Last Updated:June 21, 2025, 09:06 IST
BARAK-8 @ MRSAM: ईरान धीरे धीरे अपने मिसाइलों के पत्ते खोल रहा है. वही इजरायल भी अपने एयर डिफेंस सिस्टम की ताकत दिखा रहा है. पिछले डेढ़ साल से इजरायल ने हर तरह केएयर डिफेंस का इस्तेमाल किया. सरप्राइज 20 जून को ...और पढ़ें

ईरान इजरायल की जंग में बराक सिस्टम का दमदार आगाज
हाइलाइट्स
इजरायल ने पहली बार बराक-8 मिसाइल का इस्तेमाल किया.बराक-8 मिसाइल भारत और इजरायल का संयुक्त उत्पाद है.बराक-8 मिसाइल सिस्टम दुश्मन के 16 टारगेट पर 24 मिसाइलें दाग सकता है.BARAK-8 @ MR-SAM: एयर डिफेंस के मामले में दुनिया के सबसे बेहतरीन हथियार इजरायल के माने जाते हैं. चाहे रॉकेट हो या ड्रोन, बैलिस्टिक मिसाइल हो या फिर सुपरसोनिक मिसाइल, हर तरह के खतरे से निपटने के लिए इंटरसेप्टर मिसाइल मौजूद है. हमास और हिजबुल्लाह के रॉकेट और मिसाइल को आयरन डोम ने जमीन पर गिरने नहीं दिया. ईरान और हूती की बैलिस्टिक मिसाइलों के खिलाफ एरो और डेविड स्लिंग अब तक काम कर रहे थे. ऑपरेशन राइजिंग लायन के सातवें दिन इजरायल ने नए इंटरसेप्टर मिसाइल की एंट्री कर दी है. पहली बार इस जंग में एंट्री हुई है बराक एयर डिफेंस सिस्टम की. इससे पहले ग्रैंड डेब्यू ऑपरेशन सिंदूर के वक्त भारत कर चुका है. इस मिसाइल को इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्री (IAI) और भारत की DRDO ने मिलकर विकसित किया है. इजरायल की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि शुक्रवार को पहली बार बराक सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. इससे इजरायल की सीमा में घुसे यूएवी को निशाना बनाया गया.
BARAK-8 @ MR-SAM की ताकत
भारत और इजरायल के बीच रक्षा सहयोग बहुत मजबूत है. भारत और इजरायल ने मिलकर ऐसा एयर डिफेंस सिस्टम बनाया है जो दुश्मन के एयरक्राफ्ट, ड्रोन, गाइडेड हथियार और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को ट्रैक करके आसानी से नष्ट करने में सक्षम है. इसे कई नामों से जाना जाता है. इसे बराक-8, लॉन्ग रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (LRSAM), मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल (MR-SAM) और बराक MX के नाम से भी जाना जाता है. यह भारतीय सेना के तीनों अंगों में शामिल है. थलसेना में इसे “अभ्रा” के नाम से जाना जाता है, भारतीय वायुसेना में इसे MR-SAM कहा जाता है तो नौसेना में LR-SAM या बराक 8. यह सिस्टम डेडिकेटेड रडार के सपोर्ट से अकेले फायरिंग यूनिट की तरह ऑपरेट कर सकता है. यह सिस्टम एक ही समय में दुश्मन के अलग-अलग 16 टारगेट पर 24 मिसाइलें दाग सकता है. यह सुपरसोनिक मिसाइल है और इसमें एक ऐसा सीकर लगा है जो दुश्मन के हवाई खतरे को ढूंढकर नष्ट कर देता है. इसकी रेंज 70 किलोमीटर है, लेकिन यह दुश्मन के एयरक्राफ्ट को 110 किलोमीटर तक भी निशाना बना सकती है. थलसेना और वायुसेना में बराक के लैंड वर्जन हैं. मोबाइल वर्टिकल लॉन्चर MR-SAM को कम समय में किसी भी जगह पर तैनात किया जा सकता है. इस सिस्टम की एक बैटरी में तीन लॉन्चर हैं और हर लॉन्चर में 8 ट्यूब हैं और एक बार सभी मिसाइल लॉन्च होने के बाद महज कुछ समय में ही इसे फिर से रीलोड भी किया जा सकता है. नौसेना में स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रांत, कोलकाता और विशाखापत्तनम क्लास डिस्ट्रॉयर, नीलगिरी क्लास फ्रीगेट की सुरक्षा के लिए बराक 8 लगी हुई है.
ऑपरेशन सिंदूर में हुआ था डेब्यू
भारत और पाकिस्तान के बीच छिड़ी जंग के दौरान बड़ी तादाद में पाकिस्तान की तरफ से मिसाइल और एरियल अटैक को अंजाम दिया गया था. हर हमले को आसानी से भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने एंगेज किया. इसमें MR-SAM एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी मौजूद था. पाकिस्तान की तरफ से लॉन्च किए गए फतह रॉकेट को इसी MR-SAM ने ही एंगेज किया था. पहलगाम हमले के दो दिन बाद ही अरब सागर में भारतीय नौसेना के स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS सूरत से मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल को फायर कर पाकिस्तान को भारत का मैसेज दे दिया था.
तीनों सेनाओं के पास है BARAK
भारतीय थलसेना में मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल “अभ्रा” की दो रेजिमेंट स्थापित हो चुकी हैं. पहली रेजिमेंट स्थापित हुई थी ईस्टर्न कमांड में। मतलब साफ है चीन के किसी भी एरियल अटैक का माकूल जवाब देने के लिए. यह भारतीय थलसेना के एयर डिफेंस कोर की पहली मीडियम रेंज सर्फेस टू एयर मिसाइल रेजिमेंट थी. दूसरी रेजिमेंट सेना के साउथ कमांड में स्थापित की गई है. इसी साल अप्रैल में भारतीय थलसेना ने पहली बार चार सफल फ्लाइट टेस्ट को अंजाम दिया था. मिसाइल इतनी सटीक है कि ऑपरेशनल फ्लाइट के दौरान हाई स्पीड एरियल टार्गेट को इंटरसेप्ट किया और डायरेक्ट हिट किया. भारतीय वायुसेना में MRSAM की सबसे पहली यूनिट सितंबर 2021 में स्थापित की गई थी. इस बैटरी को पाकिस्तान सीमा के करीब जैसलमेर में तैनात किया गया है.