत्र का तानाबाना इस तरह से बुना गया था कि सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक न लग सके. इस आतंक की पाठशाला में सभी संदिग्धों ने कोडवर्ड इस्तेमाल किए. कट्टरपंथी मौलवियों के वीडियो दिखाकर एक बड़ी साजिश का तानाबाना बुना जा रहा था. यह ग्रुप इतना खतरनाक है कि अपनी जान तक देने के लिए तैयार था. ग्रुप में शामिल संदिग्ध सोशल मीडिया के जरिए संपर्क में रहते थे. ये सभी पाकिस्तानी हैंडलर से निर्देश ले रहे थे. खुफिया जानकारी के आधार पर झारखंड, तेलंगाना, बेंगलुरु, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की राज्य पुलिस/एटीएस ने एक साथ बड़ा ज्वाइंट ऑपरेशन किया. सुरक्षाबलों ने बड़ी साजिश को बेनकाब करके इंटरनेशनल आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ किया है.
दिल्ली, झारखंड, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में कई छापों में 5 आतंकी गुर्गों को गिरफ्तार किया गया है. इनमें से कुछ ने गजवा-ए-हिंद की अवधारणा के तहत भारत में खिलाफत स्थापित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने तक की इच्छा व्यक्त की थी. इन सभी को व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए जोड़ा गया था. इस ग्रुप में तारिक मसूद, तारिक जमील और ज़ाकिर नाइक जैसे कट्टरपंथी मौलवियों के वीडियो अपलोड किए गए थे, ताकि इन्हें बरगलाया जा सके. मॉड्यूल के मास्टरमाइंड अशहर दानिश उर्फ सीईओ के पास से हथियार बनाने की सामग्री, गोला-बारूद के पुर्जे और ‘खिलाफत’ स्थापित करने के लिए रासायनिक पदार्थ (Chemical Material) बरामद हुए. यह ग्रुप गज़वा-ए-हिंद के अंतिम उद्देश्य के साथ खिलाफत स्थापित करने हेतु गुप्त आतंकी प्रशिक्षण हेतु जमीन अधिग्रहण की योजना बना रहा था.
ऑपरेशन की शुरुआत सबसे पहले दिल्ली से हुई. 9 सितंबर 2025 को विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सटे थीम पार्क के पास एक जाल बिछाया गया. दो आरोपियों आफ़ताब नासिर कुरैशी और सूफ़ियान अबुबकर खान को दो सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल (.32 बोर) और 15 ज़िंदा कारतूस ले जाते हुए पकड़ा गया.
केमिकल, आईईडी निर्माण सामग्री, कारतूस बनाने के पुर्जे, दो सेमी-ऑटोमेटिक पिस्तौल और एक तमंचा सहित कई महत्वपूर्ण बरामदगी हुई है. इसके अलावा आईईडी बनाने में इस्तेमाल होने वाली अन्य आपत्तिजनक सामग्री भी जब्त की गई है. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी जांच में (तेलंगाना) और राजगढ़ (मध्य प्रदेश) में कई स्थानों पर एक साथ छापे मारे. इन छापों से पाकिस्तान के हैंडलर द्वारा दूर से ऑपरेट किए जा रहे एक अखिल भारतीय आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़ हुआ.
इन आतंकियों की गिरफ्तारी बड़ी अहम मानी जा रही है -:
अशहर दानिश, निवासी बोकारो, झारखंड, उम्र 23 वर्ष आफ़ताब कुरैशी, निवासी कल्याण, मुंबई, उम्र 25 वर्ष सूफ़ियान अबुबकर खान, निवासी मुंब्रा, महाराष्ट्र, उम्र 20 वर्ष मोहम्मद हुज़ैफ़ यमन, निवासी नरसापुर, तेलंगाना, उम्र 20 वर्ष कामरान कुरैशी उर्फ समर खान, निवासी राजगढ़, मध्य प्रदेश, उम्र 26 वर्षIED बनाने में महारत
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम सोशल मीडिया पर सक्रिय कट्टरपंथी युवाओं सहित संभावित आतंकवादी गुर्गों की पहचान के लिए निरंतर निगरानी कर रहा है. कुछ सोर्सेज से सुराग मिलते ही दिल्ली, रांची, ठाणे, निजामाबाद और राजगढ़ में सक्रिय एक आतंकवादी मॉड्यूल की पहचान की गई. इसके सदस्यों को बारूद तैयार करने और आईईडी बनाने की महत्वपूर्ण जानकारी थी. उनमें से कुछ ने गजवा-ए-हिंद की अवधारणा के तहत भारत में खिलाफत स्थापित करने के लिए अपने प्राणों की आहुति देने की इच्छा व्यक्त की. दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जब जांच आगे बढ़ाई तो अशहर दानिश के किरदार का सुराग हाथ लगा. यह इनमें से एक प्रमुख व्यक्ति था जो दिल्ली/एनसीआर से हथियार और कृषि-रसायन की दुकानों और ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म से रासायनिक पदार्थ खरीदने की कोशिश कर रहा था. इसकी गहन निगरानी की गई, जिसमें सूत्रों से मिली जानकारी भी शामिल थी. संदिग्धों की गुप्त रूप से फिजिकल मॉनिटरिंग भी की गई. इस नेटवर्क से जुड़े संदिग्धों का पता लगाने के लिए रांची, ठाणे, बेंगलुरु, निज़ामाबाद और राजगढ़ में अग्रिम टीमें तैनात की गईं. सबूत पुख्ता होने के बाद एक्शन की तैयारी की गई.
