कहीं नाम गड़बड़ तो कहीं उम्र; बाप-बेटे की उम्र में 15 साल का फासला

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Last Updated:December 13, 2025, 13:52 IST

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर को लेकर हैरान करने वाला खुलासा हुआ है. चुनाव आयोग के सूत्रों की मानें तो पश्चिम बंगाल में एसआईआर के कारण करीब 58 लाख वोटर के नाम कट सकते हैं. इतना ही नहीं, चुनाव आयोग करीब 1 करोड़ वोटरों का फिर से जांच कर सकता है.

कहीं नाम गड़बड़ तो कहीं उम्र; बाप-बेटे की उम्र में 15 साल का फासलाबंगाल एसआईआर पर आई रिपोर्ट ने चौंका दिया है.

West Bengal SIR: पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव है. उससे पहले ही बंगाल में एक बड़ा झोल सामने आया है. पश्चिम बंगाल में जारी एसआईआर को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. चुनाव आयोग पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में एक करोड़ से ज्यादा नामों की फिर से जांच करने की तैयारी कर रहा है. यह फैसला देशभर में चल रही एसआईआर यानी विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया के दौरान ‘रहस्यमयी डेटा’ सामने आने के बाद लिया गया है. हैरानी की बात है कि कुछ वोटर ऐसे हैं, जिनकी उम्र उनके पिता की उम्र से अधिक है. कुछ पोते की उम्र दादा से अधिक है.

चुनाव आयोग के सूत्रों के मुताबिक, एक करोड़ से ज्यादा नामों की फिर से जांच करनी पड़ सकती है. कारण कि पश्चिम बंगाल में वोटर लिस्ट के विशेष सघन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में 85 लाख वोटरों के पिता के नाम में गड़बड़ी पाई गई है. सूत्रों का कहना है कि पिता के नाम में गड़बड़ी की वजह से दोबारा जांच जरूरी है. कुछ मामलों में पाया गया कि करीब 13.5 लाख मतदाताओं के रिकॉर्ड में एक ही व्यक्ति का नाम पिता और मां दोनों के रूप में दर्ज है. यानी 13.5 लाख वोटरों के माता-पिता का नाम सेम ही है.

सूत्रों ने बताया कि कुछ परिवारों में एक सदस्य के पिता का नाम गलती से दूसरे सदस्य की मां के कॉलम में दर्ज हो गया है. इसके अलावा, 11,95,230 मतदाताओं के रिकॉर्ड में पिता की उम्र बेटे से सिर्फ 15 साल ज्यादा है, जबकि 3,29,152 मतदाताओं के रिकॉर्ड में दादा की उम्र पोते से 40 साल से भी कम है. कम से कम 24,21,133 मामलों में एक ही व्यक्ति के छह या उससे ज्यादा बच्चे दर्ज हैं. यह पश्चिम बंगाल में विशेष पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया का पहला चरण है. यह रहस्यमयी डेटा क्रॉस-चेकिंग के दौरान सामने आया.

चुनाव आयोग ने सभी आवेदन फॉर्म्स को डिजिटल कर दिया है और मतदाताओं को रिकॉर्ड की पुष्टि के लिए सुनवाई के लिए बुलाया जाएगा. एकत्रित डेटा जिला चुनाव अधिकारियों और ब्लॉक स्तर के अधिकारियों के साथ साझा किया जाएगा, जो घर-घर जाकर जांच करेंगे. मतदाताओं को ‘दावे और आपत्तियां’ चरण में भी डेटा की पुष्टि करने का मौका मिलेगा.

चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 57,52,207 मतदाताओं को उनके फॉर्म में ‘अनुपलब्ध’ या ‘पता नहीं चला’ श्रेणी में रखा गया है. इनमें से 24,14,750 वोटर मृत घोषित किए गए हैं Qj 11,57,000 से ज्यादा का पता नहीं चल पाया, जबकि 19,89,914 ने पता बदल लिया है. 13,05,627 वोटर कई जगहों पर दर्ज हैं और 11,57,000 से ज्यादा फॉर्म्स अलग-अलग कारणों से एकत्र नहीं हो सके. 12 दिसंबर यानी शुक्रवार को चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाने का विधानसभा क्षेत्रवार डेटा भी जारी किया. बता दें कि एक दिन पहले ही नामांकन फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख थी. पश्चिम बंगाल के लिए ड्राफ्ट मतदाता सूची 16 दिसंबर को प्रकाशित की जाएगी.

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Shankar Pandit

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First Published :

December 13, 2025, 13:51 IST

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