क्यों नाम आपरेशन सिंदूर ही रखा गया,भारतीय संस्कृति में ये कितना खास और प्राचीन

15 hours ago

भारत ने पाकिस्तान के आतंकवादी ठिकानों पर निशाना बनाने वाले जबरदस्त आपरेशन को भारत को आपरेशन सिंदूर नाम दिया गया है. क्या है आखिर इसकी वजह. ये प्रतीकात्मक और भावनात्मक महत्व रखता है. यह ऑपरेशन 22 अप्रैल, 2025 को पहलगाम आतंकी हमले का जवाब था, जिसमें 25 भारतीयों और एक नेपाली नागरिक सहित 26 नागरिक मारे गए थे, जिनमें से कई पर्यटक थे. चूंकि इसमें विवाहित महिलाओं के सिंदूर को उजाड़ा गया था, लिहाजा अब इस सुहाग को महफूज रखने के लिए ही इसका नाम आपरेशन सिंदूर रखा गया.

माना जाता है कि “सिंदूर” नाम हमले की सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतिध्वनि से जुड़ा है, विशेष रूप से पीड़ितों में नवविवाहित जोड़ों पर इसके प्रभाव से. आतंकवादियों ने जिस तरह सुहाग को उजाड़ा, ये उसका प्रतीकात्मक बदला भी है और चेतावनी भी. “ऑपरेशन सिंदूर” नाम एक शक्तिशाली सांस्कृतिक और भावनात्मक प्रतिक्रिया को जगाने के लिए चुना गया.

क्या होता है सिंदूर
भारतीय संस्कृति में सिंदूर (सिंदूर) एक लाल रंग का पाउडर है जिसे पारंपरिक रूप से विवाहित महिलाओं के माथे या बालों के बिछौने पर लगाया जाता है, जो उनकी वैवाहिक स्थिति और उनके पतियों की भलाई का प्रतीक है.

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भारतीय संस्कृति और विवाह में सिंदूर का मतलब बहुत गहरा होता है. हर भारतीय महिला अपने सुहाग की रक्षा के लिए सिंदूर लगाती है. (News18.AI)

पहलगाम में आतंकियों ने उजाड़े थे सिंदूर
रिपोर्टों के अनुसार, पहलगाम हमले में कई ऐसे लोगों को आतंकवादियों ने मार दिया था, जिनकी हाल ही में शादी हुई थी, जिनमें नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल भी शामिल थे..। उनकी शोकग्रस्त विधवा की जो फोटो सामने आई, उसमें उनका सिंदूर प्रमुखता से दिखाई दे रहा था. इसने पूरे भारत में आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई की तेज भावनाएं जगाईं.

आपरेशन सिंदूर का मतलब 
“ऑपरेशन सिंदूर” नाम इन पीड़ितों की मौत का बदला लेने के भारत के संकल्प को दिखाता है. ये भी आश्वस्त करता है कि अब सभी के सिंदूरों को महफूज रखा जाएगा, उस पर आंच नहीं आने दी जाएगी. ये जिनकी शादी पहलगाम में टूटी, उनके प्रति ऋद्धांजलि के साथ शहीदों के सम्मान और न्याय की रक्षा का भी प्रतीक है.

रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि आपरेशन का ये नाम हमले के भावनात्मक पक्ष को जाहिर करता है तो पहलगाम हमले के जिम्मेदार लोगों से बदला लेने की भारत की प्रतिबद्धता को बताने के लिए चुना गया हो सकता है.

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भारत में सिंदूर लगाने की परंपरा बहुत प्राचीन है. प्राचीन ग्रंथों में इसका उल्लेख हुआ है. (News18 AI)

कब से देश में सिंदूर लगाने की परंपरा
भारत में सिंदूर लगाने की परंपरा कब से है, इसकी सटीक उत्पत्ति का पता लगाना मुश्किल है. ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि यह प्रथा हज़ारों साल पुरानी है,शायद वैदिक काल (लगभग 1500-500 ईसा पूर्व) या उससे पहले से चल रही है.

हडप्पा सभ्यता में होता था प्रयोग
सिंदूर पारा सल्फाइड यौगिक से बना लाल रंग का पाउडर होता है. प्राचीन भारतीय ग्रंथों और पुरातात्विक खोजों में इसका जिक्र है. हड़प्पा सभ्यता (लगभग 2600-1900 ईसा पूर्व) में, मोहनजो-दारो और हड़प्पा जैसे स्थलों पर खुदाई से लाल गेरू और कॉस्मेटिक आइटम मिले हैं, जो ये बताते हैं कि सिंदूर कब से लगाया जा रहा है.

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गुप्त काल में विवाहों में सिंदूर परंपरा पुख्ता तौर पर भारतीय संस्कृति से जुड़ गई. पहले ये उत्तर भारत में थी फिर पूरे देश में फैली. ( NEWS18 ai)

पुराणों और महाकाव्यों में भी उल्लेख
500 ईसापूर्व हिंदू ग्रंथों और महाकाव्यों में हिंदू परंपराओं में विवाह के साथ सिंदूर का जुड़ाव मजबूत हुआ. पुराणों और महाकाव्यों जैसे रामायण और महाभारत (400 ईसा पूर्व और 400 ई. के बीच संकलित) जैसे ग्रंथों में विवाहित महिलाओं को लाल निशान से सजे हुए दिखाया गया है, जो वैवाहिक स्थिति, भक्ति और उनके पतियों की भलाई का प्रतीक है.

रामायण में सीता के माथे पर होता था ये
रामायण में, सीता को अक्सर अपने माथे पर लाल सिंदूर के निशान के साथ बताया जाता है. जिसने बाद की परंपराओं ने सिंदूर से जोड़ा. इसने इस प्रथा को पत्नी की प्रतिबद्धता और शुभता के प्रतीक के रूप में मजबूत किया. स्कंद पुराण और अन्य ग्रंथों में देवी पूजा के संदर्भ में सिंदूर का उल्लेख है, विशेष रूप से पार्वती और दुर्गा जैसे देवताओं के लिए, जहां यह दिव्य ऊर्जा (शक्ति) और वैवाहिक आनंद का प्रतीक है, जो इसे वैवाहिक अनुष्ठानों में शामिल करता है.

गुप्त काल में ये पूरी तरह विवाह से जुड़ गया
गुप्त काल (लगभग 320-550 ई.) तक ये विवाह अनुष्ठानों से पूरी तरह जुड़ गया. मनुस्मृति और अन्य ग्रंथों में विवाहित महिलाओं के लिए श्रृंगार के वर्णन में इसका जिक्र हुआ है. धीरे धीरे ये परंपरा पूरे भारत में फैल गई, जो क्षेत्र के अनुसार अलग-अलग थी.

सिंदूर का रंग लाल ही क्यों
हिंदू धर्म में लाल रंग को एक शुभ रंग माना जाता है, जो जीवन, उर्वरता और समृद्धि का प्रतीक है. सिंदूर के चमकीले रंग ने इसे वैवाहिक और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए एक स्वाभाविक विकल्प बना दिया. पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार इसे बुराई से दूर रखने और पति की दीर्घायु सुनिश्चित करने वाला माना जाता है.

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