दिल्ली से ऑपरेशन की शुरुआत
ऑपरेशन की शुरुआत सबसे पहले दिल्ली से हुई. 9 सितंबर 2025 को विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर दिल्ली के हजरत निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से सटे थीम पार्क के पास एक जाल बिछाया गया. दो आरोपियों आफ़ताब नासिर कुरैशी और सूफ़ियान अबुबकर खान को दो सेमी ऑटोमेटिक पिस्तौल (.32 बोर) और 15 ज़िंदा कारतूस ले जाते हुए पकड़ा गया. इनकी गिरफ्तारी के बाद स्पेशल सेल के थाने में संबंधित कानूनी प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया. इनसे पूछताछ के बाद 10 सितंबर को जांच के दौरान और खुलासों व खुफिया सूचनाओं के आधार पर सहयोगी एजेंसी की सहायता से रांची, ठाणे, बेंगलुरु, निज़ामाबाद और राजगढ़ में संयुक्त छापे मारे गए.
नया टेरर मॉड्यूल का पाकिस्तान लिंक सामने आया है. एजेंसियों का कहना है कि इस मॉड्यूल में शामिल संदिग्ध व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़े थे और जाकिर नाइक जैसों की तकरीरों को सुनते थे.
कमरे में मिला IED बनाने का सामान
इन छापों में बड़े किरदार अशहर दानिश को रांची से गिरफ्तार किया गया. उसके किराए के कमरे से आईईडी बनाने वाले उपकरण और रासायनिक पदार्थ बरामद किए गए. उसने स्वीकार किया कि उसने हिंसक तरीकों से ख़िलाफ़त स्थापित करने की आपराधिक साजिश के तहत हथियार, गोला-बारूद और विस्फोटक खरीदे थे. उसने आगे खुलासा किया कि उसे पाकिस्तान स्थित एक हैंडलर से निर्देश मिल रहे थे और वह मॉड्यूल के अन्य सदस्यों के साथ लगातार संपर्क में था. मोहम्मद हुजैफ यमन को तेलंगाना के निज़ामाबाद से गिरफ्तार किया गया. उसने अशहर दानिश के मार्गदर्शन में हथियार और गोला-बारूद बनाने से जुड़े प्रयोगों में अपनी संलिप्तता का खुलासा किया. वहीं, कामरान कुरैशी उर्फ समर खान को मध्य प्रदेश के राजगढ़ से गिरफ्तार किया गया. उसने स्वीकार किया कि वह अशहर दानिश के संपर्क में एक व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए आया था, जहां तारिक मसूद, तारिक जमील और ज़ाकिर नाइक जैसे कट्टरपंथी मौलवियों के वीडियो अपलोड किए गए थे.
अशहर दानिश खुद को कंपनी का सीईओ, प्रोफेसर या एनजीओ संचालक बताते हुए कई सोशल मीडिया आईडी वाले कई ग्रुप भी बनाए, ताकि उन पर और उनकी गतिविधियों पर किसी भी तरह की निगरानी को छिपाया जा सके. उसने केमिकल्स की खरीद के लिए धन इकट्ठा किया और बारूद बनाने के लिए सल्फर खरीदा था.
अशहर दानिश का खतरनाक इरादा
स्पेशल सेल के मुताबिक दानिश बेहद चालाक था. उसने झारखंड के बोकारो में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म लिया उसके पिता एक अधिवक्ता और मां एक गृहिणी हैं. उसने रांची के सिल्ली कॉलेज से अंग्रेजी (ऑनर्स) में स्नातकोत्तर यानी पीजी की डिग्री हासिल की है. जनवरी 2024 में वह रांची के न्यू तबारक लॉज में रहने चला गया, जहां उसने डॉ. इसरार अहमद के व्याख्यान सुनने शुरू किए और धीरे-धीरे कट्टरपंथी विचारों को अपना लिया. इंस्टाग्राम पर उसकी मुलाकात आफ़ताब कुरैशी और इज़हार-उल-हक जैसे लोगों से हुई, जिनकी विचारधाराएं उससे मिलती-जुलती थीं. उसने इंस्टाग्राम पर एक ग्रुप बनाया और लगभग 40 लोगों को जोड़ा, जहां खिलाफत की स्थापना पर चर्चाएं केंद्रित थीं. वहां उसने खुद को कंपनी का सीईओ, प्रोफेसर या एनजीओ संचालक बताते हुए कई सोशल मीडिया आईडी वाले कई ग्रुप भी बनाए, ताकि उन पर और उनकी गतिविधियों पर किसी भी तरह की निगरानी को छिपाया जा सके. उसने केमिकल्स की खरीद के लिए धन इकट्ठा किया और बारूद बनाने के लिए सल्फर खरीदा. अगस्त 2025 में उसने कारतूस बनाने के लिए तांबे की प्लेटें खरीदीं. हथियार बनाने के प्रोटोटाइप के रूप में अध्ययन करने के लिए बोकारो से एक गोली और एक देसी पिस्तौल भी हासिल की थी.
आफताब अंसारी की कुंडली
इस केस का दूसरा आतंकी आफ़ताब नासिर कुरैशी मुंबई के कल्याण का निवासी है. वह अपने माता-पिता और दो भाई-बहनों के साथ रहता है. उसने दसवीं तक पढ़ाई की है और अपने पिता की मीट की दुकान में मदद करता है. इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, टेलीग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहता है. उसने साल 2020 के आसपास कट्टरपंथी इस्लामी सामग्री का उपयोग करना शुरू कर दिया, जिसमें तारिक मसूद, ज़ाकिर नाइक, इसरार अहमद और तारिक जमील के भाषण शामिल थे. वहीं, तीसरा संदिग्ध मोहम्मद हुज़ैफ़ यमन बी. फ़ार्मेसी के तीसरे वर्ष का छात्र है जो 20 साल का है. वह 3-4 साल पहले ओमेगल प्लेटफॉर्म के माध्यम से अशहर दानिश के संपर्क में आया. बाद में व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम के माध्यम से जुड़ा. दानिश ने भारत में मुसलमानों पर कथित अत्याचारों पर चर्चा की और सशस्त्र जिहाद के माध्यम से जवाबी कार्रवाई के लिए लश्कर बनाने का प्रस्ताव रखा. दानिश ने उसे जिहादी उद्देश्यों के लिए हथियार निर्माण सीखने की ज़िम्मेदारी सौंपी.
सूफ़ियान अबुबकर ख़ान ओर कामरान कुरैशी
सूफियान अबुबकर खान महाराष्ट्र के कल्याण का है. उसने पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की है और वेल्डर का काम करता हैं. वह सह-आरोपी आफ़ताब कुरैशी को पिछले 5 सालों से जानता है. आफ़ताब नियमित रूप से उसके साथ कट्टरपंथी वीडियो शेयर करता था और उसे कट्टरपंथी सोशल मीडिया ग्रुप्स में जोड़ता था. 8 सितंबर को आफ़ताब ने उसे मेवात के एक सप्लायर जमील से हथियार लेने के लिए दिल्ली चलने को कहा था. इस मॉड्यूल का पांचवां संदिग्ध कामरान कुरैशी उर्फ समर ख़ान मध्य प्रदेश के राजगढ़ का है. 26 साल का कामरान 12वीं कक्षा तक पढ़ा है. उसके पिता वेल्डर हैं. वह लैब असिस्टेंट के रूप में कार्यरत है और वकीलों के लिए टाइपिस्ट/ड्राफ्टर का भी काम करता है. उसने स्वीकार किया कि वह अशहर दानिश के संपर्क में एक व्हाट्सएप ग्रुप के माध्यम से आया था, जो गज़वा-ए-हिंद के लिए कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा देता था. उसने दानिश को धन मुहैया कराया और उसे और सदस्य बनाने का निर्देश दिया गया. वह और दानिश खिलाफत से संबंधित प्रशिक्षण गतिविधियां शुरू करने के लिए ज़मीन खरीदने की भी योजना बना रहे थे. फिलहाल इन सभी से आगे की पूछताछ चल रही है.
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